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Wednesday, February 12, 2025 | 11:27 am
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डॉ अश्विनी

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अर्थव्यवस्था की तेज होती रफ्तार

मैनुफैक्चरिंग में वृद्धि भारत सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ की नीति की सफलता की ओर इंगित करती है. बड़ी संख्या में नयी उत्पादन इकाइयां हर क्षेत्र में स्थापित हो रही हैं. इनमें इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम, मशीनरी, सोलर, प्रतिरक्षा, केमिकल, खिलौने, वस्त्र सहित विभिन्न प्रकार के उत्पाद शामिल हैं.

नये कल्याणकारी राज्य का आरंभ

पूर्व में राजनीतिक दल उनकी गरीबी, अभाव और बेरोजगारी को दूर करने के छलावों से उनके वोट बटोर लिया करते थे. अब इन लाभार्थियों ने पिछले 9-10 सालों में सरकार की मदद और स्वयं के प्रयासों से इन अभावों से कुछ हद तक मुक्ति पायी है.

ऊंची ब्याज दरें अभी रहेंगी

भारत में आज महंगाई दर 5.02 प्रतिशत है, इसलिए वास्तविक ब्याज दर अब भी धनात्मक है, जबकि अमेरिका व कई विकसित देशों में ब्याज दर मंहगाई की दर से भी कम होने के कारण वास्तविक ब्याज दर ऋणात्मक हो गयी. मतलब जब तक महंगाई पूरी तरह से थम नहीं जाती, तब तक अमरीका व यूरोप में ब्याज दरों में जल्दी कमी नहीं आयेगी.

देश को महंगी पड़ेंगी मुफ्त की स्कीमें

यदि इसी प्रकार चलता रहा, तो हमारे देश को निवेश मिलने में तो कठिनाई होगी ही, हमारी कंपनियों और सरकार के द्वारा जो विदेशों से ऋण लिया जाता है, उस पर भी ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ेगा.

वास्तविकता से दूर है वैश्विक भूख सूचकांक

पाकिस्तान में शिशु मृत्यु दर 55.8 प्रति हजार है. बाल मृत्यु दर उससे भी अधिक है. इसके बावजूद भारत को पाकिस्तान से नीचे बताया जा रहा है. इसका कारण है कि भुखमरी सूचकांक के अन्य पैमानों में भी गलत आंकड़ों का उपयोग हुआ है. कुछ खोट अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के आंकड़ों में भी है.

घातक हो रहा है विदेशों में पढ़ाई का क्रेज

विदेशों में जाने वाले अधिकांश विद्यार्थी वास्तव में कोई उच्च स्तरीय डिग्री प्राप्त करने नहीं, बल्कि वहां रोजगार प्राप्त करने के इरादे से जाते हैं, लेकिन भारतीय युवा यह समझने के लिए तैयार नहीं हैं कि इन देशों में भी रोजगार की भारी कमी है.

ब्रिक्स में बढ़ती अन्य देशों की दिलचस्पी

ब्रिक्स बनने से पहले विकासशील देशों की आवाज उठाने के लिए कोई प्रभावी वैश्विक मंच नहीं था. ब्रिक्स बनने के बाद विकासशील देशों के मुद्दों को थोड़ी बहुत आवाज मिलनी शुरू हुई. शायद इसीलिए अब और कई विकासशील 
देश ब्रिक्स की सदस्यता लेने हेतु इच्छुक हैं.

भुगतान प्रणाली का गेमचेंजर बनेगा यूपीआइ

यह एक त्वरित डिजिटल भुगतान प्रणाली है, जिसके माध्यम से विभिन्न बैंकों के बीच धन का स्थानांतरण किया जाता है. यह भारतीय रुपये पर आधारित है.

ऑनलाइन खेलों पर सरकार सख्त

सरकार द्वारा इन खेलों पर उच्चतम दर से जीएसटी लगाना इस बात का संकेत है कि सरकार एप के जरिये चलने वाले जुए अथवा तथाकथित कौशल आधारित खेलों में पैसा डुबोते नासमझ अथवा जानकारी के अभाव से ग्रस्त युवाओं की बदहाली के प्रति जागरूक है.
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