19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

kanguva movie review:खाली बर्तन बहुत शोर मचाते हैं कहावत को चरितार्थ करती है कंगुवा 

Advertisement

सूर्या और बॉबी देओल की फिल्म कंगुवा सिनेमाघरों में रिलीज हो गयी है. फिल्म को देखने जाने से पहले पढ़ ले यह रिव्यु 

Audio Book

ऑडियो सुनें

फ़िल्म – कंगुवा

- Advertisement -

निर्माता- के ज्ञानवेल राजा

निर्देशक- शिवा 

कलाकार- सूर्या,बॉबी देओल,दिशा पटानी, कार्थी और अन्य

प्लेटफार्म- सिनेमाघर

रेटिंग- डेढ़


kanguva movie review :इस साल की बहुप्रतीक्षित पैन इंडिया फिल्म कंगुवा ने सिनेमाघरों में दस्तक दे दी है.फिल्म की मेकिंग और ट्रीटमेंट को लेकर कई तरह की बातें हो रही थी. दावा किया जा रहा था कि यह परदे पर ऐसे पीरियड ड्रामा की कहानी को लेकर आएगी,जो ना कभी देखी गयी होगी ना कभी सुनी गयी होगी. वैसे सुनने के मामले में तो इस फिल्म का बीजीएम हो या किरदार इस तरह से चीख चिल्ला रहे हैं, जो इससे कभी भी सुना नहीं गया होगा. कमजोर लेखन वाली इस फिल्म में बस भर भर के एक्शन है. ड्रामा और इमोशन पूरी तरह से नदारद है.

कई पैन इंडिया फिल्मों की याद दिलाएगी कहानी


फिल्म की शुरुआत १०१८ से होती है लेकिन कुछ सेकेंड में ही कहानी २०२४ में पहुंच जाती है.पूरी फिल्म इनदोनों टाइमलाइनों  को साथ – साथ जोड़े हुए चलती है. ज़ेटा नाम का एक बच्चा है. जिसके दिमाग में कुछ एक्सपेरिमेंट चल रहा है. जिस वजह से उसके पास कुछ अजीबोगरीब शक्तियां भी हैं. वह उस एक्सपेरिमेंट से खुद को निकालकर किसी तरह गोवा पहुंचता है. जहां फ्रांसिस (सूर्या ) से उसकी मुलाकात होती है.उनका पिछले जन्म का कुछ कनेक्शन है. यह कनेक्शन दिखाने के लिए कहानी हजारों साल पीछे चली जाती है. कंगुवा एक ट्राइबल किंग है. जो अपने लोगों और अपनी धरती की रक्षा ना सिर्फ रोमन लोगों से बल्कि दूसरे कबीले के राजा उधिरन (बॉबी देओल )से भी युद्ध करता है.उधिरन के साथ उस युद्ध में कंगुवा को भारी कीमत चुकानी पड़ती है. जिसका कनेक्शन वर्तमान में उस बच्चे के साथ है.उस बच्चे के दिमाग में इतना एक्सपेरिमेंट क्यों किया गया है. कौन वो एक्सपेरिमेंट उस बच्चे के साथ कर रहा है. उसका मकसद क्या है. क्या वह कंगुवा और उस बच्चे के अतीत को जानता है. यह सब सवालों के जवाब फिल्म के दूसरे भाग में होगा.

फिल्म बनकर रह गयी है खामियों का ढेर  

यह एक पैन इंडिया फिल्म है और इसमें कई पैन इंडिया फिल्मों की झलक देखने को मिलती है. कंगुवा की दुनिया बाहुबली के हिंसक ट्राइबल किरदार की दुनिया लगती है. फिल्म में सूर्या का किरदार बाउंटी हंटर है और बच्चे के साथ जैसा एक्सपेरिमेंट दिखाया गया है. वह थोड़ी ही सही कल्कि की भी याद दिला जाती है.फिल्म कभी कभी मगधीरा वाला मोड भी ऑन कर देती है है.तो हालिया रिलीज हुआ देवरा का पांच द्वीपों वाली जगह यहाँ भी है. कई पैन इंडिया फिल्मों की झलक लिए यह फिल्म अपने शुरूआती आधे घंटे में बेहद बोझिल है. स्क्रीनप्ले में जिस तरह से कॉमेडी के लिए सोशल मीडिया की मीम्स का इस्तेमाल हुआ है. वह हंसाने से ज्यादा चिढ़ाता है. फिल्म में जब पीरियड वाली कहानी शुरू होती है, तो फिल्म से उम्मीद जगती है ,लेकिन जल्द ही वह उम्मीद भी धराशायी हो जाती है. फिल्म का लेखन बेहद कमजोर है. फिल्म की कहानी और उससे जुड़े इमोशंस से आप जुड़ाव ही महसूस नहीं करते हैं.कहानी  में बिल्डअप की भारी कमी है. बस लगता है कि एक सीन के बाद दूसरा सीन होता जा रहा है .बॉबी देओल के किरदार का लुक हो या उसके इंट्रोडक्शन की भूमिका फिल्म में बेहद लम्बी और धाकड़ बांधी गयी है, लेकिन फिल्म की कहानी में उसके साथ न्याय नहीं किया गया है. फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले के साथ – साथ साउंड सॉरी शोर कहना ज्यादा सही रहेगा. यह भी कमजोर पहलू है. फिल्म का बीजीएम लाउड होने के साथ – साथ किरदार भी बेहद चीख चिल्ला रहे है. हां एक्शन सीन्स में अच्छी मेहनत हुई है. जंगल में कंगुवा का अकेले 500 लोगों से भिड़ने वाला सीन हो या फिर महिला किरदारों द्वारा एक्शन का दृश्य अच्छा बन पड़ा है.सीन को अच्छी तरह से डिजाइन किया है. एक्शन सीन पूरी तरह से परफेक्ट रह गया हो. ऐसा भी नहीं है. क्लाइमेक्स में कार्गो शिप वाला एक्शन सीन हो या मगरमच्छ को मारने वाला पूरा सीक्वेंस इन दोनों ही दृश्यों में वीएफएक्स कमजोर रह गया है. फिल्म के अच्छे पहलुओं में इसकी सिनेमेटोग्राफी है.जो कंगुवा स्क्रीन पर खूबसूरत दिखाती हैं.फिल्म का गीत संगीत औसत है.

सूर्या का अभिनय फिल्म की एकमात्र राहत

अभिनय की बात करें तो यह फिल्म सूर्या की है और वह फिल्म में दोहरी भूमिका में हैं.फ्रांसिस और कंगुवा के किरदारों में वह नजर आ रहे हैं. कंगुवा की भूमिका में वह छाप छोड़ते हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है.उनके चेहरे के एक्सप्रेशन और आक्रामकता किरदार को प्रभावी बनाता है.हां फ्रांसिस के किरदार में उनका लुक अखरता है. बॉबी देओल अपनी भूमिका में ठीक रहे हैं. उनके करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं था, तो अभिनेत्री दिशा पटानी के लिए करने को कुछ भी नहीं था. बाकी के किरदार अपनी भूमिका के साथ न्याय करते हैं. कार्थी फिल्म के खत्म होने के कुछ मिनट पहले नजर आते हैं. फिल्म के दूसरे पार्ट में सूर्या और उनके बीच जंग देखने को मिलेगी. 


ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें