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Sunday, April 20, 2025 | 05:42 am

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उमेश चतुर्वेदी

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नक्सलवाद पर नकेल के नाम रहा बीता वर्ष

Naxalism In India : नक्सली आतंक पर सफलता के पीछे रही तीन स्तरीय रणनीति, जिसके तहत सबसे पहले नक्सलियों पर समर्पण का दबाव बनाया गया. यदि इसके बावजूद नक्सली नहीं माने, तो उसकी गिरफ्तारी के लिए रणनीति बनायी गयी.

संविधान बचाने के नाम पर राजनीतिक नूराकुश्ती, पढ़ें उमेश चतुर्वेदी का खास लेख

Political Fight Between Congress BJP : इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति लहर को छोड़ दें, तो मोटे तौर पर कांग्रेस जातीय गणित का समीकरण साधकर राजनीतिक जीत हासिल करती रही. अतीत में कांग्रेस का आधार वोट बैंक दलित, ब्राह्मण और मुस्लिम समुदाय रहा.

जयंती विशेष : भारत की मजबूत नींव के निर्माता थे सरदार पटेल

Sardar Vallabhbhai Patel : आधुनिक भारत की कई ऐसी नीतियां हैं, जिन पर संदर्भ की जब भी जरूरत महसूस हो, उस पर इस्पाती विचार चाहिए, तो सरदार कभी निराश नहीं करेंगे. राष्ट्रीय एकीकरण तो उनके व्यक्तित्व का निश्चित तौर पर बड़ा पहलू है.

चीन से सचेत रहना होगा भारत को

india-china-relations: भारत ने सैनिक और आर्थिक मोर्चे पर लंबा सफर तय कर लिया है, तो चीन इस अवधि में दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. ऐसे में सीधी सैनिक कार्रवाई की अपनी सीमाएं थीं. इसलिए विपक्षी दलों के उकसावों के बावजूद मोदी सरकार ने कूटनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर चीन को घेरना शुरू किया.

स्वच्छ भारत अभियान का एक दशक

साल 2020 से स्वच्छ भारत अभियान संपूर्ण स्वच्छता अभियान में तब्दील किया जा चुका है. इसके लिए 1.40 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. जाहिर है कि स्वच्छता के मोर्चे पर देश ने बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि देश ने इस दिशा में सब कुछ हासिल कर लिया है. अब भी हमारे देश के कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां का मानस सार्वजनिक स्वच्छता को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध और सचेत नहीं हो पाया है. इस वर्ग को पूरी तरह प्रतिबद्ध और सचेत करना आवश्यक है.

अतीत और वर्तमान की बाधाओं से जूझती हिंदी

Hindi Diwas 2024 : हिंदी की राह में आजादी के पहले ज्यादा बाधाएं नहीं थीं. इसकी शायद यह बड़ी वजह रही कि भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के अगुआ महात्मा गांधी स्वयं हिंदी के हिमायती थे. उनके पहले केशव चंद्र सेन, लोकमान्य तिलक जैसी व्यक्तित्व भी हिंदी की सामर्थ्य को पहचान चुके थे.

जम्मू-कश्मीर : किस करवट बैठेगा चुनावी ऊंट

Jammu Kashmir Election : जम्मू-कश्मीर की मौजूदा विधानसभा में अब 114 सीटें हैं, जिनमें से 24 सीटें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लिए सुरक्षित हैं. चुनाव बाकी 90 सीटों के लिए हो रहा है. इस चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन है, जबकि पीडीपी अकेले लड़ने की तैयारी में है.

लाल किले से प्रधानमंत्री का संदेश

मोदी ने इस छवि को तोड़ने की कोशिश की है. अल्पसंख्यक मंत्रालय के जरिये बड़ी योजनाएं शुरू हुईं. लेकिन कभी भी मुस्लिम समुदाय का ठोस समर्थन भाजपा को नहीं मिला. उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के एक गांव को लेकर खबरें भी आयीं कि इस मुस्लिम बहुल इस गांव में सैकड़ों परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना का फायदा मिला, पर लोकसभा चुनाव में इस गांव में भाजपा को महज चार-पांच वोट ही मिले.
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