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अजीत रानाडे

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चुनौती बन गये हैं बैंकों के फंसे कर्ज

आरबीआइ द्वारा दरों में कटौती के बावजूद बैंक अच्छे कर्जदारों को कम ब्याज लागत देने में असमर्थ हैं, क्योंकि एनपीए का बोझ बढ़ रहा है.

फसल की कीमतों का भी आश्वासन मिले

एपीएमसी को कमजोर किये जाने से एमएसपी की व्यवस्था खत्म हो जायेगी. इसलिए मौखिक आश्वासन ही नहीं, बल्कि नीति निर्माताओं को लिखित रूप में भी देना चाहिए.

बैंकों को बोझ नहीं, सहयोग की जरूरत

बैंकों पर अनुचित बोझ डालने के बजाय यह बेहतर है कि सरकार इसे अपने स्तर पर सुलझाये और सीधे सरकारी खजाने से करदाताओं को राहत दे.

औद्योगिक नीति में स्थायित्व जरूरी

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मंदी व महंगाई की दोहरी चुनौती

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मानव पूंजी निर्माण पर हो ध्यान

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नये वर्ष में आर्थिक बेहतरी की आस

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महामारी के बाद बजट से उम्मीदें

यह बजट असाधारण परिस्थितियों में पेश होगा. चालीस सालों में यह पहला मौका है, जब बजट को मंदी के बाद सदन के पटल पर रखा जा रहा है.

बजट में विकास को प्रोत्साहन

सबसे बड़ी राहत की बात यह है कि बजट में कोई भी नया कर नहीं लगाया गया है तथा वित्त मुहैया कराने के सभी रास्ते पूरी तरह खोल दिये गये हैं.
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