27.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 04:17 pm
27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

औद्योगिक नीति में स्थायित्व जरूरी

Advertisement

औद्योगिक नीति में स्थायित्व जरूरी

Audio Book

ऑडियो सुनें

डॉ अजीत रानाडे

- Advertisement -

अर्थशास्त्री एवं सीनियर फेलो, तक्षशिला इंस्टीट्यूशन

एक समय मोबाइल फोन हैंडसेट में नोकिया पूरी दुनिया में शीर्ष पर था. इसका सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग प्लांट भारत के पेरुंबुदूर में था, जो विशेष आर्थिक जोन का हिस्सा था. छह वर्ष में इसने 50 करोड़ से अधिक हैंडसेट का प्रोडक्शन किया, जिसमें अधिकांश का निर्यात किया गया. नोकिया ने 30,000 से अधिक लोगों को रोजगार दिया था, जिसमें अप्रत्यक्ष रोजगार भी था.

साथ ही बड़ी संख्या में महिलाओं को रोजगार मिला हुआ था. भारत में विनिर्माण का बड़ा केंद्र बनाने के क्या मायने हैं, नोकिया वास्तव में इसका रॉकस्टार उदाहरण था. वैश्विक ब्रांड के तौर पर उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों और उच्च गुणवत्ता वाले रोजगार के लिए भी नोकिया की पहचान थी. उस समय यह ‘मेड इन इंडिया’ का बड़ा ब्रांड था. लेकिन, ‘मेक इन इंडिया’ का नारा बनने से बहुत पहले ही नोकिया का प्लांट बंद हो गया. बिजनेस स्कूलों के लिए यह एक केस स्टडी बन चुका है कि कैसे स्वप्न जैसी सफल कहानी का अंत हो गया.

भारतीय कारखानों की बर्बादी के विस्तृत विवरण के लिए यह स्थान नहीं है. कर अधिकारियों द्वारा दिखाया गया अत्यधिक उत्साह, टैक्स टेररिज्म की सीमाबंदी और वादाखिलाफी भी इसकी एक वजह रही. नोकिया की असफलता का भी दोष है कि वह स्मार्टफोन की वैश्विक क्रांति के साथ तालमेल नहीं बिठा सका. वह कम कीमत के बड़े पैमाने पर फीचर फोन के उत्पादन क्षमता में ही फंसा रहा. इस दुखद कहानी से बचा जा सकता था और नोकिया के साथ-साथ वैश्विक बाजार में भारत की मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग क्षमता की शानदार कहानी लिखी जा सकती थी.

अहम है कि हमने नोकिया की कहानी से क्या सीखा? कर वसूलने वालों के अति उत्साह की कहानी अब भी जारी है. पूर्वी एशियाई स्तर पर कॉरपोरेट टैक्स रेट और नयी मैन्युफैक्चरिंग सुविधाओं के 15 प्रतिशत तक नीचे आने के बावजूद पुरानी मानसिकता बरकरार है. भारत की कर व्यवस्था, जिसमें जीएसटी भी शामिल है, वह बोझिल है और प्रतिस्पर्धा को रोकती है.

फोन बनाने के लिए हम एप्पल को भारत में आकर्षित करने में सफल रहे, यह खुशी का विषय है. लेकिन, नोकिया द्वारा सालाना 10 करोड़ फोन प्रोडक्शन के लक्ष्य को हासिल करने की तुलना में यह बहुत ही कम है. एप्पल की कहानी सफल रहने की बड़ी वजह ‘उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना’ रही, जो उत्पादन को बढ़ावा देने से संबंधित है.

इसका 13 क्षेत्रों में विस्तार किया गया है, जिसमें मोबाइल फोन, दवाओं, बैट्री सेल, मानव निर्मित वस्त्र, ऑटो कंपोनेंट और सोलर पैनल शामिल हैं. अगले पांच वर्षों में प्रोत्साहन पर कुल बजट की व्यवस्था लगभग दो ट्रिलियन रुपये है. ऐसा लगता है कि पीएलआइ योजना को संरक्षण (वाया इंपोर्ट टैरिफ) द्वारा सहयोग दिया जायेगा. यह पुरानी अर्थशास्त्र पाठ्यपुस्तक का दृष्टिकोण है कि देश में निवेश आकर्षित करने के लिए आप टैरिफ दीवार को ऊंचा कर देते हैं.

अतः विदेशी कंपनियों को भारत के बड़े उपभोक्ता बाजार तक पहुंचने के लिए इस दीवार को पार करना होगा. इससे वे भारत में निवेश के लिए मजबूर होंगे. नोकिया या श्रीपेरुंबुदूर से हमें यह सीख नहीं मिलती. प्लांट भारत में टैरिफ दीवार पार करके नहीं आया था, बल्कि सस्ते श्रम और कौशल के साथ एसइजेड में कारोबार सुगमता की वजह से वह आकर्षित हुआ था.

अगर हम इंपोर्ट टैरिफ को बढ़ाकर घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन देते हैं, तो इससे घरेलू खरीदारों के लिए कीमतों में इजाफा होगा. आयातित पुर्जों का प्रयोग कर अपने उत्पादों को दोबारा निर्यात करनेवाले उद्यमियों के लिए यह निर्यात कर की तरह ही होगा.

दुर्भाग्य से, टैरिफ में कमी लाने की ढाई दशक पुरानी प्रगति को भारत ने 2018 में पलट दिया. तब से औद्योगिक उत्पादों पर भारत का औसत आयात टैरिफ 13 प्रतिशत से बढ़कर 18 प्रतिशत हो चुका है. उच्च आयात शुल्क से घरेलू कीमतें बढ़ जाती है. पीएलआइ योजना का दृष्टिकोण विजेताओं और चैंपियन को चुनना है. कुछ क्षेत्रों के लिए तो यह सही है.

जैसे, भारत एडवांस्ड फार्मास्युटिकल्स इंटरमीडिएट्स (एपीआइ) के 68 प्रतिशत आयात के लिए चीन पर निर्भर है, जिसे कम करने की जरूरत है. लेकिन, भारत पश्चिम को बड़े स्तर पर दवा निर्यात करता है, जिसके लिए वह चीन से एपीआइ के आयात पर निर्भर है. अतः एपीआइ के लिए पीएलआइ अच्छा है.

चीन पर निर्भरता खत्म करने में कुछ समय लगेगा. कुल मिलाकर, विजेताओं और चैंपियन को चुनने का काम सरकार का नहीं होना चाहिए, विशेषकर तीव्र प्रौद्योगिकी के मामले में. कल्पना कीजिये, अगर नोकिया के सस्ते 2जी फोन के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए सरकार की पीएलआइ योजना लागू होती, तो यह अप्रचलित प्रौद्योगिकी के भुगतान में फंस जाती . अगर इसे अचानक बंद कर देती, तो सरकार अपनी बाध्यता से मुकरने की दोषी होती.

फास्ट टेक्नोलॉजी के औद्योगिक क्षेत्र में उत्पादन को प्रोत्साहन देने में यह आशंकाएं रहती हैं. पीएलआइ स्कीम के साथ एक और समस्या है कि सरकार कई सारे विवरण निर्दिष्ट करने और सूक्ष्म प्रबंधन का प्रयास करती है. यह सरकार के नौकरशाही दृष्टिकोण या सब्सिडी के गलत इस्तेमाल को रोकने की सतर्कता की वजह से हो सकता है. इस प्रकार औद्योगिक नीति बहुत दखल देनेवाली, बहुत ही निर्देशात्मक, विजेताओं को चुनने की बहुत उत्सुक और संरक्षणवाद पर बहुत आधारित होती है, जिससे सफलता के बजाय उलझन बढ़ती है.

बीएसएनएल का हालिया मामला एक उदाहरण है. अपने 4जी नेटवर्क के लिए चीनी आपूर्तिकर्ता के साथ तय निविदा से अलग होने के लिए उसे मजबूर किया गया. नया बिडर्स 89 प्रतिशत अधिक महंगा था और बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए उसके पास अनुभव नहीं था. सोलर पैनल में यही असंगति है, जहां एक तरफ हम सौर क्षमता के 100 गीगावॉट के लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं, तो वहीं विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर टैरिफ बाधा लगाते है.

इससे घरेलू सोलर पावर के उत्पादन की लागत बढ़ेगी. अत्यधिक शर्तें थोपने से भारत की औद्योगिक नीति असंगत बन जायेगी. बेहतर होगा कि व्यापक तौर पर नीतियों में निजी और विदेशी निवेशकों को स्थायित्व, पूर्वानुमान और सततता प्रदान की जाए. यदि आप सफल होना चाहते हैं, तो सूक्ष्म विनिर्देशों को छोड़ना होगा.

Posted by : sameer oraon

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें