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मोक्ष के मार्ग खोलती है पापमोचनी एकादशी
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी पापों को नष्ट करनेवाली होती है. स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने इसके फल एवं प्रभाव कोअर्जुन के समक्ष प्रस्तुत किया था. पापमोचनी एकादशी व्रत साधक को उसके सभी पापों से मुक्त कर उसके लिए मोक्ष के मार्ग खोलती है.
इस व्रत में भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा की जाती है. हिंदू कैलेंडर के मुताबिक हर 11वीं तिथि को एकादशी का व्रत किया जाता है. एक माह में दो एकादशी व्रत आते हैं, जिनमें से एक शुक्ल पक्ष में आता है और एक कृष्ण पक्ष (13 मार्च) में. माना जाता है कि इस व्रत को करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
इस व्रत को अन्य उपवासों की तरह केवल एक दिन के लिए नहीं रखा जाता, अपितु दो दिनों यानी लगभग 48 घंटों के लिए रखा जाता है. व्रत से एक दिन पहले भक्तगण केवल एक समय ही भोजन करते हैं और एकादशी के दिन कठोर उपवास करते हैं, जिसे एकादशी के अगले दिन सूर्योदय के बाद ही खोला जाता है.
एकादशी व्रत में सभी तरह के अन्न का सेवन वर्जित माना जाता है. व्यक्ति अपनी मन की शक्ति और शरीर के सामर्थ्य के अनुसार, निर्जला, केवल पानी के साथ, केवल फलों के साथ या एक समय सात्विक भोजन के साथ इस उपवास को रख सकता है.
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