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बिहार: तीन दिवसीय कला प्रदर्शनी ‘अभिव्यंजना’ शुरु, 26 कलाकारों की 66 कलाकृतियों की लगी प्रदर्शनी

बिहार की लोक कथाओं को परिभाषित किया गया है. इसमें कई चीजें काल्पनिक भी हैं. पेंटिंग में कौआ, राजा-रानी, परि, हाथी आदि को दर्शाया गया है.

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लाइफ रिपोर्टर@पटना  
बिहार कला मंच और कला एवं शिल्प महाविद्यालय पटना के संस्थापक प्राचार्य राधा मोहन की जयंती पर तीन दिवसीय कला प्रदर्शनी ‘अभिव्यंजना’ की शुरुआत की गयी है. बिहार ललित कला अकादमी में मंगलवार को कला प्रदर्शनी का उद्घाटन बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने किया. यह प्रदर्शनी 11 जनवरी तक आयोजित की जायेगी. इसमें ‘अर्थशिला’ और ‘पहल’ का भी सहयोग है.

‘अभिव्यंजना’ में बिहार के कुल 26 कलाकारों की 66 कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है. प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि इतने सारे कलाकारों को एक जगह लाकर एक मंच प्रदान करने का कार्य बेहद सराहनीय है. यहां अलग-अलग थीम पर बनीं पेंटिंग और कलाकृतियां अपनी-अपनी कहानियां बयां कर रही हैं. इस प्रदर्शनी की खास बात यह है कि इसे जिलों में भी प्रदर्शित किया जा रहा है.



पद्मश्री श्याम शर्मा ने राधामोहन को किया याद


उद्घाटन के मौके पर विहार कला मंच के अध्यक्ष पद्मश्री श्याम शर्मा ने राधामोहन को नमन करते हुए उनके योगदान पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि बिहार लोक कलाओं के लिए जाना जाता है. समसामयिक कलाकार आज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पटल पर बिहार को गौरवान्वित कर रहे हैं. ठीक इसी प्रकार लोकल कलाकार भी अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं. विषम परिस्थितियों के बावजूद इनमें मौजूद ऊर्जा और जुनून काबिले तारीफ है. पिछले 15 साल से बिना किसी सरकारी अनुदान के यह संस्था लगातार काम कर रही है.



प्रदर्शनी में तीन पीढ़ियों का है समागम

बिहार संग्रहालय के अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि इस प्रदर्शनी में तीन पीढ़ियों का समागम देखने को मिल रहा है. वरिष्ठ कलाकारों में प्रो श्याम शर्मा, रजत घोष जैसे कलाकार हैं. इनके बाद की पीढ़ी मनोज कुमार बच्चन, प्रो अजय पांडे और नयी पीढ़ी शामिल है. पूरे साल इन कलाकृतियों की प्रदर्शनी विभिन्न जिलों में लगायी जायेगी.

जबकि दिसंबर में मुख्य प्रदर्शनी यहीं लगेगी. मौके पर निफ्ट के डायरेक्टर कर्नल राहुल शर्मा ने कहा कि हर एक चित्र अपनी कहानी ब्यां कर रही है, जिसमें समाज से जुड़ा संदेश है. यह प्रदर्शनी आपके पैशन को दर्शाता है. मौके पर अतिथियों को कलाकारों ने अपनी बनायी पेंटिंग और कलाकृतियों से परिचय कराया.



इन कलाकारों की लगी है प्रदर्शनी


रजत घोष, मनोज कुमार बच्चन, प्रो अजय पांडे, रश्मि सिंह, सुनील कुमार चौधरी, अर्चना कुमार, स्मिता परासर, मनीष उपाध्याय, डॉ प्रदीप कुमार, मनोज कुमार साहनी, सत्या सार्थ,सोमा आनंद झा, संजय कुमार सिंह, नरेंद्र नेचर, रंजन कुमार, प्रदीप कुमार झा. चंदन कुमार, शिल्पा कुमारी, कुमार विश्वास, चंदन सिकंदर, वीरेंद्र कुमार सिंह, शिवशंकर सिंह, राखी कुमारी व ऐश्वर्या सर्राफ.



यहां प्रतियोगिता का भी हो रहा आयोजन


प्रदर्शनी के दौरान बच्चों के लिए प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया है. पहले दिन आठ जनवरी को 10वीं व 11वीं, दूसरे दिन नौ जनवरी को पांचवीं से 9वीं और तीसरे दिन 10 जनवरी को दो से चौथी कक्षा तक के बच्चे भाग ले सकते हैं. बता दें कि विहार कला मंच का राज्य के हर जिलों में कला अधिकारियों की नियुक्ति में अहम योगदान रहा है. यह संस्था लोक कलाकारों की तरह 60 साल होने के बाद मिलने वाले आठ हजार रुपये मासिक पेंशन समकालीन कलाकारों को भी पेंशन दिलाने पर काम कर रही है.  



ब्लॉक के जरिये अपनी बात कहता हूं : पद्मश्री प्रो श्याम शर्मा


बिहार की लोक कथाओं को मैंने परिभाषित किया है. इसमें कई चीजें काल्पनिक भी हैं. पेंटिंग में कौआ, राजा-रानी, परि, हाथी आदि को दर्शाया गया है. हालांकि, एक कलाकार के पास दुविधा रहती है कि कहां इसे खत्म करें. जैसे सब्जी बनाने के दौरान तेजपत्ता डाल लें, गर्म मसाला डालें, तो लगता है घी भी डाल दें. मैं ब्लॉक के जरिये ही अपनी बात कहता हूं. मैं अपनी पेंटिंग में ब्रश का प्रयोग नहीं करता.



इन कलाकारों की लगी है खूबसूरत पेंटिंग


1. बिरेंद्र कुमार सिंह : 
वरिष्ठ कलाकार बिरेंद्र कुमार सिंह ने अपने पेंटिंग के जरिए कृष्ण व राधा के प्रेम को दर्शाया है. समसामयिक कला में उन्होंने दो पेंटिंग को लगाया है. वे कहते हैं कि एक पेंटिंग को तैयार करने में करीब तीन हजार रुपये का खर्च आता है.  

2. रजत घोष :  मूर्तिकला और टेराकोटा में विविध प्रयोगों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित रजत घोष की कलाकृति लोगों को काफी आकर्षित कर रही हैं. इनकी चार कलाकृतियां प्रदर्शित की गयी हैं. इनमें जिउतिया, सिद्धार्थ व अग्निपथ कलाकृति मुख्य हैं.

3. शिल्पा कुमारी :  शिल्पा कुमारी की कलाकृति के जरिए स्त्री के सपने और उनकी संघर्ष को समझा जा सकता है. इनकी कलाकृतियों में मॉडलिंग के लिए पैसे की दिक्कत से कम उम्र में काम करने की पीड़ा भी दिखती है.

4. मनोज बच्चन :  पिछले 41 साल से कला के क्षेत्र में योगदान देने वाले वरिष्ठ कलाकार मनोज बच्चन ने अपनी कलाकृतियें के जरिए पर्यावरण पर बड़ा सवाल खड़ा कर रही है. उन्होंने कहा कि जब पृथ्वी पर हरियाली नहीं रहेगी, तो तितलियां कहां बैठेंगी?

5. शिवशंकर सिंह : मनेर निवासी शिवशंकर सिंह को पुराने शहरों को उकेरना पसंद है. कला दीर्घा में उन्होंने दो तस्वीरों को प्रदर्शित किया है. जिसमें देवघर व बनारस को दिखाया है. इसमें दीवारों पर स्क्रैच, ब्राइट कलर, संकरी गलियां, बचपन आदि देखने को मिलेगा.  

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