27.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 04:25 pm
27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

नये कानून में रिहाई का रोडमैप

Advertisement

न्याय में देरी, मुकदमों के अंबार और लाखों कैदियों की वजह से पीड़ित परिवारों का सामाजिक और आर्थिक ढांचा दरक रहा है. पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने अमेरिकी उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश फ्रैंकफर्टर को उद्धृत करते हुए कहा था कि अदालतें लोकतांत्रिक समाज का अच्छा प्रतिबिंब बनने के लिए डिजाइन नहीं की गयी हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल ने कोर्ट में जज के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा है कि ऐसी जिंदगी से जेल में मर जाना ही बेहतर है. गोयल सरकारी बैंकों को सैकड़ों करोड़ों का चूना लगाने के आरोप में सिर्फ चार माह से ही मुंबई के आर्थर रोड जेल में बंद है. लेकिन अपराध से ज्यादा सजा काट चुके देश भर की जेलों में बंद लाखों कैदियों की आवाज बाहर नहीं आ पाती. गृह मंत्रालय के अनुसार देश में लगभग 5.5 लाख कैदी हैं, जिनमें से आधे से ज्यादा गैर संगीन अपराधों में बंद हैं. इनमें अधिकतर अधिकतम सजा से ज्यादा समय से जेल में हैं. उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 1.21 लाख, बिहार में 64,914 और झारखंड में 19,415 कैदी जेलों में हैं. इन कैदियों में अनेक किशोर और महिलाओं के छोटे बच्चे हैं.

- Advertisement -

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के अनुसार, विचाराधीन कैदियों के अंबार से पुलिस और प्रशासन के काम के साथ आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है. देश के 30 फीसदी जेलों में क्षमता से डेढ़ गुना ज्यादा कैदी होने से हालात बड़े खराब हैं. दिल्ली की तिहाड़ जेल में अधिकारियों के निलंबन से साफ है कि वीआईपी कैदियों की देखरेख में मगन जेल प्रशासन को गरीब कैदियों की रिहाई की ज्यादा फिक्र नहीं है. नवंबर में झारखंड के रांची जेल में ईडी की छापेमारी से पता चला कि कैदियों ने राज्य सरकार, केंद्र सरकार और ईडी को शिकायती पत्र लिखे थे. उन्हें आगे भेजे बगैर जेल प्रशासन ने रजिस्टर में उन पत्रों को डिस्पैच दिखाकर मामले को रफा-दफा कर दिया. पिछले महीने धनबाद जेल में बंद गैंगस्टर को गोली मार दी गयी. जेलों में अनेक शातिर और माफिया अपराधी बंद होते हैं. इस कारण छोटे मुजरिमों के लिए जेल अपराध की पाठशाला बन गये हैं.

कानून के अनुसार जेल अपवाद है और जमानत नियम. न्याय में देरी, मुकदमों के अंबार और लाखों कैदियों की वजह से पीड़ित परिवारों का सामाजिक और आर्थिक ढांचा दरक रहा है. पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने अमेरिकी उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश फ्रैंकफर्टर को उद्धृत करते हुए कहा था कि अदालतें लोकतांत्रिक समाज का अच्छा प्रतिबिंब बनने के लिए डिजाइन नहीं की गयी हैं. राष्ट्रपति मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी ने जेल में बंद कैदियों की पीड़ा को कई बार व्यक्त किया है. इसीलिए संसद से पारित नये कानूनों में ज्यादा जोर मुकदमों के जल्द निपटारे और बेगुनाह कैदियों की रिहाई पर है. नये कानूनों में 35 प्रावधानों के माध्यम से जल्द निपटारे की समय-सीमा जोड़ी गयी है. आपराधिक कार्यवाही शुरु करने, गिरफ्तारी, जांच, आरोप पत्र, मुकदमों की शुरुआत, कॉग्निजेंस चार्जेज, प्ली बारगेनिंग, लोक अभियोजक की नियुक्ति, जमानत, ट्रायल, फैसला, सजा, अपील और दया याचिका सभी के लिए समय-सीमा निर्धारित की गयी है. इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन के माध्यम से शिकायत देने वाले व्यक्ति द्वारा तीन दिनों के भीतर एफआईआर को रिकॉर्ड पर लिया जाना होगा. यौन उत्पीड़न के पीड़ित की चिकित्सा जांच रिपोर्ट मेडिकल एग्जामिनर द्वारा सात दिनों के भीतर जांच अधिकारी को भेजना होगा. पीड़ित पक्ष को जांच की स्थिति के बारे में 90 दिनों के भीतर सूचना देने का कानून है. पहली सुनवाई से 60 दिनों के भीतर आरोप तय करने की कार्रवाई करनी होगी. ट्रायल खत्म होने के बाद 45 दिनों के भीतर फैसले का नियम है. सत्र न्यायालय में बहस पूरी होने के 30 दिनों के भीतर फैसला करना होगा.

इसके लिए तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए कानूनी बदलाव किये गये हैं ताकि समय की बचत हो और जल्द फैसला हो. सभी थानों का कंप्यूटराइजेशन होगा, जिससे जीरो एफआईआर और ई-एफआईआर ऑनलाइन दर्ज करायी जा सके. पुलिस की चार्जशीट को अदालत में डिजिटल तरीके से जमा करने का प्रावधान है. एफआईआर और चार्जशीट के बारे में पीड़ित पक्ष को 90 दिनों के भीतर पुलिस अधिकारी डिजिटल माध्यम से जानकारी देंगे. हर स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए भी प्रावधान हैं. कानून में बदलाव और पुलिस के आधुनिकीकरण के साथ अदालतों का भी डिजिटलकरण होगा. नये कानूनों के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग पेश की जा सकेगी. अदालत के सम्मुख इलेक्ट्रॉनिक या ऑनलाइन माध्यम से पेश होने की अनुमति मिलेगी. नये कानून में आवाज के नमूने और उंगलियों के निशान उपलब्ध कराने का निर्देश देने से कैदियों की बेहतर मॉनिटरिंग हो सकेगी. कैदियों की समयबद्ध रिहाई के लिए पुलिस, वकील, जज और जनता में जागरूकता बढ़ाने का अभियान शुरु करना होगा. नये कानूनों में जल्द न्याय को सुनिश्चित करने के लिए हर स्तर पर ऐसा ढांचा बनाने की जरूरत है, जिसमें विलंब के सभी तिकड़मों को खत्म होने से अंडरट्रायल कैदियों की जल्द रिहाई मुमकिन हो सके.

नये कानूनों को मंजूरी मिल गयी है, लेकिन उनके अनुसार कैदियों की जल्द रिहाई सुनिश्चित करने के लिए कानूनों को लागू करने की अधिसूचना जारी करनी होगी. उसके बाद अदालती आदेश से कम गंभीर अपराधों के लिए बंद लगभग 82 हजार कैदियों की रिहाई हो सकती है. नये कानून के तहत दर्ज अपराधों में जमानत के मामलों की ऑनलाइन सुनवाई होने से जल्द रिहाई हो सकेगी. इससे पुलिस का समय बचेगा, जिससे मुख्य मामलों की जांच जल्द पूरी हो पायेगी. इसके लिए राज्यों में विधिक सेवा प्राधिकरण, जेल अधिकारियों, जज, पुलिस और वकीलों को प्रशिक्षित करना होगा. जिन कैदियों के पास जमानत के पैसे नहीं हैं, उनके लिए पिछले साल केंद्र सरकार ने बजट से विशेष कोष की व्यवस्था की थी. जेल, जिला अदालतें और पुलिस प्रशासन संविधान के अनुसार राज्यों का विषय हैं. इसलिए केंद्र सरकार के बनाये नये कानून के अनुसार पात्र कैदियों को छुड़ाने के लिए राज्य सरकार के साथ जेल प्रशासन का भी महत्वपूर्ण सहयोग चाहिए होगा. समय पर रिहाई न होने पर कैदियों को मुआवजा मिले और लापरवाह अधिकारी दंडित हों, इस दिशा में भी अदालतों को आदेश पारित करने की जरूरत है.

केंद्र सरकार कतर की जेल में बंद भारतीय कैदियों की रिहाई के लिए मुकदमों में पूरा सहयोग कर रही है. उसी तरह भारत की जेलों में बंद बेगुनाह कैदियों की रिहाई के लिए राष्ट्रीय अभियान की जरूरत है. राम राज्य में सभी को बराबरी से न्याय मिलता था. अयोध्या में राम मंदिर के भव्य उद्घाटन के साथ गरीबों को जल्द न्याय और जेलों से रिहाई के लिए नये कानूनों पर दृढ़ता से अमल की जरूरत है. इन कानूनों को प्रभावी तरीके से लागू करने का ठोस सिस्टम बने, तो लाखों कैदियों के परिवारों में उजाला आ सकता है.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें