15.1 C
Ranchi
Thursday, February 13, 2025 | 07:43 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

झारखंड : न बोनस मिला और न समर्थन मूल्य, धान बेचने के 8 महीने बाद भी गढ़वा के किसानों के हाथ खाली

Advertisement

गढ़वा जिले के धान बेचनेवाले किसानों को अभी तक पूर्व में बेचे गये धान का भुगतान नहीं हुआ है. ना ही बोनस मिला और ना ही समर्थन मूल्य मिलने से किसान परेशान हैं. नये धान तैयार करने के लिए रोपनी समय पर शुरू हुआ, लेकिन जिले के 472 में से 410 किसानों को अब तक समर्थन मूल्य नहीं मिला है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

गढ़वा, पीयूष तिवारी : किसानों ने बिचड़े तैयार कर लिये हैं और एक सप्ताह में गढ़वा जिले में धान की रोपाई जोर-शोर से शुरू होने की संभावना है. लेकिन, सरकार पिछले साल 2022-23 में गढ़वा जिले के धान बेचनेवाले किसानों को अभी तक पूर्व के बेचे गये धान का ही भुगतान नहीं कर सकी है. इस वजह से किसानों को इस समय संतोषजनक बारिश होने के बावजूद बुआई-जोताई व रोपाई को लेकर आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

पिछले साल 472 किसानों ने 25,132 क्विंटल धान बेचा

पिछले साल सुखाड़ की स्थिति में भी गढ़वा जिले के 472 किसानों ने 25,132 क्विंटल धान बेचा था. धान बेचे आठ-नौ महीने बीतने के बाद भी अभी तक सिर्फ 62 किसानों को ही धान का पूरा समर्थन मूल्य प्राप्त हुआ है. शेष 410 किसान अभी भी धान का मूल्य पाने के लिए प्रतीक्षारत हैं. जिन 62 किसानों को पूरा समर्थन मूल्य प्राप्त हुआ है, उन्हें भी बोनस के रूपये प्राप्त नहीं हुए हैं. यहां यह भी गौरतलब है कि पिछले साल सुखाड़ की स्थिति में सरकार ने 1.50 रुपये प्रति किलो की दर से मिलनेवाले बोनस को घटाकर मात्र 10 पैसे प्रति किलो कर दिया था, लेकिन यह रुपये भी अभी तक एक भी किसान को भुगतान नहीं किये गये हैं.

गढ़वा जिले में धान क्रय व भुगतान की स्थिति

गढ़वा जिले में वित्तीय साल 2022-23 में जिले के 24 पैक्स के माध्यम से 472 किसानों से 25,132 क्विंटल धान की खरीद की गयी थी. इसके बदले में किसानों को 20.40 रुपये प्रतिकिलो की दर से समर्थन मूल्य तथा 10 पैसे बोनस के भुगतान करने थे. राज्य सरकार की ओर से शुरू में घोषणा की गयी थी कि धान बेचने के दो दिन के बाद ही खाते में पूरे समर्थन मूल्य का भुगतान कर दिया जायेगा, लेकिन सरकार ने एक बार पूरे रुपये भुगतान करने के बजाय उसे तीन किस्त में देेने के लिए बांट दिया है. इसमें प्रथम किस्त की राशि सभी 472 किसानों को भुगतान कर दिया गया है. लेकिन द्वितीय किस्त की राशि अभी तक सिर्फ 62 किसानों को ही भुगतान किया गया है. जबकि तीसरे किस्त में बोनस का भुगतान किया जायेगा, जिसे अभी तक एक भी किसान को नहीं किया गया है.

Also Read: झारखंड : गुमला में नकली और एक्सपायरी धान बीज व कीटनाशक की बिक्री, कृषि विभाग की छापामारी में हुआ खुलासा

शर्त की पेचीदगी में फंसा है मामला

गढ़वा जिले के किसानों से जो धान खरीदे गये हैं, वह धान अभी भी गढ़वा जिले के पैक्स गोदाम में ही पड़े हुए हैं. वर्तमान समय में बरसात की वजह से धान में नमी हो रही है और उसमें अंकुरण भी आने लगा है. इससे उसके बरबाद होने की संभावना है. खरीदे गये 25132 क्विंटल धान में से 10 जुलाई तक मात्र 5162 क्विंटल धान का ही उठाव हो सकता है. शेष 19970 क्विंटल धान अभी भी उठाव का इंतजार जोह रहे हैं. क्रय करनेवाले 24 में से एक भी पैक्स ऐसा नहीं है, जहां से शत-प्रतिशत धान का उठाव कर लिया गया हो. बताया गया कि धान मिलर की ओर से धान का उठाव करने में सुस्ती दिखायी जा रही है. इस वजह से क्रय करने के बाद इतना लंबे समय मिलने के बाद धान गोदामों में ही पड़े हुुए हैं.

मिलर की ओर से दिखायी जा रही सुस्ती

बता दें कि मिलर द्वारा धान उठाव का मामला किसानों के समर्थन मूल्य भुगतान से भी जुड़ा हुआ है. सरकार ने तय किया है कि प्रथम की किस्त की राशि धान खरीदने के बाद तथा द्वितीय किस्त की राशि मिलर द्वारा धान उठाव के बाद किया जाता है. जबकि द्वितीय किस्त की राशि मिलने के बाद बोनस का भुगतान करने का प्रावधान किया गया है. इसका किसान एवं इससे जुड़े संगठन हमेशा विरोध करते आये हैं. उनका कहना है कि मिलर की गलती का खामियाजा उन्हें क्यों भुगतना पड़ता है. यहां मिलरों के साथ भी यह शर्त जोड़ दी गयी है कि वे जब तक सीएमआर (कस्टम मिल राईस या उसना चावल) जमा नहीं करेंगे, तब तक वे धान का उठाव नहीं कर सकते हैं. जितना वे सीएमआर जमा करेंगे, उतना ही धान उठाव (प्रति क्विंटल धान के बदले 68 किलो चावल) कर सकते हैं. इस वजह से मिलर की ओर से सुस्ती दिखायी जा रही है. कुछ किसान संगठन गलत मिलर के चयन को लेकर भी सवाल उठाते रहे हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें