11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

History of Munda Tribes 8 : मुंडा समाज में मौजूद हैं दो शाखाएं, लोककथाओं में मिलते हैं प्रमाण

History of Munda Tribes : मुंडा जनजाति एक ओर जहां 21 किली या कबीले में बंटी थी, वहीं इनके बीच दो शाखाओं के होने के भी प्रमाण मिलते हैं. ऐतिहासिक प्रमाणों के साथ ही कई लोककथाएं भी इन दो शाखाओं को लेकर मुंडा समाज में विद्यमान हैं, जो दो भाइयों के अलगाव से संबंधित है

Audio Book

ऑडियो सुनें

History of Munda Tribes 8 : मुंडा आदिवासियों के इतिहास को जब हम समझने की कोशिश करते है, तो हमें खंगार मुंडा या पातर मुंडा की जानकारी मिलती है. यह मुंडा जनजाति का ही हिस्सा थे. इनके बारे में और अधिक जानकारी के लिए हमें मुंडाओं के इतिहास को प्राचीन समय से जानना होगा. मुंडा आदिवासी संतालों को अपना भाई मानती है. प्राचीन इतिहास के अनुसार ये दोनों जनजाति एक साथ ही सोन नदी को पार करके छोटानागपुर की तरफ बढ़ी थी, लेकिन वहीं से इनका अलगाव हुआ. मुंडा जब छोटानागपुर में प्रवेश कर रहे थे, उसी दौरान मुंडा जनजाति में भी विभाजन हुआ और एक वर्ग -खंगार मुंडा या पातर मुंडा के रूप में सामने आया, जबकि दूसरा वर्ग कोमपाट मुंडा कहलाया.

कौन थे खंगार मुंडा या पातर मुंडा?

इतिहासकार बालमुकुंद वीरोत्तम ने अपनी किताब झारखंड: इतिहास एवं संस्कृति में इस बात का जिक्र किया है कि मुंडा जाति दो शाखाओं में विभाजित थी, जिनके नाम हैं- 1. महली मुंडा और 2. कोमपाट मुंडा. वे अपनी किताब में बताते हैं कि इनदोनों शाखाओं के बीच श्रेष्ठता का मसला था और वे दोनों एक दूसरे को श्रेष्ठ बताते थे. शरत चंद्र राय ने भी अपनी किताब में मुंडा समाज की इन दोनों शाखाओं का जिक्र किया है. इन दो शाखाओं को लेकर मुंडा समाज में एक लोककथा प्रचलित है, जिसके बारे में मुंडा समाज के लोग आज भी बात करते हैं.

क्या है लोककथा?

Munda Brothers
मुंडा भाई, तस्वीर संस्कृति मंत्रालय

मुंडा समाज की दो शाखाओं के बारे में मुंडा समाज में जो कहानियां प्रचलित हैं उनके अनुसार जब मुंडा आदिवासी छोटानागपुर में प्रवेश किए, तो दो भाई आगे-पीछे चल रहे थे. जो भाई आगे चल रहे थे, उनकी पत्नी का प्रसव हुआ तो उन्होंने आगे बढ़ते वक्त बच्चे के नाल को चूल्हे में डाल दिया और चूल्हे को बंद करके आगे चले गए. पीछे चल रहे भाई जब उस जगह पर पहुंचे तो उन्हें ऐसा लगा कि उनके भाई ने उनके लिए शिकार का कुछ हिस्सा छोड़ दिया है और उन्होंने उस मांस को खा लिया. फिर जब दोनों भाई मिले तो सच्चाई का पता चला. इस सच्चाई के सामने आने के बाद ही मुंडा समाज दो भागों में विभाजित हुआ, जिस समाज ने अशुद्ध मांस खाया था उसे पातर मुंडा कहा गया और दूसरा को कोमपाट मुंडा कहा गया.

इसे भी देखें : History of Munda Tribes 7 : पड़हा राजा कैसे करते थे न्याय, कौन -कौन थे पदधारी और कब मिलती थी जिंदा गाड़ने की सजा

History of Munda Tribes 5 : पड़हा राजा के हाथों में होती थी शासन की कमान, आम सहमति से होते थे सभी कार्य

विभिन्न विषयों पर एक्सप्लेनर पढ़ने के लिए क्लिक करें

पातर मुंडा और कोमपाट मुंडा में नहीं है कोई विवाद : सुखदेव पाहन

सुखदेव पाहन बताते हैं कि पातर मुंडा और कोमपाट मुंडा दोनों ही मुंडा जाति का हिस्सा हैं. इनके बीच विवाद जैसा कुछ नहीं है, बस कुछ लोककथाएं हैं, जो यह बताती है कि मुंडा समाज में दो शाखाएं थीं और इनके बीच कुछ अलगाव था.

पातर मुंडा और कोमपाट मुंडा के बीच नहीं होती थी शादी : वीरेंद्र सोय

जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर वीरेंद्र सोय बताते हैं कि मुंडा समाज के बीच बंटवारा कब हुआ यह तो बता पाना मुश्किल है. लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि यह छोटानागपुर में प्रवेश के दौरान की बात ही रही होगी. जिस वक्त संताल और मुंडा साथ थे उसी दौरान की कहानी मेरी समझ से समाज में प्रचलित है, क्योंकि संताल में भी महली होते हैं, जिन्हें पातर मुंडा के समकक्ष माना जाता है. रीति-रिवाज तो दोनों के एक समान ही हैं, लेकिन कोमपाट मुंडा प्रकृति के ज्यादा नजदीक हैं, जबकि पातर मुंडा कुछ दूर प्रतीत होते हैं. संभवत: यह स्थिति भौगोलिक दुराव के वजह से भी बनी हो, यह संभव हो सकता है.

एक ही गांव में रहते थे पातर और कोमपाट : गुंजल इकिर मुंडा

गुंजल इकिर मुंडा बताते हैं कि पातर और कोमपाट दोनों ही मुंडा हैं, लेकिन ये दो शाखाओं में विभाजित हैं. जहां तक गांव ही बात है तो दोनों एक ही गांव में पहले भी रहते थे और आज भी रहते हैं. हां, दोनों शाखाओं में प्राचीन समय में शादी-विवाह वर्जित था.

पातर और कोमपाट के बीच का विभाजन भौगोलिक दूरी की वजह से बना होगा : रूपलक्ष्मी मुंडा

भारत मुंडा समाज की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रूपलक्ष्मी मुंडा बताती हैं कि मुंडा समाज में कोई विभाजन नहीं है. मैं तो सिंहभूम की हूं, तो मैंने इस तरह का कोई विभाजन नहीं देखा था. हां रांची में इस तरह की बातें होती हैं, लेकिन जहां तक बात रीति-रिवाज की है, तो मुंडा समाज की दोनों शाखाओं में कोई अंतर मुझे नहीं दिखता है. संभवत: इतिहास में यह दो भाइयों के बीच अनबन की बात रही होगी. जहां तक शादी-विवाह की बात है तो हमारी तरफ पुराने लोग यही बताते थे कि हम अपने परिचितों में शादी करते हैं.

इसे भी पढ़ें :-History of Munda Tribes 2 : मगध से झारखंड की ओर साथ आए थे मुंडा और संताल

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें