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स्कूल फीस के साथ ही सैलरी में कटौती से तनाव ग्रस्त हो रहा जीवन

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कोरोना वायरस के संक्रमण से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए किये गये लंबे लॉकडाउन ने लोगों को तनाव देना शुरू कर दिया है. किसी को रोजगार और नौकरी की चिंता है तो किसी को सैलरी में कटौती की चिंता परेशान कर रखा है. सबसे अधिक चिंता है कर्ज का भुगतान नहीं कर पाना और प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभाव को स्कूल फीस के साथ ही वाहन के भाड़ा का भुगतान परेशान कर रहा है.

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मुंगेर : कोरोना वायरस के संक्रमण से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए किये गये लंबे लॉकडाउन ने लोगों को तनाव देना शुरू कर दिया है. किसी को रोजगार और नौकरी की चिंता है तो किसी को सैलरी में कटौती की चिंता परेशान कर रखा है. सबसे अधिक चिंता है कर्ज का भुगतान नहीं कर पाना और प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभाव को स्कूल फीस के साथ ही वाहन के भाड़ा का भुगतान परेशान कर रहा है.

लॉकडाउन के कारण हर किसी के व्यापार और काम में गिरावट आयी है. जहां एक ओर व्यापारियों की आमदनी कम हुई है, वहीं प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों को सैलरी में भी कट किया गया है. लोग अपने भविष्य को लेकर आशंकित है. जिसके कारण मानसिक तनाव के मरीजों की संख्या में अचानक वृद्धि हो रही है.

जानकारों की माने तो इएमआई, बच्चों के स्कूल की फीस, बच्चों को स्कूल पहुंचाने वाले वाहनों का भाड़ा, नौकरी की अनिश्चितता और सैलरी में कटौती इन दिनों सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है. क्योंकि विकल्प उनको नजर नहीं आ रहा है. जिसके कारण लोग मानसिक तौर पर परेशान होकर बीमार हो रहे है. केस स्टडी-1 सदर प्रखंड के एक बंसुधा केंद्र संचालक अमरेंद्र कुमार (बदला हुआ नाम) ने कहा कि पहले काम अच्छा चल रहा था.

आधार कार्ड बनाने का जब से काम केंद्र पर बंद हुआ तब से स्थिति खराब होने लगी. लेकिन कंप्यूटर कोर्स, कौशल विकास के तहत कुछ कोर्स चलाने की अनुमति मिली तो स्थिति सुधरी. लेकिन कोरोना को लेकर जब से लॉकडाउन हुआ तब से स्थिति काफी खराब हो गया. एक बेटा है जो प्राइवेट स्कूल में इस बार क्लास 8 में गया.

स्कूल से लगातार फीस के लिए दबाव बनाया जा रहा है. इतना ही नहीं अप्रैल में रीएडमीशन का भी राशि मांगा जा रहा है. जिसके कारण मैं काफी परेशान हूं. जब स्कूल खुलेगा तो बच्चा को साइकिल खरीद कर दूंगा. क्योंकि बिना बच्चा को ढोये ही स्कूल वाहन भाड़ा मांग रहा है. केस स्टडी- 2प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले अनमोल (बदला हुआ नाम) ने बताया कि घर का सारा खर्च उनके सैलरी पर चलता है. उसे साढे छह हजार रूपया मिलता था.

जिसके हिसाब से प्लान कर उसे खर्च करता था. लेकिन लॉकडाउन के कारण उसके सैलरी में एक हजार रूपये की कटौती कर दिया गया. विरोध किया तो सेक्टर के इंचार्ज ने कहा कि काम छोड़ दो. हम वेतन नहीं दे पायेंगे. जिसके बाद मैं कुछ बोलने की स्थिति में नहीं रह गया था. पांच सौ रूपया सैलरी में कटौती पर समझौता हुआ और मैं अब भी वहीं काम कर रहा हूं.

क्योंकि इस लॉकडाउन में कहां काम करने जाता मैं. कहते हैं चिकित्सक मुंगेर के डॉ दीपक कुमार ने कहा कि वर्तमान परेशानियों के संबंध में रोजाना कॉल आ रही है. जिनको अपनी तरह से तनाव से दूर रहने की सलाह दे रहा हूं. बीपी, सुगर, हॉर्ट के मरीजों को तो ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि इस लॉकडाउन की अवधि में सभी लोगों की आमदनी में कुछ कमी आयी है. लेकिन इसके बारे में सोच कर अपनी तबीयत खराब करने से बेहतर है कि इस बारें में सोचें कि किस चीज में कमी कर पैसे की बचत की जा सकती है. नयी शुरुआत के लिए सोचें और हर छोटी छोटी बातों को सेलिब्रेशन से जोड़ें.

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