24.1 C
Ranchi
Monday, February 24, 2025 | 12:53 pm
24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Independence Day: देश के लिए कुर्बान होने वाले अशफाक उल्लाह, अंग्रेजों की नाक के नीचे से लूटा था खजाना

Advertisement

Independence Day 2022 अशफाक ने अंग्रेजों से कहा था, तुम लोग हिन्दू−मुसलमानों में फूट डालकर आजादी की लड़ाई को दबा नहीं सकते.देश में क्रांति की ज्वाला भड़क गई है. यह अंग्रेजी साम्राज्य को जलाकर राख कर देगी. अपने दोस्तों के खिलाफ मैं सरकारी गवाह बिल्कुल नहीं बनूंगा.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Independence Day 2022 : मुल्क (देश) को गोरों (अंग्रेज) की गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए क्रांतिकारी अशफाक उल्ला खां ने हंसते−हंसते फांसी का फंदा चूम लिया था. उनको जंग−ए−आजादी का महानायक का खिताब मिला. गोरों ने उन्हें अपने पाले में मिलाने के लिए तरह−तरह की साजिश रची, लेकिन गोरे सफल नहीं हुए. काकोरी कांड के बाद ब्रिटिश हुकूमत की फौज ने अशफाक को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद फौज ने सरकारी गवाह बनाने की कोशिश की.

ब्रिटिश हुकूमत ने कहा हिन्दुस्तान आजाद हो भी गया,तो हिन्दुओं का राज होगा. आजादी के बाद भी मुसलमानों को कुछ नहीं मिलेगा. इस पर अशफाक ने ब्रिटिश हुकूमत के अफसरों से कहा कि फूट डालकर शासन करने की गोरों की चाल का उन पर कोई असर नहीं होगा. हिन्दुस्तान आजाद होकर ही रहेगा. अशफाक ने अंग्रेजों से कहा था, तुम लोग हिन्दू−मुसलमानों में फूट डालकर आजादी की लड़ाई को दबा नहीं सकते.देश में क्रांति की ज्वाला भड़क गई है. यह अंग्रेजी साम्राज्य को जलाकर राख कर देगी. अपने दोस्तों के खिलाफ मैं सरकारी गवाह बिल्कुल नहीं बनूंगा.

रुहेलखंड की सरजमीं में लिया जन्म

जंग -ए -आजादी की लड़ाई में रुहेलखंड की मुख्य भूमिका है. क्रांतिकारी अशफाक उल्ला खां का जन्म 22 अक्तूबर 1900 को रुहेलखंड के शाहजहांपुर एमनजई जलाल नगर मुहल्ले के पठान परिवर में हुआ था. उनके पिता शफीक उल्ला खान और मां महरून निशा बेगम की छह संतानों में वे सबसे छोटे थे. अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ को 19 दिसम्बर 1927 को फांसी दी गई.

शायरी का हर कोई दीवाना

जंग -ए -आजादी के नायक अशफाक उल्ला खां को बचपन से शायरी का शौक था,लेकिन अपने बड़े भाई के सहपाठी राम प्रसाद बिस्मिल की तारीफ सुनते सुनते अशफाक उनके मुरीद हो गए.मैनपुरी कांड में राम प्रसाद बिस्मिल का नाम आने के बाद अशफाक के मन में बिस्मिल से मिलने की इच्छा हुई. इसी बीच 1920 में गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन छेड़ दिया. इसमें अशफाक भी कूद पड़े.

काकोरी काण्ड से हिल गई ब्रिटिश हुकूमत

जंग -ए- आजादी के दौरान हथियारों से लैस ब्रिटिश फौज से लड़ने के लिए क्रांतिकारियों को हथियारों की जरूरत पड़ी.इसके बाद बरेली – लखनऊ रूट की काकोरी स्टेशन पर ट्रेन लूटने की योजना बनाई गई.लूट की टोली का नेतृत्व राम प्रसाद बिस्मिल ने किया. 25 अगस्त 1925 को हुई इस लूट को बखूबी अंजाम दिया गया. एक महीने तक किसी क्रांतिकारी की गिरफ्तारी नहीं हुई. लेकिन धीरे धीरे सभी क्रांतिकारी गिरफ्तार होने लगे.

वाराणसी में 10 महीने की नौकरी

जंग-ए-आजादी के नायक अशफाक उल्ला खां शाहजहांपुर छोड़कर बनारस चले गए.उन्होंने वहां एक इंजीनियरिंग कंपनी में 10 महीने तक काम किया. इसके बाद उन्होंने विदेश जाने की योजना बनाई. जिससे गोरों के खिलाफ लड़ाई जारी रखने के लिए बाहर से मदद करते रहें. इसके लिए वह दिल्ली आकर अपने एक दोस्त के संपर्क में आए, लेकिन उस दोस्त ने ब्रिटिश हुकूमत द्वारा घोषित इनाम के लालच में ब्रिटिश फौज को सूचना दे दी. दोस्त की गद्दारी से अशफाक को फौज ने पकड़ लिया.

फैजाबाद जेल में 37 वर्ष की उम्र में दी गई फांसी

दिल्ली से गिरफ्तारी के बाद अशफाक को फैजाबाद जेल भेज दिया गया. उनके वकील भाई रियासत उल्ला ने बड़ी मजबूती से अशफाक का मुकदमा लड़ा, लेकिन ब्रिटिश हुकूमत उन्हें फांसी पर चढ़ाने पर आमादा थी.आखिरकार ब्रिटिश हुकूमत के जज ने डकैती जैसे मामले में अशफाक को फांसी की सजा सुना दी.19 दिसंबर 1927 को अशफाक को फांसी दे दी गई.उन्होंने हंसते−हंसते मौत के फंदे को चूम लिया.इसी मामले में राम प्रसाद बिस्मिल को भी 19 दिसंबर 1927 को फांसी पर लटका दिया गया.गोरखपुर में अशफाक उल्ला खां के नाम से चिड़ियाघर का नाम रखा गया है.

रिपोर्ट: मुहम्मद साजिद

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें