26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस को उम्मीद

Advertisement

यात्राएं करने, लोगों के बीच जाने, उनकी बात जानने-समझने के अलावा उभार का कोई और रास्ता नहीं है. इस यात्रा का असर आखिरकार क्या होता है. इसी के साथ कांग्रेस में दो उल्लेखनीय घटनाक्रम भी चल रहे हैं. कांग्रेस से नेताओं का पलायन जारी है और पार्टी अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रही भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) एक अच्छी पहल है क्योंकि आज कांग्रेस पार्टी बहुत खस्ताहाल है. इससे पार्टी के उभरने की उम्मीद जगी है क्योंकि अगर आप लोगों के बीच जाते हैं, तो आप गलती नहीं कर सकते हैं. यात्राएं करने, लोगों के बीच जाने, उनकी बात जानने-समझने के अलावा उभार का कोई और रास्ता नहीं है. अब देखना की बात यह है कि इस यात्रा का असर आखिरकार क्या होता है. इसी के साथ कांग्रेस में दो उल्लेखनीय घटनाक्रम भी चल रहे हैं- कांग्रेस से नेताओं का पलायन जारी है और पार्टी अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है. अभी गोवा में 11 कांग्रेसी विधायकों में से आठ भाजपा में चले गये.

- Advertisement -

ऐसे में भाजपा की इस आलोचना में दम है कि जब कांग्रेस अपनी पार्टी को ही एकजुट नहीं रख सकती है, तो फिर वह भारत को क्या जोड़ेगी. मीडिया में तो लंबे समय से छप ही रहा था कि गोवा में इस तरह की गतिविधियां चल रही हैं, तो इसका मतलब यह है कि या तो पार्टी नेतृत्व ने छोड़ ही दिया है या फिर उसका नियंत्रण कारगर नहीं है. कांग्रेस के नेताओं-कार्यकर्ताओं में एक ऐसी भावना घर कर गयी है कि पार्टी में उनका भविष्य नहीं है और शायद पार्टी का ही भविष्य नहीं है. ऐसी हताशा और निराशा है. कांग्रेस का आरोप है कि दलबदल कराने के लिए पैसे का लेन-देन हो रहा है या सरकारी एजेंसियों का बेजा इस्तेमाल किया जा रहा है. पर पार्टी को एकजुट रखने की बुनियादी जिम्मेदारी तो पार्टी नेतृत्व की ही है.

ऐसी पृष्ठभूमि में भारत जोड़ो यात्रा और भी जरूरी हो जाती है. यात्रा की शुरुआत अच्छी हुई है और लोगों की प्रतिक्रिया भी उत्साहजनक है. जहां तक कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की बात है, तो पिछले दिनों के बयानों से लगता है कि किसी एक नाम पर आम सहमति बन जायेगी और वह नाम राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का है. गहलोत की ओर से कहा जा रहा है कि वे तभी अध्यक्ष पद स्वीकार करेंगे, जब सबकी सहमति होगी. कुछ दिन पहले जो जयराम रमेश ने कहा, उसका राजनीतिक मतलब यही निकलता है कि गहलोत पर सहमति है. यह अच्छा नाम भी है क्योंकि वे अनुभवी हैं, उनमें राजनीतिक ठहराव है और वे गांधी परिवार के भी विश्वासपात्र हैं. वे देश को पहचानते हैं तथा कांग्रेस पार्टी की व्यवस्था और कामकाज के तरीकों को जानते हैं. उनके पास लंबा प्रशासनिक अनुभव भी है. इस समय जो भी पार्टी के शीर्ष स्तर पर काम करेगा, वह परदे के पीछे ही काम करेगा तथा उसका काम संगठन बनाना और लोगों को लामबंद करना होगा. यह भी है कि गहलोत किसी दूसरी पार्टी के नेता को फोन करेंगे, तो वह उस कॉल को स्वीकार भी करेगा, इतनी प्रतिष्ठा उनकी है. जो भी कांग्रेस अध्यक्ष होगा, उसे गांधी परिवार के साथ कदमताल करते हुए चलना होगा क्योंकि कांग्रेस बिना गांधी परिवार के ठप पड़ जायेगी. हालांकि आज तो स्थिति यह है कि गांधी परिवार के बावजूद भी कांग्रेस ठप पड़ी हुई है.

मेरा मानना है कि भारत जोड़ो यात्रा में केवल राहुल गांधी को प्रोजेक्ट करना सही नहीं है क्योंकि राहुल गांधी चाहे जितने भी भले और प्रतिबद्ध हों, पर जनता के बीच उन्हें समुचित स्वीकार्यता नहीं मिल सकी. अब तक के अनुभव यही बताते हैं कि कांग्रेस राहुल गांधी को जितना आगे करती है, उसका उतना ही अधिक लाभ नरेंद्र मोदी और भाजपा को होता है. वे यह भी नहीं कह रहे हैं कि वे आगे बढ़कर पार्टी के कमान संभालेंगे. पर बीते दो-ढाई सालों से पार्टी के सारे निर्णय वे ही ले रहे हैं. इसी वजह से कांग्रेस में असंतुष्ट खेमा बना, जो यह कह रहा था कि फैसले राहुल गांधी ले रहे हैं और किसी से कोई सलाह नहीं ली जा रही है. अगर इस यात्रा को अधिक प्रभावी बनाना था, तो दस-बारह जगहों से विभिन्न नेताओं के नेतृत्व में यात्रा निकाली जानी चाहिए थी. तब कांग्रेस का ब्रांड आगे होता और यह संदेश जाता कि वह ऐसी पार्टी है, जिसे शासन चलाना आता है. जैसा मैंने पहले कहा, केवल राहुल गांधी को प्रोजेक्ट करने से फायदा नरेंद्र मोदी को होगा. इस यात्रा से जो भी हासिल होगा, वह तो बोनस होगा, पर इसका मुख्य उद्देश्य राहुल गांधी को एक गंभीर नेता के रूप में स्थापित करना है.

यात्रा से कुछ फायदा पार्टी को तो होगा क्योंकि पार्टी में उत्साह का संचार हुआ है और समर्थकों में हलचल हो रही है. यह कहा जा रहा है कि इस यात्रा को अधिक समय उन राज्यों में देना चाहिए था, जहां भाजपा बेहद मजबूत स्थिति में है. लेकिन वैसा होता, तो वह अपनी कमजोरी का प्रदर्शन करना होता. उत्तर प्रदेश में पार्टी का न तो संगठन है और न ही समर्थक आधार. गुजरात में नहीं जाने का निर्णय शायद किसी राजनीतिक रणनीति के तहत लिया गया है. कांग्रेस ने शायद सोचा होगा कि चुनाव से पहले वहां यात्रा करना ठीक नहीं होगा. कोई भी पार्टी जब इस तरह का अभियान चलाती है, तो वह अपनी ताकत व क्षमता दिखाना चाहती है.

हम यह भी देख रहे हैं कि भारत छोड़ो यात्रा के समानांतर विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद भी कुछ तेज होती दिख रही है. यह स्थापित तथ्य है कि बिना एकता के विपक्ष यह लड़ाई लड़ भी नहीं सकता है. पर इन पार्टियों में इतनी दरारें हैं कि अभी तक विपक्षी दल एकजुट नहीं हो पाये हैं. ऐसी स्थिति में नीतीश कुमार ऐसे व्यक्तित्व हैं, जो सभी को स्वीकार्य हो सकते हैं. कांग्रेस भी उन्हें स्वीकार कर सकती है क्योंकि उनसे उसे सबसे कम खतरा होगा. नीतीश कुमार पूर्व कांग्रेसी नहीं है और वे समाजवादी पृष्ठभूमि से आते हैं. पूर्व कांग्रेसियों से पार्टी अपने भविष्य के लिए खतरा देख सकती है. नीतीश कुमार की छवि भी अच्छी है और वे अनुभवी भी हैं. अधिकतर विपक्षी पार्टियों को राहुल गांधी स्वीकार्य नहीं हैं, तो वे किसी और कांग्रेसी के नाम पर भी सहमत नहीं होंगे.

कांग्रेस भी किसी और को आगे कर पार्टी के भीतर नया सत्ता केंद्र नहीं बनाना चाहेगी. यह बहुत संभव है कि यह समझदारी पहले ही बन चुकी हो. अरविंद केजरीवाल लंबी दौड़ के खिलाड़ी हैं, तो उनकी रणनीति अलग हो सकती है. यह भी देखना होगा कि भारत जोड़ो यात्रा का विपक्षी एकता के प्रयासों पर क्या प्रभाव पड़ता है. लेकिन सबसे जरूरी यह है कि भारत जोड़ो यात्रा पहले कांग्रेस में ऊर्जा व गति का संचार करे तथा उसकी सक्रियता बढ़ाने का आधार बने. शुरुआती दिनों में तो यात्रा ने कांग्रेस में निश्चित ही उम्मीद जगायी है, जो पार्टी के लिए अच्छी बात है.

ये लेखिका के निजी विचार हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें