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Bhubaneswar News: सुंदरगढ़ में जंगल काटा गया, तो बलांगीर व बरगढ़ में क्यों होना चाहिए वनीकरण : प्रसन्न आचार्य

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Bhubaneswar News: गंधमार्दन के पास अडानी कंपनी की ओर से जमीन खरीदे जाने को लेकर विपक्ष के उपनेता प्रसन्न आचार्य ने सवाल उठाते हुए राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है. बुधवार को शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए उन्होंने कहा कि गंधमार्दन पर्वत रामायण काल से मौजूद है. इसका प्राकृतिक सौंदर्य बेहद मनमोहक है, और यहां सैकड़ों प्रकार के औषधीय वृक्ष पाये जाते हैं. इस क्षेत्र में नृसिंहनाथ और हरिशंकर मंदिर भी स्थित हैं. आचार्य ने याद दिलाया कि 80 के दशक में जब कांग्रेस सरकार ने बाल्को कंपनी को यह पहाड़ देने के लिए समझौता किया था, तो इसके खिलाफ जोरदार जन आंदोलन हुआ था. बाद में, बीजू पटनायक की सरकार आने के बाद, जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए उस समझौते को रद्द कर दिया गया था. हालांकि, अब गंधमार्दन पर्वत के पास अडानी कंपनी सैकड़ों एकड़ जमीन खरीद रही है. कंपनी का कहना है कि सुंदरगढ़ खदानों के कारण जंगल नष्ट होने से हुए नुकसान की भरपाई के लिए इस जमीन पर वनीकरण किया जायेगा. उन्होंने सवाल किया सुंदरगढ़ में यदि जंगल काटा गया, तो बलांगीर व बरगढ़ जिले में क्यों जंगल लगाया जायेगा. उन्होंने कहा कि 10 एकड़ से अधिक की जमीन खरीदने पर प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती है. इसलिए राज्य सरकार को चाहिए इस मामले में स्पष्टीकरण दे तथा लोगों का संदेह दूर करें.

अडानी को जमीन खरीदने की अनुमति नवीन सरकार ने दी थी : केवी सिंहदेव

अडानी कंपनी द्वारा जमीन खरीदने के मुद्दे को लेकर बीजू जनता दल के उपनेता प्रसन्न आचार्य द्वारा उठाये गये सवालों का जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री केवी सिंहदेव ने कहा कि यह अनुमति मोहन माझी सरकार ने नहीं, बल्कि नवीन पटनायक सरकार के कार्यकाल में दी गयी थी. सिंहदेव ने कहा कि अडानी कंपनी द्वारा जमीन खरीदे जाने की अनुमति बीजेडी सरकार ने दी थी, हमारी सरकार ने नहीं. गंधमार्दन पहाड़ को किसी भी हालत में मोहन सरकार किसी के हाथों नहीं सौंपेगी. यदि कुछ भी ऐसा होता है, तो मैं भी आपके साथ उस आंदोलन में शामिल हो जाऊंगा. उन्होंने आगे कहा कि यह जमीन बीजद सरकार के कार्यकाल में ही कंपनी को सौंपी गयी थी. उन्होंने बीजद पर निशाना साधते हुए कहा कि आपने गलती की है, पहले इसे स्वीकार करें. गंधमार्दन पहाड़ पर अडानी हो या कोई और कंपनी, हमारी सरकार वहां कुछ भी करने की अनुमति नहीं देगी. सिंहदेव ने सदन और राज्यवासियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि गंधमार्दन को नष्ट करने के लिए किसी को भी अनुमति नहीं दी जायेगी. यदि कुछ गलत होता है, तो हम भी उस आंदोलन का हिस्सा बनेंगे.

जनता को सभी राजनीतिक दलों के चरित्र के बारे में जानना जरूरी : सुरेश पुजारी

गंधमार्दन मुद्दे को लेकर बीजू जनता दल द्वारा उठाये गये सवालों के जवाब में राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री सुरेश पुजारी ने तथ्यों के आधार पर बीजद और कांग्रेस दोनों को कटघरे में खड़ा किया. उन्होंने कहा कि न केवल कांग्रेस, बल्कि जनता दल और बाद में बीजद ने भी गंधमार्दन को लेकर विभिन्न कंपनियों के साथ समझौते किये थे. जनता को सभी राजनीतिक दलों के वास्तविक चरित्र को जानने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि 1980 के दशक में कांग्रेस ने बाल्को कंपनी के साथ गंधमार्दन से बॉक्साइट खनन को लेकर समझौता किया था. उस समय इसका तीव्र विरोध हुआ था. उन्होंने उस समय के आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा, कि उस दौर में जो अत्याचार हुआ, उसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है. पुजारी ने आगे कहा कि कांग्रेस सरकार जाने के बाद जब 1991 में बीजू पटनायक की सरकार आयी, तब भी बाल्को कंपनी के साथ समझौता किया गया. यही नहीं, 2004 में बीजद सरकार ने वेदांत कंपनी को जमीन सौंपने की योजना बनायी थी. जनता को इन सभी दलों के चरित्र को समझने की जरूरत है. उन्होंने बीजद पर निशाना साधते हुए कहा कि हमने कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने के लिए बीजद के साथ गठबंधन किया था, लेकिन आज हमें इसका पछतावा हो रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Bhubaneswar News: गंधमार्दन के पास अडानी कंपनी की ओर से जमीन खरीदे जाने को लेकर विपक्ष के उपनेता प्रसन्न आचार्य ने सवाल उठाते हुए राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है. बुधवार को शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए उन्होंने कहा कि गंधमार्दन पर्वत रामायण काल से मौजूद है. इसका प्राकृतिक सौंदर्य बेहद मनमोहक है, और यहां सैकड़ों प्रकार के औषधीय वृक्ष पाये जाते हैं. इस क्षेत्र में नृसिंहनाथ और हरिशंकर मंदिर भी स्थित हैं. आचार्य ने याद दिलाया कि 80 के दशक में जब कांग्रेस सरकार ने बाल्को कंपनी को यह पहाड़ देने के लिए समझौता किया था, तो इसके खिलाफ जोरदार जन आंदोलन हुआ था. बाद में, बीजू पटनायक की सरकार आने के बाद, जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए उस समझौते को रद्द कर दिया गया था. हालांकि, अब गंधमार्दन पर्वत के पास अडानी कंपनी सैकड़ों एकड़ जमीन खरीद रही है. कंपनी का कहना है कि सुंदरगढ़ खदानों के कारण जंगल नष्ट होने से हुए नुकसान की भरपाई के लिए इस जमीन पर वनीकरण किया जायेगा. उन्होंने सवाल किया सुंदरगढ़ में यदि जंगल काटा गया, तो बलांगीर व बरगढ़ जिले में क्यों जंगल लगाया जायेगा. उन्होंने कहा कि 10 एकड़ से अधिक की जमीन खरीदने पर प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती है. इसलिए राज्य सरकार को चाहिए इस मामले में स्पष्टीकरण दे तथा लोगों का संदेह दूर करें.

अडानी को जमीन खरीदने की अनुमति नवीन सरकार ने दी थी : केवी सिंहदेव

अडानी कंपनी द्वारा जमीन खरीदने के मुद्दे को लेकर बीजू जनता दल के उपनेता प्रसन्न आचार्य द्वारा उठाये गये सवालों का जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री केवी सिंहदेव ने कहा कि यह अनुमति मोहन माझी सरकार ने नहीं, बल्कि नवीन पटनायक सरकार के कार्यकाल में दी गयी थी. सिंहदेव ने कहा कि अडानी कंपनी द्वारा जमीन खरीदे जाने की अनुमति बीजेडी सरकार ने दी थी, हमारी सरकार ने नहीं. गंधमार्दन पहाड़ को किसी भी हालत में मोहन सरकार किसी के हाथों नहीं सौंपेगी. यदि कुछ भी ऐसा होता है, तो मैं भी आपके साथ उस आंदोलन में शामिल हो जाऊंगा. उन्होंने आगे कहा कि यह जमीन बीजद सरकार के कार्यकाल में ही कंपनी को सौंपी गयी थी. उन्होंने बीजद पर निशाना साधते हुए कहा कि आपने गलती की है, पहले इसे स्वीकार करें. गंधमार्दन पहाड़ पर अडानी हो या कोई और कंपनी, हमारी सरकार वहां कुछ भी करने की अनुमति नहीं देगी. सिंहदेव ने सदन और राज्यवासियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि गंधमार्दन को नष्ट करने के लिए किसी को भी अनुमति नहीं दी जायेगी. यदि कुछ गलत होता है, तो हम भी उस आंदोलन का हिस्सा बनेंगे.

जनता को सभी राजनीतिक दलों के चरित्र के बारे में जानना जरूरी : सुरेश पुजारी

गंधमार्दन मुद्दे को लेकर बीजू जनता दल द्वारा उठाये गये सवालों के जवाब में राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री सुरेश पुजारी ने तथ्यों के आधार पर बीजद और कांग्रेस दोनों को कटघरे में खड़ा किया. उन्होंने कहा कि न केवल कांग्रेस, बल्कि जनता दल और बाद में बीजद ने भी गंधमार्दन को लेकर विभिन्न कंपनियों के साथ समझौते किये थे. जनता को सभी राजनीतिक दलों के वास्तविक चरित्र को जानने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि 1980 के दशक में कांग्रेस ने बाल्को कंपनी के साथ गंधमार्दन से बॉक्साइट खनन को लेकर समझौता किया था. उस समय इसका तीव्र विरोध हुआ था. उन्होंने उस समय के आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा, कि उस दौर में जो अत्याचार हुआ, उसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है. पुजारी ने आगे कहा कि कांग्रेस सरकार जाने के बाद जब 1991 में बीजू पटनायक की सरकार आयी, तब भी बाल्को कंपनी के साथ समझौता किया गया. यही नहीं, 2004 में बीजद सरकार ने वेदांत कंपनी को जमीन सौंपने की योजना बनायी थी. जनता को इन सभी दलों के चरित्र को समझने की जरूरत है. उन्होंने बीजद पर निशाना साधते हुए कहा कि हमने कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने के लिए बीजद के साथ गठबंधन किया था, लेकिन आज हमें इसका पछतावा हो रहा है.

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