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कैसे मनाएंगे शिक्षक दिवस! झारखंड में तैयार ही नहीं हो रहे टीचर, 90 हजार से अधिक पद हैं रिक्त

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झारखंड में अब टीचर तैयार नहीं हो रहे हैं. स्कूलों में टीचर की भर्ती बंद है. अगर यही हाल रहा, तो आने वाले दिनों में सूबे में शिक्षक दिवस मनाना मुश्किल होगा. अभी तो शिक्षकों के पद रिक्त हैं. दूसरी तरफ, शिक्षक बनने की प्रक्रिया भी बाधित हो गई है. टीचर ही नहीं रहेंगे, तो शिक्षक दिवस किसके लिए मनाएंगे.

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रांची, सुनील झा : देश भर में शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है. बच्चे अपने शिक्षकों के सम्मान में कई तरह के आयोजन कर रहे हैं. प्राइवेट स्कूल हों या सरकारी स्कूल, हर स्कूल में शिक्षक दिवस पर अलग तरह की चहल-पहल होती है. लेकिन, झारखंड में न जाने कितने स्कूल हैं, जहां कोई चहल-पहल नहीं होगी, क्योंकि वहां शिक्षक ही नहीं हैं. झारखंड राज्य बनने के 23 साल बाद भी शिक्षकों के 90 हजार से अधिक पद रिक्त हैं. यही हाल रहा, तो आने वाले दिनों में झारखंड में शिक्षक दिवस मनाना मुश्किल होगा, क्योंकि प्रदेश में शिक्षक बनने की प्रक्रिया भी बाधित हो गई है. शिक्षक दिवस के अवसर पर इस पर मंथन जरूरी है.

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आधे से अधिक स्कूल एक या दो शिक्षक के भरोसे

झारखंड राज्य गठन के 23 साल बाद भी झारखंड के विद्यालयों में बच्चों को तय मानक के अनुरूप पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं मिल सके हैं. राज्य में आधे से अधिक विद्यालय ऐसे हैं, जो एक या दो शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं. शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अनुरूप अब तक विद्यालयों में पद सृजन भी नहीं हुआ है. शिक्षा गारंटी केंद्र से प्राथमिक विद्यालय में व प्राथमिक विद्यालय से मध्य विद्यालय में अपग्रेड किए गए स्कूलों में प्रावधान के अनुरूप शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो सकी है.

झारखंड में 90 हजार से अधिक शिक्षकों के पद रिक्त

झारखंड प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष संजय महतो कहते हैं कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के अनुरूप अगर देखेंगे, तो राज्य में शिक्षकों के 90 हजार से अधिक पद रिक्त हैं. शिक्षकों की कमी का असर बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ रहा है. राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे में झारखंड के बच्चों के शैक्षणिक स्तर में गिरावट दर्ज की गई है. खासकर विज्ञान व गणित में बच्चे पिछड़ रहे हैं.

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शिक्षक के अभाव में घट रही शिक्षा की गुणवत्ता

रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे-जैसे बच्चे उच्च कक्षा में जा रहे हैं, उनकी पढ़ाई कमजोर होती जा रही है. इसका एक प्रमुख कारण यह है कि हाई स्कूल वह प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों का घोर अभाव है. इन विद्यालयों में प्रत्येक विषय के शिक्षक का होना अनिवार्य है, परंतु अधिकतर विद्यालयों में सभी विषय के शिक्षक नहीं हैं.

शिक्षक बनने की प्रक्रिया भी झारखंड में बाधित

राज्य में शिक्षकों के पद रिक्त होने के साथ-साथ शिक्षक बनने की प्रक्रिया भी बाधित है. शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्रतिवर्ष शिक्षक पात्रता परीक्षा होना अनिवार्य है, लेकिन झारखंड में पिछले 13 वर्षों में मात्र दो बार शिक्षक पात्रता परीक्षा हुई है. शिक्षक पात्रता परीक्षा नहीं होने के कारण शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थी सरकारी स्कूल तो दूर, निजी स्कूलों में भी शिक्षक नहीं बन पा रहे हैं. राज्य में लगभग एक लाख से अधिक अभ्यर्थी शिक्षक पात्रता परीक्षा का इंतजार कर रहे हैं. संजय महतो कहते हैं कि अपने प्रदेश में पिछली शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ष 2016 में हुई थी.

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