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बिहार में प्रसव पीड़ा से बचने के लिए शहरी महिलाएं करा रहीं सर्जरी, चाकू-कैंची के बीच आंखे खोल रहे नवजात

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bihar news: राज्य स्वास्थ्य समिति की एक रिपोर्ट के अनुसार सूबे में प्रसव के लिए सर्जरी की सहायता लेने की सोच में तीन प्रतिशत का इजाफा हुआ है. यानी गर्भवती महिलाएं प्रसव वेदना से बचने के लिए सीधे ओटी में जाना पसंद कर रही है.

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संवाददाता, भागलपुर: राज्य स्वास्थ्य समिति की एक रिपोर्ट के अनुसार सूबे में प्रसव के लिए सर्जरी की सहायता लेने की सोच में तीन प्रतिशत का इजाफा हुआ है. यानी गर्भवती महिलाएं प्रसव वेदना से बचने के लिए सीधे ओटी में जाना पसंद कर रही है. खास कर शहरी महिलाओं में यह सोच ज्यादा है.

ग्रामीण महिलाएं मजबूरी में करा रही सर्जरी

वहीं, ग्रामीण महिलाओं की बात करें, तो ये मजबूरी में प्रसव के लिए सर्जरी का सहारा ले रही है. जानकार कहते हैं कि इस सोच के पीछे हर विंग की लापरवाही है. परिवार वाले गर्भवती के दर्द को देख सीधे सर्जरी के लिए हामी भर देते हैं, तो ज्यादातर डॉक्टर गर्भधारण करने के बाद किस तरह से जीवन शैली को बनाना है इसकी पूरी जानकारी नहीं देते है. परिणाम चाकू कैची के बीच नवजात लेबर रूम में अपनी आंख को खोलता है.

शहरी महिलाएं ऑपरेशन को मानती है बेहतर

शहरी इलाके में रहने वाली ज्यादातर महिलाएं सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने नहीं जाती है. ये लोग सीधे चिकित्सक से उनके निजी क्लिनिक में संपर्क कर लेती है. इस वजह डॉक्टर से वो सारी बातें जान समझ लेती हैं. इनको यह जानकारी होती है कि सामान्य प्रसव में किस तरह की वेदना होती है. इससे बचने के लिए परिवार वालों की मदद से ये सीधे सर्जरी की ओर चली जाती है. इस सोच के बीच चिकित्सक भी उनको सामान्य प्रसव कराने की सलाह नहीं देते है. वहीं महिलाएं चिकित्सक की माने, तो शहरी इलाके में रहने वाली महिलाएं अपने फिगर को लेकर सावधान रहती है. मां तो बनना चाहती है, लेकिन बिना दर्द लिये. इस वजह से ये लोग सीधे ऑपरेशन कराने की जिद करती है.

ग्रामीण महिलाओं को प्रसव की पूरी जानकारी का होता है अभाव

सरकारी ग्रामीण इलाके में रहने वाले गर्भवती को प्रत्येक माह जांच की सुविधा उपलब्ध कराती है. इसके बारे में जानकरी देने का दायित्व आशा के कंधे पर है. लेकिन आशा अपने इस काम को बेहतर तरीके से नहीं करती है. परिणाम ग्रामीण गर्भवती को परेशानी हो जाती है. आयरन की कमी से खून की कमी तो कैल्सियम भी शरीर से कम हो जाता है. इतना ही नहीं प्रसव का जब समय हो जाता है, तो यह आवास में ही हो जाये, इसका भी प्रयास किया जाता है. जब हालत गंभीर होती है, तो गर्भवती को लेकर परिजन सरकारी या निजी अस्पताल आते हैं, जहां सर्जरी के अलावा कोई रास्ता नहीं दिखता है.

कमाई की लालच ने भी सर्जरी की संख्या को किया तेज

सामान्य प्रसव अगर किसी का होता है, तो उसमें चिकित्सक को ज्यादा लाभ नहीं होता है. लेकिन जब प्रसव ऑपरेशन से होता है, तो डॉक्टर की कमाई दो से तीन गुना हो जाती है. इस वजह से शहर के ज्यादातार डॉक्टर सर्जरी से ही प्रसव कराने की सलाह दे देते है. कई मामले ऐसे भी आये हैं कि महिलाएं समय पर क्लिनिक आ जाती है, लेकिन जानबूझ कर उनको प्रसव उस वक्त नहीं कराया जाता है. जब महिला दर्द से परेशान हो जाती है, तो डॉक्टर सामने आती है और गंभीर मामला बता कर ऑपरेशन करने की बात कह देती है. इसके बाद परिजन के पास ऑपरेशन कराने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं होता है.

नियमित जांच पौष्टिक भोजन से होगा स्वस्थ्य प्रसव

डॉक्टर की माने तो प्रसव ऑपरेशन से हो या सामान्य. यह गर्भवती पर भी निर्भर करता है. गर्भ धारण करते है, तो पौष्टिक भोजन के साथ-साथ फल व सब्जी का सेवन करे. आयरन, कैल्सियम की गोली समय से ले. जो दवा जांच डॉक्टर ने लिखा है, उसे प्रत्येक माह करायें. नियमित जांच से प्रसव के समय जो जटीलता आती है, वह नहीं होगी. ये सब करने के बाद प्रसव वेदना को आसानी से सह कर महिलाएं स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दे सकती है.

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