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राज्यकर्मी बनने के लिए शिक्षक नहीं भरेंगे BPSC का आवेदन, बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने कहा- कायम रखेंगे एकजुटता

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शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि ग्रीष्मावकाश के बाद 19 जून से पटना उच्च न्यायालय में पूर्व से दायर याचिका पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होने वाली है, जिसमें आयोग द्वारा प्रकाशित विज्ञप्ति के स्थगन और नियमावली में सभी कोटि के शिक्षकों को राज्यकर्मी के रूप में समायोजित करने की याचिका दी गयी है.

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बिहार राज्य अध्यापक नियमावली-2023 के विरुद्ध बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आवेदन का विरोध किया. संघ के अध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह एवं महासचिव व पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने बताया कि अध्यापक नियुक्ति नियमावली 2023 की विसंगतियों एवं त्रुटियों के निराकरण के बगैर ही सरकार के निर्देश पर बिहार लोक सेवा आयोग ने आवेदन-पत्र आमंत्रित कर दिया है. विसंगतियों और त्रुटियों के निराकरण किये बगैर हमारे शिक्षक आयोग का आवेदन नहीं भरेंगे.

शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि आवेदन भरने की तिथि 15 जून से शुरू हो गयी है. 12 जुलाई अंतिम तिथि है. बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ एवं अन्य शिक्षक संगठनों ने भी बार-बार सरकार से वार्त्ता के द्वारा विसंगतियों एवं त्रुटियों के निराकरण का लिखित अनुरोध किया है, लेकिन सरकार दो महीने बीतने के बावजूद हमारे अनुरोध को ठुकरा रही है.

शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने बताया कि लगभग सौ विधायकों, विधान पार्षदों, महागठबंधन एवं प्रतिपक्ष के नेताओं के लिखित समर्थन के बावजूद सरकार की हठधर्मिता बदस्तूर जारी है. यह लोकतंत्रीय स्वस्थ परंपरा के प्रतिकूल है. अभी तक पुस्तकालयाध्यक्ष, शारीरिक शिक्षक एवं शारीरिक स्वास्थ्य अनुदेशक के पद का नियमावली में कोई उल्लेख नहीं किया गया है. पूर्व से कार्यरत चार लाख से भी अधिक शिक्षकों एवं लगभग दो लाख रिक्त पदों के अभ्यर्थियों से मात्र 1,70,000 रिक्तयों के विरूद्ध आवेदन -पत्र आमंत्रित किये गये हैं.

शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने बताया कि अध्यापक नियमावली की कंडिका-8 में कहा गया है कि पंचायती राज एवं नगर निकाय संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों के लिए अलग से प्रक्रिया का निर्धारण किया जायेगा. इसके संबंध में सरकार अभी तक मौन है. इस तरह यह नियमावली के द्वारा पूर्व से कार्यरत शिक्षकों को बेरोजगार करने एवं नये अभ्यर्थियों को भी अनिश्चितकाल तक बेरोजगार बनाये रखने की साजिश है. यह नियमावली परस्पर विरोधाभासी एवं विसंगतिपूर्ण है. इससे एक ही विद्यालय में एक ही पाठ्यक्रम पढ़ाने वाले तीन-तीन श्रेणियों के शिक्षक नियुक्त होंगे. ऐसी नियुक्ति से प्रत्येक विद्यालय में अराजकता पैदा होगी एवं इससे पठन-पाठन को ठप्प करने की शिक्षाविरोधी स्थिति उत्पन्न होगी.

शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि ग्रीष्मावकाश के बाद 19 जून से पटना उच्च न्यायालय में पूर्व से दायर याचिका पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होने वाली है, जिसमें आयोग द्वारा प्रकाशित विज्ञप्ति के स्थगन और नियमावली में सभी कोटि के शिक्षकों को राज्यकर्मी के रूप में समायोजित करने की याचिका दी गयी है. इसलिए लोगों को न्यायालय के निर्णय का भी इंतजार करना चाहिए. विवेकशील शिक्षक जल्दबाजी में परीक्षा के लिए आवेदन नहीं करेंगे और अपनी एकजुटता कायम रखेंगे, जिससे उनकी 20 वर्षों की वरीयता की हकमारी नहीं हो सके और उन्हें वेतनमान का भी आर्थिक घाटा तथा हीन भावना का शिकार नहीं होना पड़े.

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