वीरपुर कोसी बराज वर्ष 1956 से शुरू होकर 1964 में बनकर तैयार हो गया. अब 60 साल पूरे होने के बाद कोसी बराज के पुराने होने को लेकर पिछले पांच सालों से तरह-तरह की चर्चा होने लगी है. हाल के दिनों में बिहार सरकार के पूर्व जल संसाधन मंत्री सह केंद्रीय मंत्री संजय झा ने छातापुर के एक निजी कार्यक्रम में कोसी बराज के पुराने होने और नये बराज बनने की बात कही. इसके बाद से लोगों में चर्चा होने लगी और लोग तरह-तरह के कयास लगाने लगे. निर्माण के बाद कोसी बराज की क्षमता नौ लाख क्यूसेक बताई गयी, लेकिन वर्तमान समय में स्थिति यह है कि चार लाख क्यूसेक पानी आने के बाद अभियंताओं के हाथ पांव फूलने लगते हैं और कोसी क्षेत्र के लोग भी अपने आप को असुरक्षित महसूस करने लगते हैं. इतना ही नहीं चार लाख क्यूसेक से अधिक पानी आने पर बराज के पुल भी हिलने लगते हैं.
प्रभात खबर से बातचीत में जल संसाधन विभाग के सेवानिवृत अधीक्षण अभियंता सह फ्लड फाइटिंग फोर्स के चेयरमैन महेश ठाकुर ने बताया कि कोसी बराज पुराना हो गया है, यह कहना बेईमानी होगी. कोसी बराज को सुरक्षित और संरक्षित रखने की जरूरत है. बराज के 56 फाटकों में प्रत्येक फाटक में लगभग 70 टन से अधिक वजन का गेट है, जिसे कंट्रोल रूम से संचालित किया जाता है. बराज के निर्माण के काफी समय हो गए हैं, इसे सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक और ठोस कदम उठाने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि कोसी बराज की सुरक्षा नेपाल के जिम्मे है. इसलिए बराज के पूर्वी छोड़ पर नेपाल के सुनसरी जिला की पुलिस रहती है और पश्चिमी छोड़ सप्तरी जिला क्षेत्र में है. जहां सप्तरी जिला की पुलिस रहती है. कोसी बराज के मेंटनेंस का कार्य कोसी योजना करती है.
ठाकुर ने बताया कि हाल के दिनों में चतरा से कंचनपुर जाने वाली एक सड़क का निर्माण किया गया है, जिसमें छोटे वाहन तो जाते हैं लेकिन बड़े वाहन नहीं जाते हैं. उस रास्ते को वृहद करने की जरूरत है. ताकि बड़े और भारी वाहनों के वहन की क्षमता कोसी बराज से कम हो सके.
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