सुबह से सूर्य की तल्ख तेवर, चिंतित
मौसम का बदला मिजाज, सुबह से सूर्य की तल्ख तेवर देख लोग चिंतित
प्रतिनिधि, सुपौल
फिर एक बार मौसम का मिजाज बदलने लगा है. सुबह से ही सूर्य की तल्ख तेवर को देख लोग घर से बाहर निकलने में परहेज करने लगे हैं. मंगलवार को जिले में अधिकतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया. मौसम वैज्ञानिकों की माने तो अभी मौसम में उतार चढ़ाव जारी रहेगा. लोगों को इससे बचकर रहने की जरूरत है. गर्मी के कारण इंसानों की दिनचर्या तो प्रभावित है ही, परिंदों और लावारिस जीवों का भी हाल-बेहाल है. जल स्त्रोतों, हरियाली की कमी के कारण परिंदों व अन्य जीवों के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है. ऐसे में जीव प्रेमियों ने लोगों से इस संबंध में सकारात्मक कदम उठाने की मांग की है. पर्यावरण प्रेमी सुरेश सुमन ने कहा कि प्रकृति के संतुलन के लिए सभी जीव जरूरी हैं. गर्मी पहले भी होती थी लेकिन तब पशु-पक्षी हरियाली व प्राकृतिक जल स्त्रोत के जरिये खुद का बचाव कर लेते थे. अब इंसानों की बढ़ती तादाद की वजह से प्राकृतिक जल स्त्रोत, जंगल आदि खत्म हो रहे हैं. सुपौल शहर में पहले जहां सैकड़ों तालाब नजर आते थे अब वह घटकर दो चार हो गयी है. निश्चित ही पक्षियों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है. गर्मी के मौसम में तो पक्षी भूख-प्यास से दम तोड़ देते हैं. दूसरे जीवों का ख्याल रखना हमारा दायित्व है. हमें इस विषय पर जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है. हमें अपने आसपास पार्क, पेड़-पौधों, छतों या दीवारों पर परिंदों के लिए पानी की व्यवस्था करनी चाहिए. मनोज ने कहा कि इंसान तो गर्मी से बचने के लिए एसी, कूलर या फिर घर-आफिस के अंदर रह लेगा, लेकिन पक्षियों व पशुओं को तो बाहर ही रहना है. इनके तो प्राकृतिक ठिकाने ही कम हो गए हैं. भूख-प्यास से ये भी बीमार होते हैं और मर जाते हैं. हम इनके लिए पानी, दाने और रोटी आदि की व्यवस्था तो कर ही सकते हैं. यदि हर दूसरे-तीसरे घर की छत पर भी पानी का बर्तन रखा हो तो पक्षियों की प्यास बुझ जाएं.
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