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प्राकृतिक खेती की ओर रुझान बढ़ाने को लेकर जागरूकता सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ आयोजन

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केंद्र के वैज्ञानिक मो नदीम अख्तर ने किसानों से कहा कि रासायनिक खाद और कीटनाशक के उपयोग से मिट्टी की उर्वरा क्षमता काफी कम हो गई है

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रसायनिक खेती से प्राकृतिक व मनुष्यों के स्वास्थ्य में आयी है गिरावट – कृषि वैज्ञानिक राघोपुर. प्राकृतिक खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र राघोपुर द्वारा मंगलवार को प्राकृतिक खेती पर जागरूकता सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के दौरान कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ मिथिलेश कुमार राय ने किसानों से कहा कि इस समय प्राकृतिक खेती एवं जैविक खेती की बहुत आवश्यकता है. क्योंकि लगातार भूमि पर रासायनिक कीटनाशकों, खादों का प्रयोग तथा भूमि को प्रतिवर्ष पलटने से भूमि की उर्वरा शक्ति पूरी तरह समाप्त हो चली है. हानिकारक कीटनाशकों के उपयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति कम होने के साथ-साथ कृषि की लागत भी बढ़ रही है. रसायनिक खेती से प्राकृतिक और मनुष्यों के स्वास्थ्य में भी गिरावट आई है. किसानों की पैदावार का आधा हिस्सा उनके उर्वरक और कीटनाशक में ही चला जाता है. यदि किसान खेती में अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं तो उन्हें प्राकृतिक खेती की तरफ अग्रसर होना चाहिए. केंद्र के वैज्ञानिक मो नदीम अख्तर ने किसानों से कहा कि रासायनिक खाद और कीटनाशक के उपयोग से मिट्टी की उर्वरा क्षमता काफी कम हो गई है. जिससे मिट्टी के पोषक तत्वों का संतुलन बिगड़ गया है. मिट्टी की उर्वरक क्षमता को देखते हुए जैविक खाद का उपयोग जरूरी हो गया है. यहां किसान बहु फसल चक्र अपनाकर खेती करते हैं. इसलिए यहां प्राकृतिक खेती की अधिक संभावना है. इन बातों को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र इस प्रखंड में प्राकृतिक खेती के लिए सघन जागरूकता एवं प्रशिक्षण चला रहा है. जिसके तहत किसानों को प्राकृतिक खेती की तरफ जागरूक करते हुए प्राकृतिक खेती की महत्ता, आवश्यकता एवं लाभ पर विस्तृत जानकारी दी जा रही है. साथ ही इसे लेकर 24 से 31 जुलाई तक सात दिवसीय प्रशिक्षण भी आयोजित किया गया है. मौके पर संदीप चौधरी, अनुज, सौरभ, अमृत, गोविंद, छोटू, दिलखुश, प्रिंस, अभिनव सहित अन्य मौजूद थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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