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अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे सुपौल में तेजी से पांव पसारने लगा है एड्स

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पिछले सात माह में 82 नये मरीज पाये गये

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अप्रैल 2024 से अक्टूबर 2024 तक पाये गये 82 मरीज सुपौल. संयम, सतर्कता एवं जागरूकता की अनदेखी करने की वजह से जिले में आये दिन एचआईवी संक्रमित मरीजों की संख्या में काफी तेजी से वृद्धि हो रही है. कोसी प्रमंडल के तीन जिले में एचआईवी संक्रमितों में सुपौल पहले नंबर पर बताया जाता है. यही वजह है कि तीनों जिले मिलाकर सुपौल में ही एआरटी सेंटर की स्थापना की गयी है. जहां विशेष जांच की सुविधा उपलब्ध है. जानकारी अनुसार जिले भर में लगभग 900 एचआईवी के मरीज हैं. वहीं पिछले सात माह में 82 नये मरीज पाये गये.

पांच साल में पाये गये 272 पुरुष व 209 महिला मरीज

वर्ष 2019-20 में 43 पुरुष व 34 महिलाएं, वर्ष 2020-21 में 25 पुरुष व 16 महिलाएं, वर्ष 2021-22 में 36 पुरूष, 26 महिलाएं, वर्ष 2022-23 में 62 पुरुष और 49 महिलाएं, वर्ष 2023-24 में 65 पुरुष व 43 महिलाएं एवं 01 अप्रैल 2024 से अब तक 41 पुरुष व 41 महिलाएं जिसमें 10 बच्चे एचआईवी संक्रमित पाये गये.

सभी अस्पताल में मुफ्त जांच की है सुविधा

परामर्शी सह जिला पर्यवेक्षक बंधुनाथ झा ने बताया कि माता-पिता से बच्चा में होने वाले संक्रमण (पीपीटीसी) की रोकथाम के लिए समेकित परामर्श एवं जांच के अंदर एक विंग है, जो पूरे जिले में गर्भवती महिलाओं पर कार्य करती है. बताया कि गर्भवती महिला, टीवी रोगी व हाई रिस्क विहेवियर की एफआईसीटीसी में जांच होता है, यह जांच हर प्रखंड के पीएचसी, रेफरल व अनुमंडलीय अस्पताल में मुफ्त में जांच होता है. बताया कि एचआईवी/एड्स से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए 1097 हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है. एचआईवी की जांच के लिए स्क्रीनिंग की जाती है, जिसमें खास कर गर्भवती महिलाएं, हाईरिस्क ग्रुप विहेवियर (सेक्स वर्कर, टीबी रोगी, ड्राइवर, ट्रांसपोर्ट कर्मी, प्रवासी मजदूर, एमएसएफ) को जांच के लिये टारगेट किया जाता है.

संक्रमित को परवरिश योजना का दिया जाता है लाभ

एचआईवी संक्रमण की पुष्टि के बाद संक्रमित को सरकार द्वारा संपूर्ण सुरक्षा दी जाती है. मरीज की आर्थिक उन्नति के लिए परवरिश योजना के तहत मरीज के बच्चों को 18 वर्ष तक एक हजार रुपये प्रति माह दिया जाता है. इसके अलावा एड्स पीड़ित शताब्दी योजना के तहत संक्रमित मरीज को 1500 रुपये प्रति माह दिया जाता है. स्वास्थ्य सेवा के तहत जीवनोपरांत एआरवी ड्रग की सुविधा दी जाती है और उनका फ्री पैथोलॉजिकल टेस्ट, फ्री ब्लड व फ्री ट्रीटमेंट होता है. एआरवी ड्रग एआरटी केंद्र में उपलब्ध कराया गया है, जो सुपौल, सहरसा व मधेपुरा को मिला कर सिर्फ सुपौल में ही उपलब्ध है. यहां मरीज के दवा के साथ-साथ फ्री में वायरल टेस्ट भी कराया जाता है.

एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती महिला की विशेष निगरानी में कराया जाता है प्रसव

जो गर्भवती महिला एचआईवी पॉजिटिव पायी जाती है, उनका डिलेवरी पीपीटीसीपी के तहत सदर अस्पताल सुपौल में प्रशिक्षित नर्स द्वारा विशेष व्यवस्था के तहत किया जाता है. ताकि माता से बच्चा में एचआईवी संक्रमण नहीं हो. गर्भवती महिला के एचआईवी पॉजिटिव कंफर्म होने पर उसे तुरंत एआरटी सेंटर भेजा जाता है और उनका तुरंत दवा चालू करवाया जाता है. ताकि मां से बच्चा में संक्रमण नहीं फैले. नवजात को विशेष तौर पर नेवरापिन एवं जुड़ोविडिन सिरप चिकित्सक की निगरानी में आवश्यकता अनुसार दिया जाता है. इसके अलावा नवजात शिशु को डेढ़ साल तक चार बार कलकत्ता से विशेष ड्राय ब्लड सैंपल (डीबीएस) जांच किया जाता है. इस जांच में पॉजिटिव पाये जाने पर शिशु का एआरवी ड्रग चलाया जाता है.

कहते हैं परामर्शी

परामर्शी बंधुनाथ झा ने बताया कि एड्स के प्रति जागरूकता को लेकर जोर शोर से प्रचार-प्रसार, नुक्कड़ नाटक, दीवाल लेखन किया जा रहा है. साथ ही एनएसीओ ने यह कार्यक्रम जिला के सभी जेलों में भी शुरू करवा दिया है. इसके अलावा जेल में रह रहे सभी महिला व पुरुष की जांच की जाती है, जेल में वित्तीय वर्ष 2023-24 में 04 मरीज एचआईवी संक्रमित पाये गये. बताया कि संक्रमित मरीजों की भर्ती के लिए सदर अस्पताल में अगल से कोई व्यवस्था नहीं है. लेकिन संक्रमित गर्भवती महिलाओं के लिए डिलेवरी के लिए अगल व्यवस्था है, दवा व जांच के लिए सदर अस्पताल में संपूर्ण व्यवस्था की गयी है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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