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वंशावली बनवाने में रैयतों के छूट रहे पसीने

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भूमि विवाद को रोकने के लिए सरकार ने विशेष भूमि सर्वेक्षण की शुरूआत की है.इसके तहत नये सिरे से वंशावली तैयार करने को लेकर रैयतों के हर दिन पसीने छूट रहे हैं.उधर प्रारंभिक प्रक्रिया को लेकर आये दिन जारी हो रहे नये सरकारी फरमान को लेकर लोगों में उहापोह बनी हुई है.जिले के 19 अंचलों के 1449 राजस्व गांवों में भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया शुरू हो गयी है.

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संवाददाता, सीवान. भूमि विवाद को रोकने के लिए सरकार ने विशेष भूमि सर्वेक्षण की शुरूआत की है.इसके तहत नये सिरे से वंशावली तैयार करने को लेकर रैयतों के हर दिन पसीने छूट रहे हैं.उधर प्रारंभिक प्रक्रिया को लेकर आये दिन जारी हो रहे नये सरकारी फरमान को लेकर लोगों में उहापोह बनी हुई है. जिले के 19 अंचलों के 1449 राजस्व गांवों में भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. सभी अंचल के विभिन्न गांवों में कर्मियों द्वारा आम सभा की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गयी है. रैयतों को आम सभा के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में जानकारी के अभाव में उहापोह की स्थिति बनी हुई है. विशेष भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया रैयतों के लिए मुसीबत का सबब बन रही है. प्रक्रिया बड़े, मझौले और छोटे किसानों के मानसिक तनाव का कारण बन गई है. किसानों को अपनी जमीन हाथ से खिसकने की चिंता सता रही है. वहीं बिचौलिए भी सक्रिय हो गए हैं, जो रैयतों को गुमराह कर रहे हैं. कई भू-स्वामियों के स्वामित्व के कागजात रखरखाव के अभाव के चलते नष्ट हो चुके हैं. कई भू-स्वामी ऐसे हैं, जिनकी भूमि का बंटवारा कई पुस्त से नहीं हुआ है. यदि बंटवारा हुआ भी है तो मौखिक ही हुआ है. मौखिक बंटवारा के आधार पर जमीन की बिक्री भी हो गयी है. लोग कागजातों की तलाश के लिए विभागों का चक्कर लगा रहे हैं. कई इलाके में निजी अमीनों के बाकायदा ऑफिस खुल गए हैं. कई जगह सर्वे रिपोर्ट में जमीन के टूकड़े के मलिकाना हक में पहले गलत नाम चढ़ा देने, फिर उसे सुधार करने के नाम पर वसूली की जा रही है. जो लोग गांव से बाहर हैं. उनकी जमीन पर भी दबंग व कागज जानकार लोग गलत नाम चढ़ाकर उन्हें बेदखल करने की तैयारी में है. कहां से आयेगा 125 वर्षों का रिकॉर्ड जीरादेई प्रखंड के रैयत जवाहर सिंह व मैरवा प्रखंड के केदारनाथ गिरी का कहना है कि पहले भी भूमि सर्वे के नाम पर दोहन हो चुका है. अमीन प्लॉट पर जाते हैं, तो रैयतों से कागजात मांगते हैं. कागजात जमा करने के नाम पर रुपये की मांग की जाती रही है. अधिकांश लोगों की यह समस्या है कि जमीन का म्यूटेशन भी फर्जी तरीके से किया गया है. राजस्व कर्मचारी रसीद काट दिए हैं, लेकिन जमाबंदी नहीं खोले हैं. अभी भी पुराने रैयत के नाम से ही जमीन का रिकॉर्ड है. अमीन 1902 के खतियान को बेस मानते हैं. जिन लोगों ने कई वर्ष पहले जमीन खरीदी है, उनसे 1902 से लेकर अब तक की खरीद बिक्री का ब्यौरा मांगा जाता है. खरीदार 125 वर्षों का ब्यौरा कहां से लायेगा. अनेकों परेशानियों से गुजर रहे रैयत रैयतों का कहना है कि जिस परिवार में बंटवारा नहीं हुआ है, वह अब वंशावली तैयार करने को लेकर मगजमारी कर रहे हैं. जिन लोगों ने जमीन का खेसरा बार ब्योरा अब तक ऑनलाइन नहीं कराया है, उन्हें सबसे पहले प्लॉट संख्या यानी खेसरा वार परिमार्जन ऑनलाइन कराना पड़ रहा है. विभागीय पोर्टल पर उपलब्ध जमाबंदी में कई तरह की विसंगतियां है. पोर्टल पर उपलब्ध जमाबंदी में भू स्वामियों के नाम में कई तरह की त्रूटियां हैं. इसे सुधारने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. सरकारी कार्यालय एवं कचहरी में लोगों की भीड़ कागजातों की तलाश में लोग सरकारी कार्यालयों एवं कचहरी का चक्कर लगा रहे हैं. जमाबंदी में वंशावली से लेकर जमीनी स्तर तक कई परेशानियां सामने आ रही है. इसके निराकरण के लिए भूमि अभिलेखागार, भूमि निबंधन कार्यालय, हल्का, अंचल व सर्वे कार्यालय, अनुमंडल कार्यालय, समाहरणालय एवं न्यायालय में लोगों की भीड़ उमड़ रही है. जिले के लगभग सभी प्रखंड में जमीन का लगान अपडेट नहीं होने, म्यूटेशन नहीं होने, आपसी बंटवारा नहीं होने से कागजात की कमी, दादा-परदादा के नाम से जमाबंदी समेत कई तरह की परेशानियां से जमीन मालिक जूझ रहे हैं. रिकॉर्ड रूम का लगा रहे चक्कर कोई रिकॉर्ड रूम का चक्कर लगा रहा है, तो कोई कार्यालय का दौड़ लगा रहे हैं. 100 साल से भी अधिक समय बाद मिल्कियत के कागजात मांगें जा रहे हैं. रैयत प्रमोद शर्मा ने बताया कि 1914 के बाद न जाने कितनी बार जमीन का हस्तांतरण हुआ है. इसके न तो कोई दस्तावेज है और न कोई चिट्ठा. बहुत सी ऐसी जमीन है, जिसे आपसी रजामंदी से मौखिक तौर पर बंटवारा कर जोता जा रहा है. मौखिक बदलैन करने वाले कई फरीक ने अपना हिस्सा बेच लिया. अब बदले में मिली जमीन पर उनके वंशज हक मांग रहे हैं. सभी 1449 राजस्व गांव में हो चुकी है आमसभा- सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी अखिलेश चौधरी ने बताया कि जिले के सभी 19 अंचलों में राजस्व ग्राम की संख्या 1535 है, जिसके आलोक में 1449 गांवों का ही सर्वे करना है. कारण कि 63 गांव नगरीय राजस्व ग्राम व 23 ऐसे राजस्व गांव हैं, जिनका आज तक सर्वे नहीं हुआ है. बताया कि सर्वें कार्य के लिए 253 अमीन लगाये गये हैं. प्रत्येक अमीन को पांच से छह गांव सर्वे केे लिए सौंपा गया है. जबकि 24 कानूनगों की तैनाती की गयी है. जबकि जरूरत 38 की है. रैयत परेशान, बिचौलिए हो रहे मालामाल भू अभिलेख जुटाने में रैयतों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं अधिकारियों व कर्मियों पर भी कार्य का बोझ बढ़ गया है. सबसे ज्यादा परेशानी वंशावली तैयार करने में हो रही है. बिचौलियों के सक्रिय होने के चलते रैयतों को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है. शपथ पत्र से लेकर वंशावली तैयार करने में बिचौलियों की मनमानी चल रही है. रैयतों ने बताया कि शपथ पत्र तैयार करने में स्टाम्प व वकील के फीस के अलावा कम से कम 500 रुपए लग रहा है. वहीं कुछ ऐसे भी लोग है, जिनके पास जमीन का कागजात नहीं है. आज भी उनके दादा, परदादा के नाम से जमीन की जमाबंदी चल रही है. रिकॉर्ड रूम में जाने के बाद जमाबंदी का कागज नहीं मिल रहे हैं. रिकॉर्ड रूम जाने पर पता चलता है कि खतियान कागज फटा हुआ है. वंशावली के लिये शपथ पत्र अनिवार्य नहीं सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी अखिलेश चौधरी की माने तो किसानों को वंशावली के लिए पैनिक होने की जरूरत नहीं है. उनके द्वारा स्वयं घोषणा कर बनाये गये वंशावली मान्य होगी. वशर्तें उसमें खानदान या परिवार के सभी सदस्यों का नाम अवश्य होना चाहिए. ताकि भविष्य में किसी परेशानी से बच सकें. वंशावली तैयार करने में शपथ पत्र अनिवार्य नहीं है. जानकारी के अभाव के चलते लोग दलालों के चंगुल में न फंसे. क्या कहते हैं पदाधिकारी विशेष भूमि सर्वेक्षण के तहत अभी वंशावली तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है.इसके बाद आपत्ति दाखिल करने का अवसर दिया जायेगा.यह प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद रैयतों को जमीन संबंधित कागजात उपलब्ध कराया जायेगा.यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन दर्ज हो जाने के बाद भूमि विवाद की शिकायतों में कमी आयेगी. सुजीत कुमार जिला बंदोबस्त पदाधिकारी

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