27.1 C
Ranchi
Tuesday, February 11, 2025 | 01:15 pm
27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

HomeBiharSiwanमंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी पूरी, भक्तोंं में उत्साह

मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी पूरी, भक्तोंं में उत्साह

संवाददाता, सीवान. विष्णु अवतार भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव सोमवार को मनाया जायेगा. मंदिरों में जन्माष्टमी को लेकर काफी उत्साह है. सनातन धर्म में कृष्णाष्टमी का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में कृष्ण ने जन्म लिया था. जन्माष्टमी को लेकर जिले के विभिन्न मंदिरों में तैयारी पूरी कर ली गई है. पूजन के साथ-साथ भजन कीर्तन का भी आयोजन किया जाएगा. पंडित उमाशंकर आचार्य ने बताया कि अष्टमी तिथि का प्रवेश 26 अगस्त की सुबह 8 बजे के बाद हो रहा है और अष्टमी की तिथि समाप्ति 27 अगस्त की सुबह 6 बजे के बाद होगा. 26 अगस्त को कृतिका नक्षत्र रात्रि 9:10 पर बीत जाएगी और इसके बाद रोहिणी नक्षत्र का प्रवेश होगा. रोहिणी नक्षत्र में ही रात्रि 12 बजे भगवान श्री कृष्ण जन्म लेंगे. अष्टमी तिथि होने से कृष्ण जन्माष्टमी और व्रतोत्सव के लिए यह दिन मान्य रहेगा. व्रत रहने वाले 27 अगस्त की सुबह पारण करेंगे. ऐसे करें कृष्ण जन्माष्टमी पर पूजन सुबह स्नान करके भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प करें. इसके बाद दिन भर श्रद्धानुसार व्रत रखें. व्रत निर्जल रहें या फलाहार लेकर रहें, कान्हा के लिए भोग और प्रसाद आदि बनाएं. शाम को श्रीकृष्ण भगवान का भजन कीर्तन करें. रात में 12 बजे नार वाले खीरे में लड्डू गोपाल को बैठाकर कन्हैया का जन्म कराएं. नार वाले खीरे का तात्पर्य माता देवकी के गर्भ से लिया जाता है. इसके बाद भगवान को दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से स्नान कराएं. सुंदर वस्त्र, मुकुट, माला पहनाकर पालने में बैठाएं. फिर धूप, दीप, आदि जलाकर पीला चंदन, अक्षत, पुष्प, तुलसी, मिष्ठान, मेवा, पंजीरी व पंचामृत आदि का भोग लगाएं. कृष्ण मंत्र का जाप करें. क्या है इस पर्व का महत्व धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु ने कंस का वध करके पृथ्वी में फिर से धर्म की स्थापना के लिए श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया था. उनका जन्म इसी दिन हुआ था. इसलिए इस दिन को कृष्ण जन्माष्टी के रूप में मनाया जाता है. शास्त्रों में जन्माष्टमी के व्रत को व्रतराज कहा गया है. भविष्य पुराण के अनुसार जिस घर में यह देवकी-व्रत किया जाता है, वहां अकाल मृत्यु, गर्भपात, वैधव्य, दुर्भाग्य और कलह नहीं होती. जो भी भक्त एक बार भी इस व्रत को करता है वह संसार के सभी सुखों को भोगकर विष्णुलोक में निवास करता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Also Read:

You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, दुनिया, बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस अपडेट, टेक & ऑटो, क्रिकेट राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां.

अन्य खबरें

ऐप पर पढें