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42 लाख की आबादी पर सदर अस्पताल में महज 30 चिकित्सक

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राज्य सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के बड़े-बड़े दावे करती है. आमजन को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के नाम पर हर साल करोड़ों/अरबों खर्च होते हैं, लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ और होती है.

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सीतामढ़ी. राज्य सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के बड़े-बड़े दावे करती है. आमजन को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के नाम पर हर साल करोड़ों/अरबों खर्च होते हैं, लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ और होती है. किसी अस्पताल में डॉक्टर नहीं है, तो कहीं जांच के बेसिक इंतजाम तक नहीं हैं. दवाओं का घोर आभाव बना रहता है. सीतामढ़ी में स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल यह है कि जिले की आबादी करीब 42 लाख है और यहां के सदर अस्पताल के नाम से प्रसिद्ध जिला अस्पताल में आजतक स्कीन, न्यूरो सर्जन, फिजिशियन, रेडियोलॉजिस्ट, कान व गला का चिकित्सक नहीं है. वही हड्डी, आंख व सर्जन के साथ ही विशेषज्ञ चिकित्सक की घोर अभाव है.

–घायल को रेफर करने के बाद शहर के निजी अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत

जानकारी के अनुसार सदर अस्पताल में नियमानुसार करीब 70 चिकित्सक की जरूरत है. जबकि वर्तमान समय में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक की संख्या महज 30 है. वही स्वास्थ्य कर्मी की संख्या भी महज 50 प्रतिशत रह गयी है. वैसे राज्य स्वास्थ्य विभाग के द्वारा सदर अस्पताल सीतामढ़ी परिसर में मातृ-शिशु अस्पताल व मॉडल अस्पताल की बड़ी-बड़ी भवन निर्माण करायी गयी है. वही उसका उद्घाटन भी की गयी है. लेकिन आज भी इमरजेंसी वार्ड स्नेक वाइट, दमफुलीया, हेड इंजुरी व दुर्घटना में आये घायल मरीज व टूटे हड्डी के मरीज को प्राथमिक उपचार के बाद एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर या पीएमसीएच पटना रेफर कर दिया जाता है. जिसमें से अधिकांश मरीज के परिजन घायल को रेफर के बाद शहर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया जाता है.

–सड़क दुर्घटना के अधिकांश मामले में रेफर

इमरजेंसी वार्ड से मिली जानकारी के अनुसार जुलाई 24 में 2125 मरीज इलाज के लिए इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया. जिसमें से 689, वही अगस्त 24 में 2129 में 636, सितंबर माह में 2095 में से 588 मरीज व अक्टूबर माह में अभी तक 150 से अंधिक मरीज को रेफर किया गया है. जिसमें स्नेक वाइट, हेड इंजुरी, सड़क दुर्घटना, स्कीन डिजीज, जहर या नशाखोरी मरीजों को भी हायर सेंटर में रेफर कर दिया गया है. 26 अक्टूबर को दुर्घटना में इलाज के लिए सदर अस्पताल आये मरीज राजेश महतो, 25 अक्टूबर को राजीव कुमार व संजय कुमार को भी सड़क दुर्घटना में प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया गया. इसी तरह 18 अक्टूबर को स्नेक वाइट में इलाजरत चंदेश्वर मुखिया को एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर रेफर किया गया है. इमरजेंसी वार्ड के कर्मी ने बताया कि सड़क दुर्घटना में हेड इंजुरी व हड्डी टुटे अधिकांश मरीज को प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया जाता है. बताया कि इमरजेंसी वार्ड में विषेशज्ञ चिकित्सक की ड्यूटी नहीं रहती है. वही विशेषज्ञ चिकित्सक की संख्या कम है. जबकि सड़क दुर्घटना या गोली लगने से बुरी तरह से घायल मरीज किसी भी समय इमरजेंसी वार्ड में आते हैं. जिसे विशेषज्ञ चिकित्सक के अभाव में रेफर कर दिया जाता है. जानकारी के अनुसार सदर अस्पताल के अधिकांश विभाग में जरुरत के अनुसार स्वास्थ्य कर्मी की कमी ह. जिसके आजतक नहीं भरा जा सका है. जिसके कारण आज भी बड़े-बड़े भवन निर्माण के बावजूद लोगों को इमरजेंसी इलाज के लिए निजी अस्पताल में भर्ती करवाया जाता है.

–क्या कहते हैं अधिकारी

उपलब्ध सुविधाओं, चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी के सहयोग से जिले भर से आने वाले मरीजों को सही इलाज करने की कोशिश की जाती है. यह सत्य है कि विशेषज्ञ चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी की आवश्यकता है.

डॉ सुधा झा

उपाधीक्षक, सदर अस्पताल

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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