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2019 में सारण में 28267 ने दबाया था नोटा बटन

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2014 के चुनाव में सारण संसदीय क्षेत्र में 19163 तो महाराजगंज में 23404 मिले थे नोटा को.

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छपरा (सदर). आगामी 20 तथा 25 मई को सारण तथा महाराजगंज संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में मतदान होना है. जिसमें सारण संसदीय क्षेत्र में 14 तथा महाराजगंज में पांच उम्मीदवार अपनी-अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए दिन रात एक किए हुए है. वहीं दोनों क्षेत्रों में एनडीए तथा महागठबंधन के बड़े-बड़े नेताओं का दौरा एवं जन सभा शुरू हो चुकी है. परंतु, विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा अपने-अपने दलों के लिए मनमाने ढ़ंग से उम्मीदवार थोपने की प्रवृति से मतदाता उदासीन है. उनका कहना है कि अधिकतर उम्मीदवार चुनाव के दौरान तो वोट मांगते है तथा तरह-तरह के वादे करते है परंतु चुनाव के बाद वे उनकी विकास एवं कल्याण की योजनाओं के कार्यान्वयन एवं समस्या के समाधान के प्रति उदासीन रहते है. फलत: बड़ी संख्या में ऐसे उम्मीदवारों एवं उनके दलों से नाराज मतदाता नोटा का बटन दबाने की तैयारी में है जो निश्चित तौर पर उम्मीदवारों के लिए परेशानी का सबब साबित हो सकता है. नोटा बटन का अर्थ यह होता है कि मतदाता उपर के सभी उम्मीदवारों में से किसी को पसंद नहीं करता है. ऐसी स्थिति में नोटा का बटन दबाने के बाद यह साबित होता है कि जितनें भी उम्मीदवार खड़े है उनमें से किसी को वोटर पसंद नहीं करते है. यदि का नोट उम्मीदवारों के वोट से ज्यादा होता है वैसी स्थिति में उस क्षेत्र पुन: चुनाव की नौबत आ जाती है. जिला निर्वाचन से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सारण संसदीय क्षेत्र में 28267 वोटरों ने नोटा का बटन दबाया था जबकि 2014 के संसदीय चुनाव में सारण में 19163 वोटरों ने नोटा का बटन दबाया था जो, गत चुनाव से .8 फीसदी ज्यादा था. इसी प्रकार महाराजगंज संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में 2014 के लोकसभा चुनाव में 23404 वोटरों ने नोटा का बटन दबाया था. वहीं 2019 में इस संसदीय क्षेत्र में 22167 वोटरों ने नोटा का बटन दबाया था. हालांकि इसबार दोनों संसददीय चुनाव क्षेत्र में कुछ ऐसे भी नये उम्मीदवार अपना भाग अजमा रहे है जो कभी भी जनप्रतिनिधि नहीं रहे है. उनमें पुरूष तथा महिला उम्मीदवार शामिल है. अब देखना है कि इस बार उदासीन मतदाता उम्मीदवारों को पसंद करते है या नोटा का बटन दबाते है.

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