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ईंख अनुसंधान संस्थान ने किये छह चयनित क्लोन विकसित

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डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित ईख अनुसंधान संस्थान ने गन्ना अनुसंधान और विकास के दौर में उन्नत एवं नवीनतम गन्ने की क्लोन विकसित करने के लिए जाना जाता है.

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पूसा : डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित ईख अनुसंधान संस्थान ने गन्ना अनुसंधान और विकास के दौर में उन्नत एवं नवीनतम गन्ने की क्लोन विकसित करने के लिए जाना जाता है. इससे किसानों एवं चीनी मील दोनों को ही आर्थिक सबलता प्रदान किया जा सके. किसानों को ज्यादा उपज मिलना चाहिए वहीं चीनी मिल को ज्यादा रिकवरी की आवश्यकता होती है. ईख अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक वर्ष 1932 से ही सिडलिंग प्लाटिंग एवं सिडलिंग के क्लोन का चयन करते आ रहे हैं. इसके लिए चीनी मिल क्षेत्रों में भी चयनित क्लोनों को जोनल शोध में दिया जाता रहा है. तत्पश्चात प्रभेदों का नामकरण किया जाता है. बीओ एवं सीओपी के नाम से जाना जाता है. वैज्ञानिक सह विभागाध्यक्ष डॉ बलवंत कुमार ने बताया कि बीओ प्रभेद की संकरण का कार्य पूसा में ही किया जाता है. जबकि सीओपी नामक प्रभेद का शोध राष्ट्रीय गन्ना संकरण बगीचा कोयंबटूर में किया जाता है. केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के अंतर्गत एक अनुसंधान संस्थान अवस्थित है वर्ष 2016 से विश्वविद्यालय केंद्रीयकृत होने के बाद राजेंद्र गन्ना का सीरीज निकलना शुरू हुआ है. इस क्रम में कुल आठ प्रभेद में राजेंद्र गन्ना 1 से लेकर 8 तक का अनुमोदन विश्वविद्यालय के आरसीएम एवं आईसीएआर ग्रुप मीटिंग में पारित किया गया है. इस वर्ष इसी क्रम में संस्थान के माध्यम से गन्ने की कुल 6 चयनित क्लोनों का विकास किया गया है. जिसमें सीओपी 24 436, 24 437, 24 438, 24 439, 24 440, 24 441 शामिल हैं. सभी चयनित क्लोन का विकास संस्थान के निदेशक डॉ एके सिंह के नेतृत्व में वैराइटी आइडेंटिफिकेशन कमेटी के माध्यम से 15 मार्च 2024 को किया गया था. मौके पर वैज्ञानिक डॉ एसएन सिंह, इंजीनियर शैलेश कुमार, इं मनोज कुमार थे.

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