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कचरा निस्तारण की रफ्तार धीमी, प्रबंध में कमजोर निगम

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कचरा प्रबंधन में निगम का प्रयास विफल साबित हो रहा है. इसका नतीजा है कि शहर में एक ओर दिखावे की स्वच्छता और दूसरी ओर गंदगी का अंबार दिख रहा है. निगम के आउट सोर्सिंग एजेंसी द्वारा वार्डों में कचरे का उठाव कर टंचिंग ग्राउंड की जगह नए वार्डों में सड़क किनारे यत्र तत्र डंप किया जा रहा है.

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समस्तीपुर: कचरा प्रबंधन में निगम का प्रयास विफल साबित हो रहा है. इसका नतीजा है कि शहर में एक ओर दिखावे की स्वच्छता और दूसरी ओर गंदगी का अंबार दिख रहा है. निगम के आउट सोर्सिंग एजेंसी द्वारा वार्डों में कचरे का उठाव कर टंचिंग ग्राउंड की जगह नए वार्डों में सड़क किनारे यत्र तत्र डंप किया जा रहा है. खुले में कचरे को लोग आग लगा देते हैं. इससे प्रदूषण की समस्या भी बढ़ जाती है. इससे आसपास में रहने वाले लोगों काफी परेशान हैं. साथ ही, बीमारियों के फैलने की आशंका भी बनी रहती है. निगम प्रशासन की ओर से कचरे को डंप करने के लिए धर्मपुर कृष्णापुरी मोहल्ला और केंद्रीय विद्यालय के पीछे दो अलग अलग टंचिंग ग्राउंड बनाए गए हैं. लेकिन जगह का काफी अभाव दिख रहा है. नगर प्रबंधक शफी अहमद ने बताया कि डंपिंग जोन के निर्माण और कचरा प्रबंधन को लेकर योजना बनाई गई है. जल्द ही इसकी शुरुआत की जाएगी.

डंपिंग जोन का अभाव, पर्यावरण को दूषित कर रहा कचरा:

निगम क्षेत्र में आबादी के साथ बढ़ती गंदगी के बीच प्रबंधन के इंतजाम भी बढ़े. साफ सफाई की व्यवस्था भी पहले से मजबूत हुई. लेकिन, कचरा निस्तारण का प्रबंध कमजोर रहा. डंपिंग जोन के अभाव में सफाई कर्मचारी बाजार में कचरे का उठाव कर निगम के पुराने वार्डों में जगह जगह सड़क किनारे डंप कर रहे हैं. इससे आसपास दुर्गंघ फैल रही है. खुले में कचरे को लोग आग लगा देते हैं. इससे प्रदूषण की समस्या भी बढ़ रही है. सड़क किनारे जमा कचरा इंसान, जीव जंतुओं को बीमार कर रहा है या पर्यावरण को. इसकी किसको फिक्र है, न ही कहीं इसका जिक्र. शहर में कितने तरह का कचरा, कहां कहां से निकल रहा है, उसको किस तरीके से कहां ठिकाने लगाया जा रहा है. न तो किसी को जानकारी है और न ही चिंता. कचरा प्रबंधन के नाम पर दो साल पूर्व शुरू हुई योजना कुव्यवस्था के कारण सही मुकाम तक नहीं पहुंच रही है.

दो साल में 100 मीट्रिक टन सूखे कचरे का निस्तारण:

नगर निगम क्षेत्र के धर्मपुर कृष्णापुरी मोहल्ला स्थित टंचिंग ग्राउंड में स्थापित मैटेरियल रिकवरी फेसिलिटी सेंटर (एमआरएफ) यानी स्वच्छ सेंटर में पिछले दो साल के अंतराल में 100 मीट्रिक टन से अधिक सूखे, प्लास्टिक कचरे का निस्तारण किया गया है. इसमें करीब 90 प्रतिशत कचरा नगर निगम क्षेत्र के विभिन्न वार्डों से कलेक्टर है. शेष दस प्रतिशत कचरा जिले के विभिन्न प्रखंडों में ग्रामीण इलाके का है. इसके बावजूद निगम क्षेत्र में जगह जगह कचरे का अंबार जमा है. जानकारी के अनुसार निगम क्षेत्र में हर दिन वार्डों से करीब 35 से 40 टन कचरा कलेक्टर किया जाता है. इसमें दस प्रतिशत कचरा ही एमआरएफ सेंटर तक पहुंच पाता है. अधिकांश वार्डों का कचरा यत्र तत्र डंप किया जा रहा है. एमआरएफ सेंटर के प्रोजेक्टर लीडर निखिल कुमार ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में कचरा कलेक्टर करने के लिए जिले में बीसों प्रखंडों में ब्लॉक स्तर पर डब्लूपीयू (वेस्ट प्रोसिसिंग यूनिट) स्थापित है. जहां ग्रामीण इलाके से कचरे को कलेक्ट कर निस्तारण के लिए समस्तीपुर एमआरएफ सेंटर भेजा जाता है. शहरी क्षेत्र में कचरा कलेक्ट करने के लिए 70 सफाई मित्र को काम पर लगाया गया है. जो प्रतिदिन सूखे कचरे को कलेक्टर कर एमआरएफ सेंटर में जमा करते हैं. इसके लिए उन्हें पारिश्रमिक भुगतान भी किया जाता है. एमआरएफ सेंटर में सूखे कचरे को अलग अलग भागों में वर्गीकृत किया जाता है. इसके बाद मशीन से प्रोसेसिंग कर रिसाइकलिंग के लिए सीतामढी, पटना, दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों में भेजा जाता है. जहां कचरे काे रिसाइकलिंग कर प्लास्टिक के बने दैनिक उपयोग की वस्तु जैसे कुर्सी, टेबल आदि बनाया जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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