18.1 C
Ranchi
Saturday, February 22, 2025 | 12:17 am
18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

शिक्षक-छात्र का आदर्श अनुपात 1:40, काॅलेजों में एक शिक्षक पर 400 छात्र

Advertisement

जिले के काॅलेजों में अब सिर्फ शिक्षकों की नियुक्ति ही नहीं बल्कि शिक्षकों के पद बढ़ाने की भी जरूरत है

Audio Book

ऑडियो सुनें

समस्तीपुर: जिले के काॅलेजों में अब सिर्फ शिक्षकों की नियुक्ति ही नहीं बल्कि शिक्षकों के पद बढ़ाने की भी जरूरत है. खासकर तब जब यूजीसी ने कॉलेजों व विवि तक में 40 छात्र पर एक शिक्षक के अनुपात को आदर्श बताया है. राज्य सरकार ने 1996, 2003, 2015 और 2020 (अभी बहाली जारी) में नियमित शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया की, लेकिन शिक्षकों का पद कभी नहीं बढ़ाया. शहर के बीआरबी कॉलेज में करीब पंद्रह हजार छात्र छात्राएं नामांकित है. इन्हें पढ़ाने के लिए मात्र 35 शिक्षक है. इसी तरह शहर के आरएनएआर काॅलेज में करीब छह हजार छात्र छात्राएं नामांकित है. इन्हे पढ़ाने के लिए मात्र 22 शिक्षक है. यूजीसी के गाइडलाइन के अनुसार, शिक्षक-छात्र का अनुपात 40 विद्यार्थी पर एक शिक्षक होना चाहिए. जबकि हाल यह है कि समस्तीपुर कॉलेज व बीआरबी कॉलेज में लगभग 400 छात्रों में एक ही शिक्षक हैं. इस कमी को पाटने के लिए कम से कम तीन हजार से अधिक शिक्षकों की और जरूरत है. ललित नारायण मिथिला विवि के स्नातकोत्तर विभाग समेत विभिन्न कॉलेजों में अतिथि शिक्षकों के सहारे ही पठन-पाठन का काम हो रहा है. नियमित पदों पर तैनात लगभग 60-70 प्रतिशत शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं. शिक्षकों के रिटायर होने के बाद विवि व कॉलेजों में काफी विषयों में कम ही शिक्षक बचे हैं. इससे पठन-पाठन पर असर हो रहा है. हालांकि, अतिथि शिक्षकों के सहारे गुणवत्तापूर्ण पठन-पाठन का कार्य चल रहा था. इसी बीच विवि प्रशासन ने अतिथि शिक्षकों का स्थानांतरण कर दिया. साथ ही, बिहार राज्य विवि सेवा आयोग से चयनित शिक्षकों को पदस्थापित कर दिया. पदस्थापन से पूर्व शिक्षक छात्र के आदर्श अनुपात को भी नजरअंदाज करते हुए अतिथि शिक्षकों का स्थानांतरण कर दिया. छात्र नेता मुलायम सिंह यादव का कहना है कि छात्र-शिक्षक अनुपात से तात्पर्य किसी विद्यालय में प्रत्येक शिक्षक के लिए छात्रों की संख्या से है. कई छात्रों और शिक्षकों का मानना है कि संख्या जितनी कम होगी, शैक्षणिक प्रक्रिया और सीखना उतना ही बेहतर होगा. छात्र-शिक्षक अनुपात को छात्र की सफलता और संलग्नता के सबसे मजबूत संकेतकों में से एक पाया गया है. तार्किक रूप से, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि ऐसा क्यों है. प्रत्येक शिक्षक जितने कम छात्रों के साथ काम करता है, उतना ही वे अपने शिक्षण को विशिष्ट शिक्षण शैलियों के अनुकूल बनाने में सक्षम होते हैं. वही महिला कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डा. विजय कुमार गुप्ता ने बताया कि दरअसल किसी भी प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता का आकलन करने का एक महत्वपूर्ण संकेतक छात्र-शिक्षक अनुपात होता है. यह अनुपात जितना कम होगा, शिक्षा उतनी ही गुणवत्तापूर्ण होगी और छात्र उतना ही बेहतर ढंग से शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे. छात्र-शिक्षक अनुपात कम होने का तात्पर्य पर्याप्त संख्या में शिक्षकों की उपलब्धता से भी लगाया जाता है. सामान्यत: एक शिक्षक के कंधे पर जितने कम बच्चों का भविष्य संवारने की जिम्मेदारी होती है, वह उतना ही बेहतर ढंग से यह काम कर पाता है. स्थायी शिक्षकों के खाली पदों का नैक मूल्यांकन पर भी असर दिख रहा है. काॅलेजों में रिसर्च गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं. नैक मूल्यांकन में अंक कम मिल रहे हैं. रैंक में खराब ग्रेड मिलते हैं. इसका सीधा असर अनुदान पर दिखता है. बता दें कि बिहार सरकार सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) बढ़ाने देने को लेकर बिहार के विभिन्न विवि के अधीन कॉलेजों में संचालित पाठ्यक्रों में अतिरिक्त सीट जोड़ने की मंजूरी दी थी. लेकिन इन काॅलेजों में यूजीसी मानक के अनुरूप शिक्षकों का घोर अभाव है. विवि स्तर पर अतिथि शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया शुरु की गयी. इसके बाद शिक्षक-छात्र अनुपात में सुधार की बात कही जाने लगी लेकिन परिणाम आज सबके सामने है. अतिथि शिक्षक डॉ. गौतम कुमार ने कहा कि राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों में विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा हिंदी में शिक्षकों को भेजे जाने के बाद भी पूर्व में जो अतिथि शिक्षक कार्यरत है, वह कार्य कर रहे हैं. जबकि मिथिला विश्वविद्यालय और बिहार विश्वविद्यालय में इस आलोक में हिंदी और प्राकृत भाषा के अतिथि प्राध्यापकों को सेवा मुक्त कर दिया गया है. एक ही राज्य में अलग-अलग विश्वविद्यालयों द्वारा अलग-अलग नियम लागू किए जा रहे हैं. इससे स्पष्ट है की राज्य सरकार शिक्षा के प्रति कितनी गंभीर है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें