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विद्यालयों की जांच के लिए 38 बिंदु किये गये निर्धारित

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ब सरकारी स्कूलों की गहनता से जांच कराने की रणनीति बनायी गयी है. स्कूलों की जांच के लिए 38 बिंदु निर्धारित किये गये हैं.

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समस्तीपुर : अब सरकारी स्कूलों की गहनता से जांच कराने की रणनीति बनायी गयी है. स्कूलों की जांच के लिए 38 बिंदु निर्धारित किये गये हैं. कर्मियों की जांच के बाद वरीय अधिकारी भी जांच करेंगे. अगर दोनों की जांच में अंतर पाया गया, तो जांच कर्मी पर कार्रवाई की जायेगी. स्कूलों की आधारभूत संरचनाओं की जांच के लिए 16 तो शिक्षक व छात्रों से संबंधित जांच के लिए नौ-नौ बिंदु निर्धारित किये गये हैं. शिक्षा निदेशालय ने सख्त आदेश दिया है कि शिक्षा विभाग के कमी व अधिकारियों की जांच और जिला प्रशासन की जांच में भिन्नता मिलने पर शिक्षा विभागीय अधिकारियों पर कार्रवाई की जायेगी. यह माना जायेगा कि शिक्षा विभाग के कर्मी व अधिकारी ने गंभीरता से जांच नहीं की. विद्यालय में शिक्षक व छात्रों की संख्या के अनुरूप वर्ग कक्ष की उपलब्धता, स्कूल भवन के रंग-रोगन, किचेन शेड, गैस चूल्हा, थाली की उपलब्धता, छात्र-छात्राओं के लिए अलग- अलग शौचालय की उपलब्धता, शौचालय की साफ-सफाई व क्रियाशीलता. यह भी देखा जाना है कि शौचालय में ताला तो बंद नहीं रखा जा रहा है. पेयजल की सुविधा, वर्ग कक्ष के अनुसार बेंच-डेस्क की उपलब्धता व निर्धारित मापदंड के अनुसार बेंच-डेस्क की गुणवत्ता, हाई स्कूलों में प्रयोगशाला व पुस्तकालय से छात्र लाभान्वित हो रहे हैं या नहीं, इसकी भी जांच की जायेगी.

शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी का तीन माह चलेगा ट्रायल

जिले के सभी सरकारी स्कूलों में 25 जून से ऑनलाइन हाजिरी की व्यवस्था शुरू हो जायेगी. फिलहाल, यह व्यवस्था सिर्फ शिक्षकों के लिए ही लागू की जायेगी. इसकी तैयारी की प्रक्रिया तेज कर दी गई है. डीईओ कामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने बताया कि फिलहाल शिक्षक ही ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर ऑनलाइन हाजिरी बनायेंगे. साथ ही, अभी तीन महीने यानी सितंबर तक इसका ट्रायल चलेगा. ट्रायल सफल होने के बाद इस व्यवस्था को पूरी तरह से लागू कर दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि प्ले स्टोर के माध्यम से सभी शिक्षक को अपने मोबाइल में यह एप डाउनलोड करना होगा. लॉग-इन आईडी क्रिएट कर पोर्टल पर अपनी उपस्थिति बनायेंगे. शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी के लिए ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर विभागीय स्तर से स्टूडेंट और टीचर प्रोफाइल अपडेट करने की प्रक्रिया में विभाग तेजी ला रहा है, ताकि नियत समय से इसकी शुरुआत हो सके. ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर काम चल रहा है. इस कारण लगातार इसका सर्वर स्लो रह रहा है. इससे विभिन्न प्रखंडों में इस पोर्टल पर डाटा अपडेट करने वाले ऑपरेटरों को काफी परेशानी हो रही है. इसको लेकर बार-बार विभागीय स्तर पर शिकायत की जा रही है, बावजूद इसके इसमें सुधार नहीं हो सका है.

सरकारी स्कूलों में बिना बैंक खाते का नहीं होगा दाखिला

सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला कराने के लिए अब आधार नंबर और बैंक खाता को अनिवार्य कर दिया गया है. जिले में अभी भी विभिन्न स्कूलों में बच्चों का दाखिला लेने का काम जारी है. इसके लिए अभिभावकों को सबसे पहले तो आधार कार्ड बनवाना होगा, उसके बाद किसी बैंक में खाता भी खोलवाना होगा. इसके बिना अब नामांकन नहीं होगा. जिन नामांकित बच्चों का आधार या बैंक खाता नहीं है, उन्हें योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलेगा. शिक्षा विभाग ने स्कूल के प्रधानाध्यापकों को निर्देश जारी किया है. योजनाओं का लाभ लेने के लिए सरकारी स्कूलों में दाखिला और निजी स्कूलों में पढ़ाई का खेल लंबे समय से चलता आ रहा है. अब निजी व सरकारी स्कूलों में एक साथ पढ़ने वाले छात्र व उनके अभिभावकों पर भी कार्रवाई होगी. अब यह नहीं चलेगा. इस फर्जीवाड़े को रोकने के लिए ही सरकार ने यह निर्देश दिया है. आधार नंबर से फर्जी बच्चों के दाखिले बंद हो जायेंगे. एमआइएस पोर्टल पर एक बार अपलोड हो जाने से लाभुक छात्र-छात्राओं के खाते में साइकिल, पोशाक, नैपकिन व छात्रवृत्ति की राशि सीधे खाते में चली जायेगी. इस व्यवस्था से लंबे समय से हो रही हेराफेरी पर विराम लग जायेगा. अगले वित्तीय वर्ष से बिना आधार व बैंक खाता वाले छात्रों को योजना का लाभ नहीं मिलेगा. सरकार ने नामांकन से लेकर योजना की राशि में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए यह एहतियात कदम उठाया है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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