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नगर निगम क्षेत्र में जल जमाव दूर करने की नहीं दिख रही तैयारी

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मॉनसून की बारिश होते ही क्षेत्र एक बार फिर होगा झील में तब्दीलकागजों पर ही हो रही तैयारी

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मॉनसून की बारिश होते ही क्षेत्र एक बार फिर होगा झील में तब्दीलकागजों पर ही हो रही तैयारी, लोगों को जल जमाव का सता रहा भय जल जमाव से तीन महीने तक लोगों को घरों से निकलना होता है कठिन सहरसा अधूरे ड्रेनेज व्यवस्था से नगर निगम क्षेत्र इस वर्ष भी उबर नहीं पाया. जल जमाव झेलना यहां के लोगों की नियति बन गयी है. थोडी बारिश हुई नहीं कि मुख्य सडकों पर जल जमाव गंभीर समस्या बनकर खडी हो जाती है. अब जबकि मानसून का प्रवेश जिले में होने ही वाला है. ऐसे में एक बार फिर से जल जमाव की गंभीर समस्या खडी होगी. आधे अधूरे नाले के निर्माण से जल जमाव से मुक्ति पाना असंभव सा है. जल निकासी को लेकर दो संप हाउस का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है. लेकिन संप हाउस से जल की निकासी में भी समस्या खडी हो गयी है. प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय के पूरब बने संप हाउस का पानी मत्स्यगंधा झील में छोडे जाने की योजना थी. लेकिन इससे झील का पानी प्रदूषित होने की समस्या थी. जिसे रोककर पंप के सहारे शहर का एक मात्र मैदान पटेल मैदान में पानी छोडा जाता है. जिससे मैदान जहां तीन महीने झील में तब्दील हो जाता है. वहीं गंदे पानी की बदबू से लोगों को उधर से गुजरना भी मुश्किल भरा होता है. जबकि पटेल मैदान के उत्तर डीआईजी, एसपी का आवास सहित ऑडिटोरियम बने हैं. जहां हजारों लोगों का आना जाना होता है. इसका स्थायी समाधान तक पिछले तीन वर्षों से नहीं हो पाया है. वहीं पॉलीटेक्निक ढाला के निकट बने संप हाउस से पानी को रेलवे किनारे छोडा जाता है. जिससे अगल बगल बसे सैकडों परिवारों का जीवन नर्क में तब्दील हो जाता है. लोगों को घर खाली करने तक की समस्या खडी हो जाती है. इस सबका मुख्य कारण अधुरा नाला निर्माण एवं वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का नहीं होना है. इन दोनों संप हाउस के निकट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लग जाने से साफ पानी मत्स्यगंधा झील में गिरायी जा सकती है. जबकि पॉलीटेक्निक ढाला के निकट भी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगने से समस्या गंभीर नहीं होगी. मालूम हो कि शहर के जल निकासी के लिए बुडको द्वारा वर्ष 2017 में लगभग 362 करोड रुपये का डीपीआर तैयार किया गया था. लेकिन मात्र 54 करोड की राशि आवंटित कर टुकड़ों में बने नाले के कारण शहर की जल निकासी की समस्या आज तक जस की तस है. इससे नगर निगम के 46 वार्डों में से सिर्फ 13 वार्डों की जल निकासी की जा रही है. जबकि यह 13 वार्ड भी पूरी तरह जल जमाव से मुक्त नहीं है. इसके अधिकांश भागों में जल जमाव की समस्या बरकरार है. निगम कार्यालय में चल रहे आपसी खींचातान में जल जमाव फिर से एक बडी समस्या बनने वाली है. कागजों पर तैयारी पूरी तरह नजर आ रही है. जिलाधिकारी द्वारा तैयारी की समीक्षा के दौरान कागजों पर जबरदस्त तैयारी दिखायी गयी है. लेकिन धरातल पर लोगों को कोई तैयारी नजर नहीं आ रही है. निगम आयुक्त क्यूआरटी टीम तक के गठन एवं 24 घंटे हेल्प डेस्क कार्यरत रहने की बात कही है. साथ ही पंप सेट एवं अन्य आवश्यक तैयारी की बात कही गयी है. अब देखना है कि समय पर समस्याओं से घिरे लोगों को समय पर यह सहायता मिलती है या नहीं. मौसम विभाग ने मॉनसून के पहले दिन शुक्रवार से ही झमाझम बारिश की संभावना जतायी है. जल निकासी के लिये निगम नहीं उठा रहा कदम जिले में माॅनसून प्रवेश होने को है. लेकिन नाले की सफाई की खानापूर्ति की गयी है. मुहल्लों से जल निकासी के लिए अबतक कोई प्लान तैयार नहीं किया गया है. बुडको द्वारा बनाये गये नाले की पूरी कनेक्टिविटी तक नहीं है. ऐसे में एक बार फिर से शहर वासी जल जमाव का दंश झेलने को मजबूर होंगे. शहर की हालत यह है कि थोडी बारिश में ही शहर जल जमाव से परेशान हो उठता है. आब मॉनसून की बारिश से शहर की बनने वाली हालत समझा जा सकता है. शहर के सभी नाले लगभग जाम पडे हैं. नाले का पानी सडकों पर आ रहे हैं. मालूम हो कि नगर निगम जो पूर्व में नगर परिषद था. जिसके द्वारा पूर्व में नगर में छह बड़ी एवं 21 छोटी नालियां बनायी गयी थी. इसका कहीं बहाव का उचित प्रबंध नहीं है एवं ना ही नालियों का एक-दूसरे से संपर्क है. ऐसे में नगर निगम द्वारा कहीं कहीं नालियों की उड़ाही तो की जा रही है, लेकिन इसमें इतना ही पानी समा पायेगा, जितना में नाली भर सके. इसके बहाव का कोई उचित प्रबंध नहीं है. इस समस्या से निजात के लिए वुडको द्वारा प्रथम चरण में 54 करोड़ की लागत से मास्टर प्लान के तहत नाले का निर्माण कराया गया. यह भी फ्लाप साबित हो रहा है. जल जमाव प्रभावित इलाकों से अब भी पंपसेट से ही पानी निकालना पड़ता है. लेकिन इसके लिए कोई मास्टर प्लान नहीं दिख रहा है. वार्डों से जल निकासी का नही बना है मास्टर प्लान मॉनसून आने से पूर्व जल जमाव वाले क्षेत्रों से पानी निकासी का इस बार कोई प्लान तक तैयार नहीं किया गया है. जिससे जल जमाव की स्थिति गंभीर होने का साफ संकेत मिल रहा है. जबकि मॉनसून से पूर्व इसकी तैयारी होनी चाहिए थी. इससे पूर्व के तक में शहरी क्षेत्र में जल जमाव की स्थिति से बचने के लिए ऐहतियातिक कदम उठाये जाते रहे हैं. जिससे शहर वासियों को थोडी राहत अवश्य मिलती है एवं शहर में जल जमाव में कमी आ जाती है. मॉनसून से पूर्व वैसे वार्डो जहां नाले की समुचित व्यवस्था नहीं है, वहां जल निकासी के लिए कच्चे नाले का निर्माण कराये जाने पर समस्या से निपटा जा सकता है. अभी भी हालात यह है कि शहर को सिर्फ कच्चे नाले के सहारे ही जल जमाव से बचाया जा सकता है. मॉनसून की वर्षा से सहम रहे शहरवासी किसानों को जहां मॉनसून के बारिश का इंतजार खत्म होने की संभावना है. वहीं निगम क्षेत्र के लोगों को मॉनसून की होने वाली बारिश के संभावनाओं से ही डर लगने लगा है. मौसम विभाग ने मॉनसून के दौरान सामान्य से अधिक बारिश की संभावना जतायी है. बारिश का नाम सुनते ही निगम क्षेत्र के लोगों को जल जमाव की समस्या याद आने लगती है. जिससे वे अभी से ही परेशान हो रहे हैं. ऐसे में नगर निगम की धरातल पर शून्य तैयारी से लोग परेशान हो रहे हैं. हालांकि नगर निगम पूरी तैयारी की बात कह रहा है. अब देखना होगा की लोगों को जल जमाव की समस्याओं से इस बार निजात मिलती है. या फिर पूर्व की भांति क्षेत्र के लोग एकबार फिर से महीनों घर में कैद होने को विवश होते हैं. नाले तक की नहीं हुई पूर्ण सफाई निगम द्वारा नाले की सफाई दूसरी बार किए जाने की बात कही जा रही है. वहीं स्थानीय लोग कुछ जगहों पर एक बार भी सफाई नहीं होने की बात कह रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि मुख्य सडक के किनारे कुछ नालों की सफाई कर मात्र खानापूर्ति की गयी है. जबकि असली जल जमाव मुहल्ले में होता है. जहां नाले तक की सफाई नहीं हुई है. जिससे वार्ड में जल जमाव पूर्व से अधिक हो सकता है. जिससे जनजीवन गहरे संकट में पड सकता है. लोगों का कहना है कि महापौर एवं नगर आयुक्त के बीच लंबे समय से चल रहे मतभेद में आम जनता पिस रही है. पूर्व की तरह शहरी क्षेत्र की सफाई व्यवस्था भी नहीं है. लोगों ने नगर निगम बनने के बाद क्षेत्र के बेहतर होने का सपना देखा था. लेकिन लोगों को अब तक कोई लाभ नहीं मिल सका है. जिससे क्षेत्र के लोग परेशान हैं. निगम में आपसी खींचातान में निगम क्षेत्र की बेकसूर जनता पिस रही है. अब जबकि दो दिन बाद मॉनसून की झमाझम बारिश होने वाली है. वहीं धरातल पर तैयारी शून्य दिख रही है. जबकि निगम कार्यालय को क्षेत्र के किन हिस्सों में अत्यधिक जल जमाव होता है की जानकारी है. वहां भी किसी तरह की तैयारी नजर नहीं आ रही है. सामान्य से अधिक बारिश की है संभावना मौसम विभाग ने इस वर्ष जिले में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना व्यक्त की है. अगवानपुर कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम विभाग के तकनीकी पदाधिकारी जितेंद्र कुमार ने बताया कि जिले में 20 जून को मॉनसून की पहली बारिश की प्रबल संभावना है. पहले दिन से ही झमाझम बारिश की संभावना व्यक्त की गयी है. गर्मी से राहत के लिए मॉनसून की बारिश का लोगों को इंतजार भी है. लेकिन जल जमाव गंभीर समस्या बनने वाली है. संप हाउस किया गया सुपूर्द बुडको प्रोजेक्ट मैनेजर राधवेंद्र रेड्डी ने कहा कि मुख्य नाले का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है. पानी तिलाबे धार में भेजने की योजना है. इसके लिए जिलाधिकारी की ओर से विभाग को पत्र भेजा गया है. वहीं गांधी पथ का क्षेत्र गहराई में रहने के कारण इस क्षेत्र के लिए अलग से संप हाउस निर्माण की जरूरत है. जिसको लेकर जिलाधिकारी को सूचित कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि संप हाउस संचालन के दक्ष कर्मियों की जरूरत होगी. जो इसे संचालित कर सकेंगे. वहीं नगर निगम आयुक्त ने कहा कि शहरी क्षेत्र में जलजमाव की समस्या को लेकर मास्टर प्लान तैयार कर लिया गया है. जल जमाव वाले क्षेत्र को चिन्हित किया गया है. जल जमाव की समस्या के निजात के लिए क्षेत्र अनुसार क्यूआरटी टीम का गठन किया गया है. जो जल जमाव वाले क्षेत्र का लगातार निगरानी करेंंगे एवं समाधान की दिशा में कार्य किया जायेगा. वहीं निगम कार्यालय में 24 घंटे हेल्पडेस्क स्थापित रहेगा. जहां क्षेत्र के लोग अपनी समस्याओं को रखेंगे. जिसका तत्काल समाधान किया जायेगा. निगम के पास सभी संसाधन मौजूद हैं. इसके लिए घबराने की जरूरत नहीं है.

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