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मुर्गी पालन एक लोकप्रिय व्यवसाय के तौर पर उभर कर आया सामने -डॉ नित्यानंद

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कृषि विज्ञान केंद्र में एक दिवसीय कुक्कुट पालन प्रशिक्षण सह चूजा वितरण कार्यक्रम आयोजित

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कृषि विज्ञान केंद्र में एक दिवसीय कुक्कुट पालन प्रशिक्षण सह चूजा वितरण कार्यक्रम आयोजित सत्तरकटैया . कृषि विज्ञान केंद्र अगुवानपुर में सोमवार को अटारी पटना जोन चार द्वारा वित्तपोषित जलवायु समाधानशील कृषि पर राष्ट्रीय नवाचार परियोजना के तहत बैकयार्ड कुक्कुट पालन पर एक दिवसीय प्रशिक्षण सह चूजा वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन निदेशक अटारी पटना डॉ अंजनी कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. कार्यक्रम में कहरा प्रखंड के बरेटा व महाबा के तीस भूमिहीन व आर्थिक रूप से पिछड़े अनुसूचित जनजाति के कृषकों व कृषक महिला को स्वावलंबी बनाने, कुपोषण व गरीबी की समस्या दूर करने के लिए अटारी के निदेशक डॉ अंजनी कुमार ने प्रत्येक कृषक को एक एक सौ वनराजा प्रजाति के मुर्गी का चूजा वितरित किया. डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि पिछले चार दशकों में मुर्गी पालन व्यवसायिक क्षेत्र में शानदार विकास के बावजूद, कुक्कुट उत्पादों की उपलब्धता व मांग में काफी बड़ा अंतर है. वर्तमान में प्रति व्यक्ति वार्षिक 180 अंडों की मांग के मुकाबले 70 अंडों की उपलब्धता है. इसी तरह प्रति व्यक्ति वार्षिक 11 किलो मीट की मांग के मुकाबले केवल 3.8 किलो प्रति व्यक्ति कुक्कुट मीट की उपलब्धता है. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के मुर्गियों को पालने में ना किसी विशेष घर की आवश्यकता होती है और ना ही किसी विशेष दाने की आवश्यकता होती है. न्यूनतम खर्चे पर मुर्गियां पाली जाती है. उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को ना केवल न्यूनतम खर्च पर मांस व अंडे के रूप में उच्च गुणवत्ता का प्रोटीन उपलब्ध हो पाता है. बल्कि कुछ मात्रा में मांस व अंडा बेचकर अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त हो जाती है. ये मुर्गियां छह माह बाद से अंडा देना प्रारंभ करती है व आगे एक वर्ष में 150 से 170 अंडा देती है. जो 15 रुपए प्रति अंडा के दर से बाजार में सरलता पूर्वक विक्रय की जा सकती है. किसान सौ चूजा पालता है तो 2.25 से 2.5 लाख तक आय प्राप्त कर सकता है. केंद्र वैज्ञानिक डॉ नित्यानंद ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मुर्गी पालन एक लोकप्रिय व्यवसाय के तौर पर उभर कर सामने आया है. किसान मुर्गी पालन की अलग-अलग तकनीकों का प्रयोग करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. इस बीच किसानों को बैकयार्ड मुर्गी पालन के लिए बड़े स्तर पर प्रोत्साहित किया जा रहा है. मुर्गी पालन की ये तकनीक किसानों के लिए किफायती भी साबित हो रही है. अंडे की बढ़ती मांग को देखते हुए मुर्गी पालन अच्छी कमाई वाला रोजगार का साधन होता जा रहा है. कम पूंजी में मोटी कमाई का यह एक बेहतर रास्ता साबित हो रहा है. उन्होंने कहा कि बढ़ती आबादी एवं घटते रोजगार में आजकल बेरोजगार युवक कृषि एवं पशुपालन को व्यवसाय के रूप में बहुत तेजी से अपना रहे हैं. इसका प्रमुख कारण इनसे होने वाले अतिरिक्त फायदा है. देश में रोजगार तलाश रहे युवा इसे रोजगार के तौर पर अपना सकते हैं. कार्यक्रम में केंद्र के वैज्ञानिक ई विमलेश कुमार पांडेय, डॉ पंकज कुमार राय, अमित शेखर, अशोक पंडित सहित अन्य मौजूद थे. फोटो – सहरसा 17- लाभुकों को कुक्कुट चूजा देते अतिथि

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