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चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे मरीज

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चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे मरीज

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सामुदायिक अस्पताल में मरीजों का नहीं हो पाता समुचित इलाज आयुष चिकित्सकों के भरोसे मरीजों का जैसे तैसे होता है इलाज सौरबाजार . सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग को सुदृढ़ करने की भले ही कोशिश की जा रही है. लेकिन धरातल पर आज भी सरकारी अस्पतालों में मरीजों का समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है. जिसके कारण मरीज निजी अस्पताल की ओर रूख कर रहे हैं. सौरबाजार प्रखंड की लगभग तीन लाख आबादी के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी रखने वाला सौरबाजार समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लंबे दिनों से चिकित्सकों की कमी का दंश झेल रहा है, यहां कुछ आयुष चिकित्सकों के भरोसे मरीजों का जैसे तैसे इलाज होता है. महिला चिकित्सक की मांग यहां के लोगों द्वारा लंबे समय से की जा रही है, लेकिन आज तक कोई सुनने वाला नहीं मिला है. जबकि यहां प्रतिदिन औसतन एक से डेढ़ दर्जन गर्भवती महिलाएं उपचार के लिए आती है. जिसका उपचार एएनएम के द्वारा हीं किया जाता है और मामूली उपचार के लिए भी सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाता है. ओपीडी की बात करें तो यहां प्रतिदिन औसतन सौ से डेढ़ सौ मरीज आते हैं. जिसका उपचार आयुष चिकित्सकों द्वारा अंग्रेजी दवा से किया जाता है. जबकि आयुष चिकित्सकों को होम्योपैथ दवा से उपचार का प्रशिक्षण दिया जाता है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनके द्वारा किया गया उपचार कितना कारगर होगा. चिकित्सकों की कमी के कारण मामूली रूप से बीमार या दुर्घटनाग्रस्त मरीजों को सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाता है. जिसके कारण मरीजों और उनके परिजनों को काफी परेशानी होती है. एमबीबीएस चिकित्सक के नाम पर यहां एक मात्र अस्पताल प्रभारी के रूप में डाॅ अमित कुमार पदस्थापित हैं. जो ज्यादातर जिला और प्रखंड स्तरीय बैठक में हीं व्यस्त रहते हैं. जिसके कारण मरीजों का इलाज नहीं कर पाते हैं. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अस्पताल कर्मी ने बताया कि यहां अगर निजी कर्मी मरीजों का देखभाल करना बंद कर दें तो स्थिति और बदतर हो जायेगी. जबकि चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अमित कुमार ने बताया कि कई बार विभाग से पत्राचार और मौखिक रूप यहां महिला और पुरुष चिकित्सक की मांग की गयी है. लेकिन अब तक यह मांग पूरी नहीं हुई है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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