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लद्दाख हादसा : रामानुज का पिता से था छुट्टी में आने का वादा, आयी शहादत की खबर, बिहार में पसरा मातम

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ड्यूटी पर लौटने के दौरान पिता ललन यादव ने उससे कहा था कि बेटा छुट्टी लेकर फिर आना. इस पर रामानुज ने घर आने का वादा किया और फिर अपनी ड्यूटी के लिए रवाना हो गया. घटना की सूचना जैसे ही मृत जवान रामानुज यादव के पिता ललन यादव को मिली, तो वह गश खाकर गिर पड़े और उनकी तबीयत खराब हो गयी.

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पटना. लद्दाख के तुकतुक सेक्टर में शहीद रामानुज कुमार पिछले माह अप्रैल में अपनी बहन की शादी में शरीक होने के लिए आया था. उसने बहन की शादी में काफी उत्साह से भाग लिया और फिर 26 अप्रैल को वापस अपनी ड्यूटी पर लौट गया. लेकिन उसे क्या पता था कि वह अंतिम बार ही अपने घर आया है, इसके बाद वह नहीं आ पायेगा. ड्यूटी पर लौटने के दौरान पिता ललन यादव ने उससे कहा था कि बेटा छुट्टी लेकर फिर आना. इस पर रामानुज ने घर आने का वादा किया और फिर अपनी ड्यूटी के लिए रवाना हो गया. ललन यादव कृषक हैं.

एक माह पहले बहन की शादी में शरीक होने आये थे घर

रामानुज तीन भाइयों में सबसे छोटे थे. बड़े भाई जयप्रकाश प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं और दूसरे नंबर पर रामजीत कुमार हैं, जो रेलवे में नौकरी करते हैं. रामानुज का चयन महाराष्ट्र मराठा रेजीमेंट में 2016 में हुआ था. उसके चयन के बाद घर की माली हालत में काफी सुधार हुआ था और यहां तक की बहन की शादी के खर्च के लिए पैसे का भी जुगाड़ हुआ. रामानुज ने अपने वेतन को बचाया और बहन की शादी में आर्थिक मदद करने के साथ ही घर की मरम्मत कराने में भी योगदान दिया.

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गांव के लोगों का घर पर हुआ जमावड़ा

रामानुज के शहीद होने की खबर से पालीगंज के परियों गांव स्थित पैतृक गांव में मातम पसर गया. शुक्रवार के दिन से ही उनके गांव के साथ ही आसपास के गांव के लोगों का जमावड़ा घर पर होने लगा था. सारे ग्रामीणों के मुंह से एक ही बात निकल रही थी कि यह क्या हो गया? ग्रामीण नीरज कुमार ने बताया कि रामानुज काफी मिलनसार था और शांत चित्त का था. उसे झगड़ा-झंझट से कोई मतलब नहीं था. वह बहन की शादी में भी आया तो केवल अपने काम में लगा रहा. ग्रामीणों का कहना था कि बचपन से लेकर आज तक उसने किसी से बहस तक नहीं की थी. उसकी सारी शिक्षा-दीक्षा पटना में ही हुई थी.

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