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आश्वासनों के बीच सालों से झूल रही है बेंच स्थापना की मांग

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उठने लगी है उच्च न्यायालय खंडपीठ की मांग

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फ्लैग– एयरपोर्ट निर्माण की स्वीकृति मिलने के बाद कब होगी हाई कोर्ट बेंच की स्थापना

पूर्णिया में एक बार फिर उठने लगी है उच्च न्यायालय खंडपीठ की मांग

पूर्णिया. एयरपोर्ट का रास्ता साफ हो गया. अगले साल पूर्णिया से हवाई सेवा भी शुरू हो जाएगी, पर हाई कोर्ट के बेंच की स्थापना कब होगी, यह एयरपोर्ट की स्वीकृति मिलने के बाद पूर्णिया के लोग सवालिये लहजे में पूछने लगे हैं. यही वजह है कि यह मांग यहां फिर से उठने लगी है. जानकारों की मानें, तो पूर्णिया में यह मांग पिछले 34 सालों से लंबित चली आ रही है. इसके लिए नब्बे के दशक में एक याचिका भी हाई कोर्ट में दायर की गयी थी, जबकि अलग-अलग माध्यमों से राज्य सरकार तक यह मांग मुखर रूप से पहुंचायी गयी थी. दरअसल, पूर्णिया में पटना उच्च न्यायालय की खंडपीठ की स्थापना आज पूर्णिया की बड़ी जरूरत है. यहां के लोगों को 300 किलोमीटर की दूरी तय पटना उच्च न्यायालय जाना-आना पड़ता है. होटलों में दो-तीन दिनों तक रुकना और अधिवक्ताओं से संपर्क करना काफी खर्चीला है, जो सबके वश की बात नहीं. खास कर गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों का पूर्णिया से पटना का सफर तय कर अपने मुकदमों की पैरवी करना मुश्किल हो जाता है. अधिक खर्च होने के कारण इस तबके के लोग नियमित रूप से वहां नहीं पहुंच पाते हैं और न्याय से वंचित रह जाते हैं. पूर्णिया के अधिवक्ताओं का भी मानना है कि यदि पूर्णिया में हाईकोर्ट की बेंच का गठन हो जाता है, तो यहां के लोगों को काफी सहूलियत होगी और सस्ते दर पर न्याय मिल सकेगा .

कोरोना काल में थम गया था मुद्दा

गौरतलब है कि हाई कोर्ट का बेंच पूर्णिया की जरूरत है और इसके लिए सबसे पहले पूर्णिया के जाने माने अधिवक्ता स्व. के पी वर्मा ने नब्बे के दशक में इस मुतल्लिक एक रिट याचिका दायर की थी. वे जीवन भर इसकी लड़ाई लड़ते रहे. बाद में यहां के विद्वान अधिवक्ताओं ने भी मुद्दा बनाया और इस मुद्दे को लेकर सामाजिक और राजनीतिक सहमति भी बना कर अभियान भी तीन वर्ष पहले चलाया. अहम यह है कि इस मसले पर अकेले अधिवक्ता ही नहीं, पूर्णिया का प्रबुद्ध जनमानस भी अमूमन एक मंच पर आए औऱ समय समय पर आंदोलनात्मक गतिविधियों को अंजाम भी दिया. इसी का परिणाम है कि सियासी पार्टियों ने भी आगे चलकर इस मांग को अपना समर्थन दिया पर कोरोना काल में यह मुद्दा थम गया जिसे नये सिरे से उठाने की जरुरत महसूस की जा रही है.

हाई कोर्ट के जस्टिस ने दिया था भरोसा

उपलब्ध जानकारी के अनुसार 1986 में पटना हाई कोर्ट के जस्टिस ए पी सिन्हा पूर्णिया आए थे और उनके समक्ष तर्क के साथ इस मांग को प्रस्तुत किया गया था. उन्होंने इस मांग को उचित ठहराते हुए चीफ जस्टिस को रिपोर्ट करने का भरोसा दिलाया था. जानकारों ने बताया कि 1992 में पूर्णिया आए पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बी सी बसाक के सामने भी यह मांग रखी गई थी. उन्होंने यह आश्वस्त किया था कि जसवंत कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद इस पर विचार किया जाएगा.

नेशनल कॉन्फ्रेंस में भी हुई थी चर्चा

पूर्णिया के जाने माने अधिवक्ता स्व के पी वर्मा की पहल पर इस मुद्दे की चर्चा 1981 में हुए आल इंडिया बार एंड बेंच यूनिटी कॉन्फ्रेंस में जबरदस्त रूप से हुई थी. इस कॉन्फ्रेंस में भाग लेने आये बाहर के अधिवक्ताओं ने भी पूर्णिया में हाई कोर्ट बेंच की स्थापना की वकालत की थी. इस मुतल्लिक नब्बे के दशक में स्व वर्मा ने पटना हाई कोर्ट में रिट याचिका भी दायर कर पूर्णिया की इस मांग को वैधानिक आवाज देने की कोशिश की थी.

आंकड़ों का आइना

1981 में आल इंडिया बार एंड बेंच यूनिटी कॉन्फ्रेंस में उठा था मामला

1986 में पटना हाई कोर्ट के जस्टिस के सामने रखी गयी थी मांग

1992 में पूर्णिया आये पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को दिया गया था ज्ञापन

90 के दशक में इस मांग को लेकर हाई कोर्ट में दायर हुई थी रिट याचिका

2018-19 में पूर्णिया के अधिवक्ताओं ने चलाया था अभियान

फोटो- 14 पूर्णिया 1-सिविल कोर्ट पूर्णिया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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