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Purnia news : अभाविप के खुला अधिवेशन में छाया रहा राष्ट्र व छात्र हित का मुद्दा

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अधिवेशन का दूसरा दिन : छात्रों ने प्राध्यापकों की बहाली प्रक्रिया में विलंब मुद्दे को भी उठाया

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पूर्णिया. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा आयोजित उत्तर बिहार 66 वां प्रांत अधिवेशन के दूसरे दिन खुला अधिवेशन में राष्ट्र व छात्र हित का मुद्दा छाया रहा. हालांकि तीन दिवसीय प्रांतीय अधिवेशन का मुख्य कार्यक्रम स्थानीय कलाभवन में आयोजित किया गया है लेकिन इस खुला अधिवेशन को शहर के मुख्य चौराहा आरएन साव चौक के निकट रखा गया. यह खुला अधिवेशन कलाभवन से निकाली गयी शोभायात्रा के नगर भ्रमण के बाद कार्यक्रम का समापन करते हुए अभाविप अधिवेशन में आये छात्र-छात्राओं ने बड़ी संख्या में एकत्रित होकर देश और छात्र हित के मुद्दों पर अपनी बातें रखीं. इनमें ख़ास तौर पर बांग्लादेश घुसपैठिया, लोगों के पलायन की समस्या सहित विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में छात्र-छात्राओं के लिए सुविधाओं और शैक्षणिक कार्य के लिए प्राध्यापकों की कमी पर सभी छात्र छात्राओं ने अपनी बातें रखीं. घुसपैठिया मामले में इस बात पर चिंता व्यक्त की गयी कि आज न सिर्फ कोसी सीमांचल बल्कि पूरे देश में इनका जाल फैलता जा रहा है. चिकेन नेक से घुसपैठिया मामले को लेकर अभाविप कार्यकर्ताओं ने किशनगंज में अपनी आवाज बुलंद की थी लेकिन घुसपैठियों का भारत की सीमाओं में चोरी छुपे प्रवेश करना जारी ही रहा. चारो ओर उनका प्रभाव बढ़ रहा है और हर तरफ चुप्पी है. छात्रों ने प्राध्यापकों की बहाली प्रक्रिया में विलंब मुद्दे को भी उठाते हुए कहा कि 30 वर्षों से प्राध्यापकों की बहाली ही नहीं हुई है. बिहार के महाविद्यालयों में प्राध्यापक, बाबू से लेकर सफाईकर्मी तक का कार्य करने को विवश हैं. लोगों ने पठन पाठन के साथ साथ लाइब्रेरी, प्रयोगशालाओं, छात्रावास, शौचालय व प्रसाधन का अभाव और संसाधनों की कमी के बीच छात्र छात्राओं की समस्या के निदान के लिए संगठित होकर आवाज बुलंद की. प्रांत मंत्री पुरुषोत्तम कुमार ने छात्र शक्ति को चिन्हित करते हुए विश्वविद्यालय द्वारा फीस बढ़ोत्तरी का पुरजोर विरोध किया. उन्होंने फीस को कम करते हुए स्टूडेंट्स के आर्थिक आधार पर फीस का निर्धारण करने की मांग की. इस तरह खुला अधिवेशन के जरिये संगठन के सदस्यों ने सरकार से हर वर्ष निर्धारित किये जाने वाले कुल बजट का 10 वां हिस्सा शिक्षा के मामले में खर्च करने की मांग की. खुला अधिवेशन में आदिल परवेज ने जहां बांग्लादेशी घुसपैठ पर लगाम लगाने की मांग की वहीं भावेश झा ने बांग्लादेश की मौजूदा हालात पर चिंता जतायी. विश्वविद्यालय नियुक्ति एवं आधारभूत रचना पर रवि पांडे ने भाषण दिया. नशामुक्ति और शराबबंदी विषय पर यदुवंशी ने सवाल खड़े किये. छात्र संघ चुनाव पर उत्सव पाराशर ने कहा कि छात्र संघ होने होने से परिसर में सकारात्मक एवं शैक्षणिक व्यवस्था बनी रहती है. बेरोजगारी एवं पलायन विषय पर मनोज गुप्ता ने अपना पक्ष रखा.

अभाविप के अधिवेशन में सकारात्मक विमर्श स्थापित करने पर व्याख्यान

पूर्णिया. स्थानीय कलाभवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा आयोजित उत्तर बिहार 66 वां प्रांत अधिवेशन के दूसरे दिन शुरुआती सत्र में भाषण के दौरान सोशल मीडिया द्वारा लोगों के मन मस्तिष्क में अपनी सोची समझी बातें स्थापित किये जाने को लेकर केंद्रीय कार्यसमिति सदस्य डॉ. निधि बहुगुणा ने विस्तार से व्याख्यान दिया. शीर्षक विमर्श के तहत उन्होंने विश्व के सबसे बड़े छात्र संगठन अभाविप के खिलाफ सोशल मीडिया पर नैरेटिव सेट करने के बारे में आगाह करते हुए कहा कि देश विरोधी शक्तियों द्वारा हमारे बीच विभिन्न माध्यमों से अभाविप के बारे में गलत धारणा लोगों के बीच स्थापित करने का असफल प्रयास किया जाता रहा है और चल भी रहा है. इन्हें न सिर्फ समझने की जरूरत है बल्कि इनके सामने यथार्थ को स्थापित करना भी आपका दायित्व है.

हम हिन्दुस्तानी हैं इतिहास लिखना और बनाना जानते हैं

भारत के समृद्ध इतिहास और संस्कृति पर फोकस करते हुए डॉ बहुगुणा ने युवाओं को समझाया कि किस प्रकार यहां के इतिहास को इतिहासकारों ने अपने मनोनुकूल तरीकों से प्रस्तुत किया और किस प्रकार यहां की सांझी संस्कृति को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा यह ग्लोबल मार्केटिंग और पाश्चात्य देशों द्वारा सोची समझी साजिश के तहत किया जा रहा है जिससे हमारी संस्कृति, एकजुटता और हमारी ताकत को टुकड़ों में बांटे जाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा हम हिन्दुस्तानी हैं इतिहास लिखना और बनाना जानते हैं.

स्वतंत्रता व स्वच्छन्दता में सिर्फ हल्का फर्क

अपने भाषण के दौरान छात्राओं को समझाते हुए पाश्चात्य देशों के फेमनिज्म कांसेप्ट के तहत माय बॉडी माय चॉइस और माय लाइफ माय रूल्स के पीछे के मकसदों को उजागर किया. डॉ. बहुगुणा ने अपनी बातें रखते हुए कहा कि स्वतंत्रता और स्वच्छन्दता के बीच बहुत ही बारीक अंतर है. आज महिला सशक्तिकरण के नाम पर समाज और परिवार को तोड़ने की कोशिश की जा रही है. पश्चिम जगत की संस्कृति को भारत में थोपने का लगातार प्रयास किया जा रहा है और इसमें अपने देश में शक्तियां कई रूपों में काम कर रही है. यह भारतीय संस्कृति को तोड़ने की कोशिश है. आखिर में उन्होंने समझाते हुए कहा कि विद्यार्थी परिषद् के स्टूडेंट्स को अपने समृद्ध इतिहास को पढ़ना होगा, रिसर्च करनी पड़ेगी सकारात्मक विमर्श स्थापित करना होगा और देश के खिलाफ उठने वाले हरेक शब्द का जवाब देना होगा. इस मौके पर प्रांत अध्यक्ष डॉ. अजनी श्रीवास्तव एवं प्रांत मंत्री पुरुषोत्तम कुमार भी उपस्थित थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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