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अनुसंधान व विकास कार्यक्रम से मखाना किसानों की होगी उन्नति: डॉ डीआर सिंह

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बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति डॉ डीआर सिंह ने कहा है कि किसानों को जागरूक कर मखाना उद्योग में व्याप्त एकाधिकार को खत्म कर किसानों की आय बढ़ाने में बड़ी कामयाबी मिली है.

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कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति ने कृषि कालेज की भूमिका को सराहा,

कहा- इलाके के मखाना उद्योग में एकाधिकार को काफी हद तक किया गया कम,

पूर्णिया. बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति डॉ डीआर सिंह ने कहा है कि किसानों को जागरूक कर मखाना उद्योग में व्याप्त एकाधिकार को खत्म कर किसानों की आय बढ़ाने में बड़ी कामयाबी मिली है. इसमें विश्वविद्यालय की पहल पर पूर्णिया कृषि कालेज की अहम भूमिका रही है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के मखाना अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम से मखाना किसानों की काफी आर्थिक प्रगति हुई है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कृषि विपणन संस्थान, जयपुर, एपीडा एवं उद्यमियों के साथ कार्यशाला, प्रशिक्षण, प्रक्षेत्र दिवस आदि ग्राम, प्रखंड, जिला एवं राज्य स्तरीय अनेक कार्यक्रम आयोजित हुए जिसका लाभ मिला है.

कुलपति ने कहा कि एक दशक पूर्व मखाना किसानों को एक किग्रा. मखाना बीज विक्रय करने पर मात्र 79 रुपये मिलते थे. मूल्य में गिरावट भी हो जा रही थी. मगर, कृषि कालेज द्वारा किसानों को जागरूक किया जाता रहा जिससे मखाना बीज के मूल्य में तकनीकी के विकास के साथ वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2022-23 में बिचौलियों एवं असंगठित व्यापारियों द्वारा प्रायोजित रूप से मखाना के मूल्य में भारी गिरावट कर दी गयी. इससे किसानों को काफी नुकसान हुआ. उन्होंने कहा कि इनके एकाधिकार को तोड़ने के लिए राज्य सरकार के उद्यान निदेशालय के सहयोग से 29 नवम्बर, 2023 को प्रथम मखाना महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के निर्यातकों को सीधे किसानों के साथ जोड़ा गया. इसका परिणाम अगले वर्ष ही दिखाई देने लगा और मखाना बीज का मूल्य बढ़कर 130 से170 रूपए प्रति किलो तक आ गया.

मखाना किसानों को मिल रहा तीन गुना लाभ

भोला पासवान शास्त्री कालेज के कार्यक्रम में बताया गया कि किसानों को जागरूक कर मखाना उद्योग में व्याप्त एकाधिकार को काफी हद तक कम किया गया है. दशकों पूर्व मखाना उत्पादकों को बीज का न्यूनतम एवं अधिकतम मूल्य क्रमशः 20-35 एवं 65-70 प्रति किलो ही मिलता था. अब बीज का न्यूनतम एवं अधिकतम मूल्य क्रमशः 90-100 एवं 175-180 प्रति किलो की दर से मिल रहा है. यानि मखाना उत्पादकों को मखाना बीज-गुर्री के विक्रय से तीन गुना लाभ मिल रहा है. इससे उनकी आर्थिक उन्नति हुई है. मखाना विकास परियोजना फलस्वरूप विगत पांच वर्षों में मखाना के क्षेत्रफल में दोगुना वृद्धि हुई है.

मखाना के क्षेत्र में जॉब क्रिएटर बनेंगे कृषि छात्र: प्राचार्य

पूर्णिया. शहर के पूर्णिया सिटी स्थित कृषि कालेज के छात्र-छात्राएं आने वाले दिनों में जॉब सीकर की बजाय जॉब क्रिएटर बनेंगे. यहां कृषि स्नातक छात्र-छात्राओं में उद्यमिता विकास के लिए मखाना आधारित एक्सपेरियंशियल लर्निंग परियोजना चलायी जा रही है. इसे बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के स्नातक एवं स्नातकोत्तर कृषि शिक्षा अंतर्गत उद्यान विज्ञान विभाग के पाठ्यक्रम में सम्मिलित कराया गया है. यह जानकारी देते हुए कृषि कालेज के प्राचार्य डा. डी. के. महतो ने बताया कि मखाना अनुसंधान एवं विकास का कार्य बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के देख-रेख में प्रारंभ हुआ तथा अनुसंधान एवं विकास की कड़ी में विश्वविद्यालय द्वारा मखाना की उन्नतशील प्रजाति ”सबौर मखाना-1” एवं विभिन्न तकनीक विकसित की गई है. इसमें मखाना उत्पादन तकनीकी, मखाना फसल में कीट एवं व्याधि प्रबंधन, मखाना आधारित फसल प्रणाली की तकनीक का विकास शामिल है. डा. महतो ने बताया कि मखा प्राचार्य ने बताया कि इस कोशिश का फल अब दिखने लगा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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