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वरिष्ठ साहित्यकार चंद्र किशोर जायसवाल को मिला श्रीलाल शुक्ल स्मृति सम्मान

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सम्मान में 11 लाख रुपये का राशि पुरस्कार

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सम्मान में 11 लाख रुपये का राशि पुरस्कार, प्रतीक चिन्ह एवं प्रशस्ति प्रदान किया गया

दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में हुआ समारोह, डॉ विश्वनाथ त्रिपाठी के हाथों मिला सम्मान

पूर्णिया. साहित्यकार हिंदी साहित्य की सशक्त हस्ताक्षर श्री चंद्रकिशोर जायसवाल को इस वर्ष के श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको सम्मान (वरिष्ठ) से नवाजा गया है. यह सम्मान इन्हें दिल्ली में समारोह पूर्वक 30 सितंबर 2024 को प्रदान किया गया. इन्हें यह सम्मान कहानी संग्रह ‘काला सोना’ एवं इनके अब तक के साहित्यिक योगदान को देखते हुए, खासतौर पर इनकी रचनाओं में ग्रामीण परिवेश के साहित्यिक चित्रण को ध्यान में रखकर दिया गया है. सम्मान में 11 लाख रुपये का राशि सम्मान, प्रतीक चिह्न व प्रशस्ति प्रदान किया गया है. गेटन की प्रतिभा श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको सम्मान देश के श्रेष्ठ एवं लाभ प्रतिष्ठित साहित्यकार को प्रदान किया जाता है और इसके लिए एक निर्णायक समिति इनका चयन करती है.

सन 1940 में बिहार के मधेपुरा जिला अन्तर्गत बिहारीगंज, में जन्मे तथा विगत तीन दशक से अधिक समय से पूर्णिया जिला मुख्यालय में के स्थायी नागरिक के रूप में प्रवास कर रहे हैं. देश प्रसिद्ध साहित्यकारों में शुमार श्री जायसवाल ने अब तक अपने जीवन काल में, गावाह गैर हाजिर, जीवछ का बेटा बुद्ध, शीर्षक, चिरंजीवी, दाह, मां , पलटनिया मणिग्राम व दुखग्राम जैसे महत्वपूर्ण उपन्यास की रचना की है, जो राष्ट्रीय फलक पर आलोचकों /समीक्षकों की नजर में सराही गई. साथ ही पाठकों के बीच भी चर्चित और प्रशंसित रही. इनमें से ‘गवाह गैरहाजिर’ पर आधारित फिल्म ‘रुई का बोझ’ का निर्माण राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम के सहयोग से किया जा चुका है. 1998 के नेशनल फिल्म फेस्टिवल के पैनल में यह फिल्म दिखाई जा चुकी है. साथ ही अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के लिए भी इसका चयन किया गया था.

कहानी के साथ एकांकी लेखन में भी अग्रणी

मैं नहीं माखन खायो, मर गया दीपनाथ, हिंगवा घाट में पानी रे, जंग, दुखिया दास कबीर, किताब में लिखा है, नकवेसर कागा ले भागा, आघातपुष्प व तर्पण जैसी कहानी संग्रह तथा श्रृंगार और सिंहासन जैसे नाटक तो इन्होंने लिखा ही हैं, साथ ही इनकी कहानी आखिरी ईंट और पिस्तौल का नाट्य रूपांतरण भी हो चुका है. कई कहानी पर एकांकी भी तैयार की गई है, जिसे विभिन्न रंगमंच पर प्रस्तुत भी किया गया. इसके अलावा राजकमल प्रकाशन के माध्यम से इनके प्रतिनिधि कथाओं का संकलन चंद्रकिशोर जायसवाल की प्रतिनिधि कहानियां का भी प्रकाशन किया जा चुका है.

कई-कई बार सम्मान से नवाजे गये

मानविकी अभियंत्रण महाविद्यालय, भागलपुर से प्रध्यापक के रूप में सेवानिवृत हुए वरिष्ठ साहित्यकार श्री जायसवाल को अबतक अपने साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान भी प्राप्त हुए हैं. इनमें प्रमुख रूप से, राष्ट्रभाषा परिषद द्वारा ”साहित्य साधना सम्मान”, ”रामवृक्ष बेनीपुरी सम्मान”, ”बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान”, ”आनंद सागर कथाक्रम सम्मान”, ”मानबाहादुर सिंह लहक सम्मान, 2023”, सहित कई और सम्मान के नाम शामिल हैं. इन्हें इस वर्ष ”श्रीलाल शुक्ल स्मृति, इफको सम्मान” प्रदान किए जाने से इनके चाहनेवाले मु गौरवान्वित हैं. वे ऐसा मानते हैं कि, इन्हें यह सम्मान पहले ही मिल जाना चाहिए था.

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सम्मान से पूरा पूर्णिया गौरवान्वित

पूर्णिया. चन्द्रकिशोर जायसवाल को मिले इस सम्मान पर पूर्णिया के साहित्यकारों व साहित्यप्रेमियों ने गर्व व्यक्त किया है और कहा है कि इस सम्मान से पूरा पूर्णिया गौरवान्वित हुआ है. उन्हें लगातार बधाई दी जा रही है. साहित्यिक चौपाल चटकधाम से जुड़े सभी साहित्यकारों ने बधाई दी है. इनमें आकाशवाणी के अवकाश प्राप्त निदेशक विजयनंदन प्रसाद के अलावा कवि गिरजानंद मिश्र, डॉ राम नमेश भक्त, राष्ट्रपति पुरस्कृत प्रधानाध्यापक संजय कुमार सिंह, पूर्णिया कालेज के प्रिंसिपल डॉ. शंभूलाल वर्मा, कवि महेश विद्रोही, यमुना प्रसाद बसाक, डाॅ कमल किशोर वियोगी, धमदाहा कॉलेज के प्राचार्य, गिरीश कुमार सिंह, युवा कवि संजय सनातन, गोविंद कुमार,रणजीत तिवारी, पंकज कुमार,विनोद मिश्रा, सुनील समदर्शी, अजय कुमार, कवियित्री दिव्या त्रिपाठी, रानी सिंह आदि शामिल हैं .

फोटो. 1 पूर्णिया 9- सम्मान प्राप्त करते पूर्णिया के साहित्यकार चंद्रकिशोर जायसवाल

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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