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तीन दशकों से उठ रही एम्स की मांग फिर भी सपना रह गया अधूरा

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गोलबंदी की मुहिम शुरू

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दरभंगा को देख अंदर ही अंदर सुलग रहा एम्स का मुद्दा, गोलबंदी की मुहिम शुरू

पूर्णिया. अजीब दास्तां है, मांगता है पूर्णिया पर पाता कोई और है. एम्स के सवाल पर पूर्णिया के साथ होने वाली अनदेखी को लेकर लोग काफी संजीदा दिख रहे हैं. लोगों को यह मलाल है कि दशकों पहले यह मांग पूर्णिया से उठी थी और पूरा कहीं और किया जा रहा है. ज्यादा मलाल नेतृत्व की कमजोरी और राजनीतिक उपेक्षा का है क्योंकि वे मान रहे हैं कि पूर्णिया ने पहले विश्वविद्यालय मांगा था पर इससे पहले कहीं और बन गया. एयरपोर्ट का भी वही हश्र हुआ और अब एम्स मामले में भी पूर्णिया पीछे रह गया. एक बार फिर एम्स को लेकर गोलबंदी की कवायद शुरू हो रही है क्योंकि इसे पूर्णिया की जरुरत बतायी जा रही है और कहा जा रहा है कि इसके लिए सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए. गौरतलब है कि पूर्णिया भारत-नेपाल और बिहार-बंगाल की अलग-अलग सीमाओं सेे जुड़े जिलों का प्रमंडलीय मुख्यालय है. यहां कोशी प्रमंडल के जिलों से भी गंभीर रोगी इलाज के लिए पहुंचते हैं. आसपास के जिले से बड़ी संख्या में लोग यहां के अस्पताल और डॉक्टर के भरोसे है. इस लिहाज से यहां एम्स जैसा अति आधुनिक अस्पताल खुल जाने से बड़ी संख्या में आम लोगों को भला होगा और उन्हे बेहतर इलाज मिल पायेगा. चूंकि इस इलाके में बड़ी संख्या गरीबों की आबादी है इसलिए इस तबके को इलाज में काफी फायदा होगा. अभी इस इलाके में बेहतर इलाज की व्यवस्था का सर्वथा अभाव बना हुआ है. पटना और दिल्ली जाकर इलाज कराना गरीबों के लिए संभव नहीं है और यही कारण है कि रेफर किये जानेे के बावजूद इस तबके के लोग बाहर नहीं जातेे और बीमार माता-पिता या रिश्तेदारों को भगवान भरोसे छोड़़ देते हैं. इससे समय से पहले वे काल का ग्रास बन जाते हैं.

पूर्वोत्तर राज्यों का सेन्टर प्वाइंट है पूर्णिया

एम्स की स्थापना को लेकर मुहिम शुरू करने वाले विश्वविद्यालय बनाओ संघर्ष समिति के संस्थापक रहे आलोक राज एवं उनके युवा साथियों का यही तर्क है. इन युवाओं का कहना है कि केन्द्र सरकार चाहे तो बिहार में कई एम्स दे सकती है. चूंकि पूर्णिया में इसकी बड़ी जरुरत है इसलिए यहां एम्स की मांग हो रही है. युवाओं ने कहा कि सीमांचल का यह इलाका बिहार का पिछड़ा क्षेत्र है. यहां एम्स ही नहीं, विकास के कई काम किए जाने की आवश्यकता है. यह इसलिए भी जरुरी है क्योंकि पूर्णिया पूर्वोत्तर के राज्यों का सेन्टर प्वाइंट है. बेहतर इलाज के लिए यहां से तीन सौ किमी. दूर पटना जाने की जरुरत पड़ती है. एक तो गरीब और मध्यम परिवारों के लोग हिम्मत नहीं जुटा पाते और कभी किसी जुगाड़ से निकल भी गये तो जुगत जुटाने के चक्कर में पटना पहुंचने से पहले जान चली जाती है.

एम्स मिला तो 15 जिलों को होगा फायदा

पूर्णिया में एम्स खुला तो दोनों प्रमंडलों के अलावा आस पास के 15 जिलों को फायदा होगा. कोई बड़ी दुर्घटना हो या मेडिकल इमरजेंसी, व्यक्ति सीधे पूर्णिया की तरफ दौड़ता है. सरकारी अस्पतालों में अत्याधुनिक इलाज उपलब्ध नहीं होने की वजह से उसे निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है. पूर्णिया में एम्स आ जाएगा तो सरकारी अस्पताल में अत्याधुनिक इलाज मिलने लगेगा. इसके साथ ही लोगों को न्यूनतम दर पर उपचार मिलेगा, यहां चिकित्सा के क्षेत्र में शोध भी बढ़ जाएंगे. यवाओं का कहना है कि गंभीर रुप से बीमार इस क्षेत्र के लोगों को सहज रुप से दिल्ली एम्स में इन्ट्री नहीं मिल पाती है ओर उसका सही ईलाज नहीं हो पाता है. इस सुविधा के लिए पैरवी का जुगाड़ लगाना पड़ता है जो सबके लिए संभव नहीं.

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कहते हैं पूर्णियावासी

1. यह बड़ी विडम्बना है कि एम्स के लिए पूर्णिया ने आवाज उठायी, धरना दिया गया, युवाओं ने आंदोलन का बिगुल फूंका पर यहां की आवाज दब कर रह गई. ठीक है, लाभ दूसरे जिले को जा रहा है पर पूर्णिया इससे वंचित न हो, इसका ख्याल रखा जाना चाहिए क्योंकि एम्स आज पूर्णिया की सबसे बड़ी जरुरत है, इसकी उपेक्षा नहीं होनी चाहिए.

फोटो- 12 पूर्णिया 2- मो. अलीमुद्दीन, नेता, कांग्रेस

2. अगर पूर्णिया में एम्स आता है तो तो इसका फायदा आसपास के 12-15 जिलों को मिलेगा. पूर्णिया का चिकित्सा क्षेत्र में बड़ा नाम है पर इसके बावजूद आधुनिक चिकित्सा के मामले में यह पिछड़ा रह गया है. यहां के लोग कई दशकों से मांग उठा रहे हैं पर पूर्णिया की बजाय दूसरी जगह इसकी नींव डाली जा रही है. इस पर आपत्ति नहीं है पर पूर्णिया की जरुरत भी पूरी हो.

फोटो- 12 पूर्णिया 3- आयुष मिश्रा, प्रदेश सचिव, कांग्रेस

3. पूर्णिया एवं कोसी का इलाका गरीबी एवं पिछड़ा क्षेत्र है. इन सभी तथ्यों को देखते हुए पूर्णिया में एम्स का निर्माण होता है तो पूरे सीमांचल के लोगों को दिल्ली या पटना जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी. पूर्णिया और आसपास के जिले चिकित्सा क्षेत्र में पूर्णिया पर आश्रित हैं. यह पूर्णिया की सबसे बड़ी जरुरत है पर मांग पूर्णिया की लाभ किसी और जिले को मिल रहा है.

फोटो-12 पूर्णिया 4- आलोक राज, पूर्णिया4. अगर देखा जाए तो पूर्णिया में हर वर्ष दो वर्ष में एक नया अस्पताल यहां खुल रहा है.. इसका मतलब है कि यहां चिकित्सा के क्षेत्र में अनंत संभावनाएं हैं. ऐसे में यहां एम्स होना ही चाहिए. पूर्णिया को सालों पहले एम्स मिल जाना था. पूर्णिया ने एयरपोर्ट मांगा, मिल किसी और को गया. एम्स मामले में भी उपेक्षा की यही कहानी दुहरायी गई तो कोई बात नहीं पर पूर्णिया को भी एम्स मिले. फोटो- 12 पूर्णिया 5- अज्ञेय आनंद, अध्यक्ष, बिहार विकास मोर्चा———————–

आंकड़ों पर एक नजर

10 हजार मरीजों का जमावड़ा रोजाना पूरे सीमांचल से पूर्णिया आते हैं1000 से अधिक रोगी पूर्णिया मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दिखाने आते हैं400 के करीब मरीज प्रत्येक दिन इमरजेंसी सेवा के लिए आते हैं300 से अधिक मरीजों के परिजन अस्पताल पहुंचते हैं103 बेड मात्र मेल व फिमेल वार्ड में उपलब्ध हैं—————-

फोटो. 12 पूर्णिया 1- राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल पूर्णिया

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