नमामि गंगे योजना
नमामि गंगे योजना से मोतिहारी, जमुई और दाउदनगर में इंटरसेप्शन एण्ड डायवर्जन एवं सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण के लिए कुल 280 करोड़ की राशि स्वीकृत की गयी है.इसमें मोतिहारी के लिए 154 करोड़, जमुई के लिए 81 करोड़ और दाऊदनगर के लिए 44 करोड़ की राशि स्वीकृत की गयी. नगर विकास मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इसकी मंजूरी दी गयी. नितिन नवीन ने कहा कि मोतिहारी एक बेहद ही खास शहर है, जो धनौती नदी के किनारे बसा है. धनौती नदी आगे जाकर गंगा नदी में मिलती है.ऐसे में मोतिहारी नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत सभी घरों/प्रतिष्ठानों से आने वाले सीवेज को ट्रीटमेंट उपरांत प्रवाह किये जाने का निर्णय लिया गया है. इससे गंगा नदी की सहायक धनौती नदी में होने वाले प्रदूषण को रोका जा सकेगा. मंत्री ने बताया कि यह निर्माण 2047 तक की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए किया जाना है. इस परियोजना के माध्यम से मोतिहारी शहर के लगभग सभी घरों को लाभ मिलेगा. मोतिहारी शहर के सभी आवासीय तथा अन्य प्रतिष्ठानों से निकलने वाले सीवेज को इंटरसेप्शन एंड डायवर्जन के जरिये सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाया जायेगा. निर्धारित मापदंड के अनुसार सीवरेज को शोधित कर पुनः उपयोग किया जायेगा.
मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि जमुई में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर स्वीकृत की गयी राशि से बनने वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण के बाद जमुई नगर में काफी हद तक गंदे नाले के पानी के निबटारे की समस्या दूर हो जायेगी. इस परियोजना का उद्देश्य दूषित हो रही नदियों को फिर से स्वच्छ बनाना है. पर्यावरण को बचाना और जमुई नगर परिषद क्षेत्र को वर्तमान में हो रहे भीषण जलजमाव के संकट से निजात दिलाना है.इसके अलावा औरंगाबाद के दाऊदनगर में इंटरसेप्शन एंड डायवर्जन एवं सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण के लिए स्वीकृत की गयी राशि पर मंत्री ने कहा कि दाऊदनगर को जलजमाव और बेहतर अपशिष्ट जल प्रबंधन लिए प्रतिबद्ध अति आवश्यक एसटीपी योजना के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि राशि स्वीकृत हो गयी है अब जल्द से जल्द निर्माण कार्य भी आरंभ होगा.
मंत्री ने बताया कि बैठक में राज्य के नगर निकायों के लिए वाणिज्यकर विभाग द्वारा पेशाकर मद से 93.39 करोड़ की राशि सहायक अनुदान के रूप में जनसंख्या के आधार पर व्यय करने की भी स्वीकृति मिली है. नगर निगमों द्वारा उक्त राशि का व्यय अपने कार्यरत कर्मचारियों के वेतन के लिए किया जायेगा. इसमें नगर निगमों पर 39.23 करोड़, नगर परिषदों पर 34.06 करोड़ और नगर पंचायतों पर 20 करोड़ की राशि खर्च की जायेगी.
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