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परिसीमन नहीं होने से पंचायतों की आबादी में बड़ा अंतर

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राज्य में वर्ष 2021-22 में बड़े पैमाने पर नये नगरपालिका क्षेत्रों का गठन, उत्क्रमण और सीमा विस्तार किया गया. स्थानीय स्वशासन के तहत लंबे समय से राज्य की ग्राम पंचायतों का परिसीमन नहीं किया गया है.

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शशिभूषण कुंवर,पटना राज्य में वर्ष 2021-22 में बड़े पैमाने पर नये नगरपालिका क्षेत्रों का गठन, उत्क्रमण और सीमा विस्तार किया गया. स्थानीय स्वशासन के तहत लंबे समय से राज्य की ग्राम पंचायतों का परिसीमन नहीं किया गया है. इसका सीधा असर राज्य की ग्राम पंचायतों की बेमेल जनसंख्या में दिख रहा है. एक ग्राम पंचायत की जनसंख्या से दूसरे ग्राम पंचायत की संख्या में बड़ा गैप पैदा हो गया है. पंचायती राज अधिनियम 2006 में प्रावधान किया गया है कि ग्रामीण आबादी में किसी भी ग्राम पंचायत के क्षेत्र की जनसंख्या यथासंभव सात हजार के निकट होगी.ग्राम पंचायतों के परिसीमन नहीं होने से हर पंचायत में वार्डों की संख्या भी भिन्न- भिन्न है. वार्ड पंचायती राज की सबसे छोटी इकाई वार्ड होती है. पटना जिला के अथमलगोला प्रखंड की बहादुरपुर पंचायत में 15 वार्ड हैं, तो फुलेलपुर पंचायत में सिर्फ 10 वार्ड हैं. पटना सदर प्रखंड की फतेहपुर ग्राम पंचायत में 16 वार्ड हैं, तो महुली में 13 वार्ड. पश्चिम चंपारण जिला के सिकटा प्रखंड की जगन्नाथपुर पंचात में सिर्फ आठ वार्ड हैं, तो उसी प्रखंड की सरगटिया पंचायत में 19 वार्ड हैं. इस तरह से राज्य की हर ग्राम पंचायत की जनसंख्या में बड़े पैमाने पर अंतर दिखता है. पंचायत आम चुनाव 2026 में इसका परिसीमन नहीं किया गया, तो हर पंचायत में जनसंख्या तो बढ़ती जायेगी , पर वहां प्रतिनिधित्व नहीं बढ़ेगा. स्थिति यह है कि एक ग्राम पंचायत में कहीं 20-25 हजार की आबादी पर एक मुखिया और सरपंच हैं, तो किसी जगह पर आठ हजार की आबादी पर ही एक जनप्रतिनिधि के रूप में मुखिया और सरपंच काम कर रहे हैं. अभी तक इन ग्राम पंचायतों की जनसंख्या भी 2011 की जनगणना के आधार पर निर्धारित की गयी है. उस समय बिहार की ग्रामीण जनसंख्या नौ करोड़ 28 लाख और ग्राम पंचायतों की संख्या 8072 थी. राज्य के ग्रामीण मतदाताओं की संख्या छह करोड़ 38 लाख थी. वर्ष 2021 में जनगणना नहीं करायी जा सकी है. पंचायतों के परिसीमन निकटतम जनगणना के आधार पर कराने के ग्राम स्वराज का सपना साकार होगा.

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