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अब यूजी व पीजी में दो बार एडमिशन का मिलेगा मौका

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यूजीसी ने ग्रेजुएशन और पोस्टग्रेजुएशन डिग्री के लिए न्यूनतम मानक निर्देश किया तैयारी, एक बार जुलाई-अगस्त में और दूसरी बार जनवरी-फरवरी में होगा एडमिशन, 23 दिसंबर तक यूजीसी को सुझाव दे सकते हैं

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अनुराग प्रधान, पटना. अब यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन (यूजी) व पोस्टग्रेजुएशन (पीजी) में दो बार एडमिशन का मौका मिलेगा. इसके साथ मल्टीपल एंट्री और एग्जिट का विकल्प होगा. छात्र अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ने पर भी योग्यतापत्र ले सकते हैं. दरअसल, यूजीसी ने ग्रेजुएशन और पोस्टग्रेजुएशन डिग्री के लिए न्यूनतम मानक निर्देश 2024 के लिए गाइडलाइन का ड्राफ्ट तैयार किया है. नियमों में बड़े बदलावों के बारे में प्रभात खबर को जानकारी देते हुए यूजीसी के अध्यक्ष प्रो एम जगदीश कुमार ने कहा कि संस्थान छात्रों को साल में दो बार यूजी व पीजी में एडमिशन दे सकेंगे, एक बार जुलाई-अगस्त में और दूसरी बार जनवरी-फरवरी में. जारी ड्राफ्ट गाइडलाइन पर लोगों से 23 दिसंबर तक अपनी प्रतिक्रिया साझा करने को कहा है गया है.

दो डिग्री एक साथ करने का प्रावधान

प्रो कुमार ने कहा कि नये नियम के अनुसार ‘दो डिग्री’ भी एक साथ करने का प्रावधान होगा और पूर्व अनुभव को भी मान्यता दी जायेगी. एक साथ दो यूजी या पीजी कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने की लचीलापन के प्रावधान शामिल हैं. छात्रों को विषय चुनने की आजादी मिलेगी. 12वीं या स्नातक में पढ़े विषयों की बाध्यता खत्म होगी. छात्र किसी भी विषय में स्नातक या पीजी कर सकते हैं, बशर्ते वे राष्ट्रीय या विश्वविद्यालय स्तर की प्रवेश परीक्षा पास करेंगे. न्यूनतम उपस्थिति के मानकों को तय करने का अधिकार अब संस्थानों को होगा. यह फैसला एनइपी 2020 के तहत बहु-विषयक शिक्षा और ऑनलाइन-हाइब्रिड लर्निंग को ध्यान में रखकर किया गया है.

योग्य छात्र कम समय में डिग्री पूरी कर सकते हैं:

प्रो कुमार ने कहा कि छात्रों को डिग्री में किसी एक विषय में कुल क्रेडिट का 50% अर्जित करना होगा. बाकी क्रेडिट स्किल कोर्स, इंटर्नशिप और अन्य विषयों से लिए जा सकते हैं. स्नातक डिग्री का समय तीन या चार साल और परास्नातक डिग्री का समय एक या दो साल होगा. योग्य छात्र कम समय में डिग्री पूरी कर सकते हैं. पहली या दूसरी सेमेस्टर की परफॉर्मेंस के आधार पर यह विकल्प चुन सकते हैं. डिग्री में यह स्पष्ट लिखा जायेगा कि इसे सामान्य अवधि से पहले पूरा किया गया है.

रुचि के अनुसार पढ़ाई कर सकते हैं

प्रो एम जगदीश कुमार ने कहा कि जिन छात्रों को अधिक समय चाहिए, वे अपनी डिग्री की अवधि बढ़ा सकते हैं. अधिक समय के बावजूद छात्रों को वही कोर्स और क्रेडिट पूरे करने होंगे. विषयों की बाध्यता खत्म होने से छात्र अपनी रुचि के अनुसार पढ़ाई कर सकते हैं. मल्टीपल एंट्री और एग्जिट से छात्रों का समय बर्बाद नहीं होगा. हर छात्र अपनी जरूरत के हिसाब से शिक्षा की अवधि तय कर सकता है.

चार साल की होगी यूजी की डिग्री

यूजीसी की ओर से जारी ड्राफ्ट गाइडलाइन के अनुसार स्नातक की डिग्री की अवधि तीन या चार साल होगी और स्नातकोत्तर डिग्री सामान्य रूप से एक या दो साल की होगी. हालांकि, स्नातक की डिग्री की अवधि कम या अधिक हो सकती है. वहीं यूजी के छात्र निर्धारित समय से पहले और बाद में अपनी डिग्री पूरी कर सकते हैं.

नये नियम सभी यूनिवर्सिटी व कॉलेजों में होंगे लागू: प्रो एम जगदीश

प्रो जगदीश कुमार ने कहा कि इनका उद्देश्य भारत में उच्च शिक्षा को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना है. इन बदलावों के जरिये यूजीसी का उद्देश्य छात्रों को आधुनिक, बहु-विषयक और विश्व स्तरीय शिक्षा प्रदान करना है. इन नियमों के जरिये शिक्षा में लचीलापन, बहु-विषयक विकल्प और समावेशिता को बढ़ावा मिलेगा, ताकि छात्र अपनी शैक्षिक यात्रा को और अधिक आसान और प्रभावी बना सकें. ये नियम सभी केंद्रीय, राज्य और प्रांतीय कानूनों के तहत स्थापित विश्वविद्यालयों, मान्यता प्राप्त कॉलेजों और मानित विश्वविद्यालयों पर लागू होंगे.

अपने प्रमुख विषय में 50 प्रतिशत क्रेडिट अर्जित करने का होगा विकल्प

प्रो कुमार ने कहा, हमने यूजी और पीजी प्रवेश के लिए पात्रता को स्कूली शिक्षा की कठोर अनुशासन-विशिष्ट आवश्यकताओं से अलग कर दिया है. इन विनियमों के तहत छात्र अपनी पिछली अनुशासनात्मक योग्यता के बावजूद किसी भी कार्यक्रम में अध्ययन का चयन कर सकते हैं, बशर्ते वे संबंधित प्रवेश परीक्षाओं को पास करके अपनी योग्यता प्रदर्शित करनी होगी. इसके अलावा, अब छात्रों के पास अब अपने प्रमुख विषय में 50 प्रतिशत क्रेडिट अर्जित करने का विकल्प होगा, जबकि शेष क्रेडिट कौशल विकास, प्रशिक्षुता या बहु-विषयक विषयों को आवंटित किये जा सकते हैं, जिससे समग्र विकास को बढ़ावा मिलेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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