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गर्भावस्था व प्रसव के 42 दिनों के अंदर हुई महिलाओं की मौत का कारण खोजा जायेगा

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राज्य स्वास्थ्य समिति की एसपीओ की रिपोर्ट पर स्वास्थ्य विभाग ने शुरू की कवायद- इस साल हाइ बीपी, दौरों से 27% गर्भवती व प्रसव के बाद महिलाओं की हुई मौत

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– राज्य स्वास्थ्य समिति की एसपीओ की रिपोर्ट पर स्वास्थ्य विभाग ने शुरू की कवायद

– इस साल हाइ बीपी, दौरों से 27% गर्भवती व प्रसव के बाद महिलाओं की हुई मौत

संवाददाता, पटना

राज्य में गर्भावस्था या प्रसव के 42 दिनों के अंदर महिलाओं की मौत के कारणों का पता लगाया जायेगा. इस तरह की डेथ की पहचान के लिए स्वास्थ्य विभाग ने तीन स्तरों का चयन किया है. इसमें पहला समुदाय, दूसरी एंबुलेंस और तीसरे स्तर के रूप में हॉस्पिटल या फैसिलिटी शामिल हैं. समुदाय के स्तर पर आशा, जनप्रतिनिधि, सीएचओ या लिंक हेल्थ वर्कर मैटरनल डेथ की जानकारी व कारण बताएंगे. वहीं, एंबुलेंस के स्तर पर एंबुलेंस टेक्नीशियन या उसमें मौजूद कर्मी और फैसिलिटी या हॉस्पिटल के स्तर पर वहां के मेडिकल ऑफिसर को यह जिम्मेदारी दी गयी है. इससे इसमें सुधार के लिए कार्य किये जा सकेंगे. मातृ स्वास्थ्य की राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी (एसपीओ) डॉ सरिता की ओर से मैटरनल डेथ को लेकर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी थी. इसकी गंभीरता को देखकर ये कवायद शुरू की जा रही है. वित्तीय वर्ष 2024—25 में सितंबर तक राज्य में कुल 495 मैटरनल डेथ के मामले दर्ज हुए हैं. इनमें 137 डेथ राज्य के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में हुई हैं. बांका, सुपौल और पटना में इस वर्ष सबसे अधिक मौतें हुई हैं. 27 प्रतिशत मैटरनल डेथ गंभीर रक्तचाप, दौरे और उच्च रक्तचाप तथा प्रसव पूर्व विकारों से हुई है.

मैटरनल डेथ की जानकारी देने वालों को एक हजार प्रोत्साहन राशि

डॉ सरिता की रिपोर्ट के अनुसार, मैटरनल डेथ की स्थिति पर काबू पाने के लिए नियमित आधार पर राज्य स्तरीय मासिक समीक्षा बैठक होगी. इसके अलावा 104 कॉल सेंटर के सहयोग से व आशा के माध्यम से सभी जिलों में मैटरनल डेथ की प्रतिदिन रिपोर्टिंग तेज की जा रही है. सुमन कार्यक्रम के तहत मैटरनल डेथ की प्रथम जानकारी देने वाले को 1000 रुपये की प्रोत्साहन राशि पहले से ही दी जा रही है. इसके अतिरिक्त जिला स्तरीय वर्कशॉप व ओरिएंटेशन प्रोग्राम भी किये जा रहे हैं.

राज्य में एक लाख में 118 मैटरनल डेथ

गर्भावस्था या प्रसव के 42 दिनों के अंदर राज्य में एक लाख में 118 महिलाओं की मौत हो रही है, जबकि सतत विकास के लक्ष्य के मुताबिक, यह आंकड़ा 70 होना चाहिए. एसआरएस 2018-20 के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 48 मैटरनल डेथ के मामले अधिक हैं. राज्य को इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रतिवर्ष 7 प्वाइंट की गिरावट की जरूरत है.

मैटरनल डेथ सर्विलांस बेहद महत्वपूर्ण: डॉ सरिता

डॉ सरिता ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मैटरनल डेथ के कारणों का पता लगाने के लिए मैटरनल डेथ सर्विलांस बेहद महत्वपूर्ण है. इससे मैटरनल डेथ के वास्तविक आंकड़ों के साथ डेथ के कारणों का पता चलता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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