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पटना की सिर्फ 9 फीसदी लड़कियां दिखा रहीं ड्राइविंग में रुचि, मुजफ्फरपुर की महिलाओं में बढ़ा गाड़ी चलाने का शौक

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पटना जिले में इस साल के जनवरी से सितंबर तक की बात करें, तो कुल 15,018 लड़कों ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया, जबकि ऐसा सिर्फ 1461 लड़कियों ने किया. आज के समय लड़कियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, लेकिन डाइविंग लाइसेंस बनाने में जिले में काफी पीछे हैं.

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पटना. पटना जिले भर में सड़कों पर लड़कियां दोपहिया और चार पहिया वाहन चलाती दिख जाती हैं, लेकिन परिवहन विभाग के आंकड़ों की मानें तो ड्राइविंग लाइसेंस के लिए लड़कों की तुलना में लड़कियां काफी कम रुचि दिखा रही हैं. वहीं मुजफ्फरपुर जिले में मुजफ्फरपुर में आधी आबादी अब सड़कों पर दो पहिया, चौपहिया व तिपहिया वाहनों पर फर्राटा भर रही है. जिले में बीते पांच साल के आंकड़ों को देखें, तो आधी आबादी की ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) बनवाने की संख्या में काफी तेजी आयी है. वर्ष 2017-18 में मात्र 321 आधी आबादी ने अपना डीएल बनवाया था. वहीं इस वर्ष नौ माह में अबतक 1779 महिलाओं ने अपना डीएल बनवाया है.

इस साल 1461 लड़कियों ने बनाया लाइसेंस

पटना जिले में इस साल के जनवरी से सितंबर तक की बात करें, तो कुल 15,018 लड़कों ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया, जबकि ऐसा सिर्फ 1461 लड़कियों ने किया. आज के समय लड़कियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, लेकिन डाइविंग लाइसेंस बनाने में जिले में काफी पीछे हैं. परिवहन विभाग के अधिकारी ने बताया कि सितंबर में कुल 1582 लड़कों के मुकाबले सिर्फ 144 लड़कियों ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया. इसका एक कारण यह है कि हर महीने लड़कियों के आवेदन ही कम संख्या में आते हैं. इसके बाद सभी टेस्ट पास भी नहीं कर पाती हैं.

ऐसे काम करता है ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक

फुलवारीशरीफ स्थित परिवहन परिसर में 302 वर्गमीटर क्षेत्र में अत्याधुनिक ड्राइविंग टेस्टिंग सेंटर का निर्माण किया गया है. इस ट्रैक का आकार ‘8’ अंक की तरह है. इसमें जगह-जगह कैमरे लगे हुए हैं. ड्राइविंग टेस्टिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वाहन में भी मोबाइल कैमरा फीड किया जाता है. सभी कैमरे और मशीनें कंप्यूटर से जुड़ी होती हैं. ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक पर अभ्यर्थियों को सीट बेल्ट, लेन ड्राइविंग, स्टॉप लाइन, पार्किंग, रिवर्स, आदि सभी यातायात नियमों का पालन करते हुए टेस्ट देना होता है. हर स्टेप के लिए अलग-अलग समय और अंक निर्धारित होता है. निर्धारित मानक के अनुसार ड्राइविंग करने पर ही अंक मिलता है और टेस्ट में पास या फेल किया जाता है. नयी व्यवस्था में टेस्ट का रिजल्ट तुरंत आ जाता है और समय की भी बचत होती है. ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक के बनने के बाद से ट्रायल के लिए लंबा इंतजार भी नहीं करना पड़ता है.

एक जनवरी से 30 सितंबर तक कितने लोगों ने बनाया ड्राइविंग लाइसेंस

  • एमसीडबल्यूओजी : 396

  • एमसीडबल्यूजी : 15707

  • एलएमवी : 15758

  • ट्रांसपोर्ट : 1745

  • अतिरिक्त निजी वाहन : 10

  • इ-रिक्शा : 164,

  • अन्य : 1

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मुजफ्फरपुर में 11782 महिलाओं के हैं डीएल

परिवहन विभाग के सेंट्रलाइज्ड सॉफ्टवेयर अपडेट होने से अब तक कुल 206240 डीएल जारी हुए हैं, इसमें 194421 पुरुष के, 11782 महिलाओं के डीएल हैं. इसके अलावा 37 डीएल थर्ड जेंडर के हैं. दिन प्रतिदिन आधी आबादी के डीएल की बढ़ती संख्या इस बात को स्पष्ट करती है कि अब वे आत्मनिर्भर बन रही हैं. समाज में आयी जागरूकता और नौकरी पेशे से जुड़े होने के कारण उनका आत्मविश्वास बढ़ा है. वे खुद गाड़ी चलाकर अपने ऑफिस जाती हैं, यहां तक कि अपने बच्चों को स्कूल पहुंचाने से लेकर घर के बुजुर्ग को लेकर भी खुद निकलती हैं.

ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में पिछड़ी पटना की महिलाएं

पटना की सड़कों पर महिलाएं भी बड़ी संख्या में गाडि़यां चलाती दिख जाएंगी, लेकिन महिलाएं ड्राइविंग लाइसेंस बनाने में पुरुषों की अपेक्षा काफी पीछे चल रही है. इस मुद्दे पर परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि महिलाओं के ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बनवाने के दो कारण हैं. पहला चेकिंग के दौरान महिला चालक से ड्राइविंग लाइसेंस नहीं मांगना और दूसरा महत्वपूर्ण कारण महिलाएं लाइसेंस बनवाने के लिए लाइन में लगना नहीं चाहती है. बिहार सरकार महिलाओं को ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए विशेष सुविधा दे रही है, मगर आंकड़ों के अनुसार पटना में पिछले चार माह में जहां जितने लाइसेंस बने उनमें 83 फीसदी पुरुषों ने लाइसेंस बनवाए हैं, वहीं महिलाएं 16 फीसदी पर अटकी हुई हैं.

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