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कागज पर चल रही सदर अस्पताल की टेली मेडिसिन स्वास्थ्य सेवा

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घरों तक चिकित्सीय परामर्श पहुंचाने तथा कोरोना काल के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर पाबंदियों के कारण स्वास्थ्य विभाग द्वारा 2020 में टेली मेडिसिन की शुरूआत की गयी थी.

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डॉक्टर ड्यूटी रोस्टर में प्रत्येक माह बनती है टेली मेडिसिन में चिकित्सकों की ड्यूटी

मुंगेर. सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को उनके घरों तक चिकित्सीय परामर्श पहुंचाने तथा कोरोना काल के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर पाबंदियों के कारण स्वास्थ्य विभाग द्वारा 2020 में टेली मेडिसिन की शुरूआत की गयी थी. इसका संचालन नियमित रूप से किये जाने को लेकर सरकार द्वारा जिले को समय-समय पर निर्देश भी दिया जा रहा है, लेकिन सदर अस्पताल में टेली मेडिसिन की सुविधा केवल कागजों पर ही संचालित है. जबकि इसके लिये न तो ओपीडी में कोई व्यवस्था है और न ही पूरे अस्पताल में इससे संबंधित कोई जानकारी. हालांकि अस्पताल के डॉक्टर ड्यूटी रोस्टर में केवल कागज पर ही दो चिकित्सकों की ड्यूटी टेली मेडिसिन के लिये जरूर लगायी जाती है.

वर्ष 2022 तक मॉडल अस्पताल निर्माण आरंभ होने के पहले सिविल सर्जन कार्यालय में ओपीडी संचालन के लिये एक कक्ष को टेली मेडिसिन संचालन के लिये बनाया गया था. हालांकि यहां कभी इसके लिये कोई व्यवस्था नहीं की गयी. वहीं मॉडल अस्पताल को लेकर पुराने भवनों को तोड़े जाने के बाद से अब तक सदर अस्पताल में टेली मेडिसिन सेवा का कोई पता-ठिकाना तक नहीं है. वहीं दो साल बाद अब तो टेली मेडिसिन सेवा संचालित होती भी है या नहीं, इसकी जानकारी खुद सदर अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मियों को भी नहीं है. इतना ही नहीं टेली मेडिसिन की सुविधा के लिये कौन से टोल फ्री नंबर पर फोन किया जाना है या इस सुविधा का संचालन भी होना है. इसकी जानकारी पूरे अस्पताल में कहीं भी नहीं है. हद तो यह है कि टेली मेडिसिन की सुविधा से संबंधित एक भी पोस्टर या बैनर तक अस्पताल में नहीं है. ऐसे में छोटी-मोटी बीमारियों में भी आमलोग टेली मेडिसिन की सुविधा लेने की जगह अस्पताल पहुंच रहे हैं.

केवल डॉक्टर ड्यूटी रोस्टर में लगती है चिकित्सक की ड्यूटी

सदर अस्पताल में केवल कागजों पर ही टेली मेडिसिन का संचालन होता है, क्योंकि इससे संबंधित जानकारी केवल डॉक्टर ड्यूटी रोस्टर को देख कर पता चलता है. जो प्रत्येक माह बदलती है. सदर अस्पताल के डॉक्टर ड्यूटी रोस्टर की मानें तो नवंबर माह तक डॉ आशीष कुमार की ड्यूटी टेली मेडिसिन में प्रत्येक सोमवार को लगायी गयी. जबकि डॉ रूपेश कुमार की ड्यूटी प्रत्येक गुरूवार को लगी. वहीं दिसंबर माह में बने डॉक्टर ड्यूटर रोस्टर में केवल डॉ आशीष कुमार की ड्यूटी प्रत्येक सोमवार को लगायी गयी है.

कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक

सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ रमन कुमार ने बताया कि अस्पताल में टेली मेडिसिन के लिये चिकित्सकों की ड्यूटी लगायी जाती है. हालांकि टोल फ्री नंबर राज्य स्तर से जारी किया गया है. जिसपर मरीज फोन कर सकते हैं. वहीं राज्य स्तर से ही चिकित्सक के फोन पर मरीज के कॉल को ट्रांसर्फर किया जाता है.

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क्या है टेली मेडिसिन

मुंगेर. भारत सरकार द्वारा कोरोना काल के दौरान ही टेली मेडिसिन या ई-संजीवनी की शुरूआत की गयी थी. जिसके लिये सरकार द्वारा सभी जिलों के लिये टोल फ्री नंबर या ई-संजीवनी नंबर जारी किया गया. वहीं इसके संचालन को लेकर चिकित्सक, नर्स तथा एक डाटा ऑपरेटर की ड्यूटी लगायी जानी है. वहीं यदि कोई मरीज चिकित्सीय परामर्श चाहता है तो वह इन नंबरों पर फोन कर सकता है. जिसके बाद जिला स्तर से उसके फोन को संबंधित चिकित्सक के पास परामर्श के लिये स्थानांतरित किया जाता है. चिकित्सीय परामर्श के दौरान यदि चिकित्सक मरीज को दवा बताते हैं तो संबंधित डाटा ऑपरेटर या नर्स द्वारा मरीज के फोन पर उस दवा का नाम मैसेज से भेजा जाता है. जिससे संबंधित मरीज बाहर से दवा खरीद सकते हैं. इस सुविधा से दूर-दराज में मरीज छोटी-मोटी परेशानियों में अस्पताल आने के झंझट से बच सकते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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