17.1 C
Ranchi
Thursday, February 13, 2025 | 11:24 pm
17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

एक ही दिन होगा अगस्त ऋषि और प्रतिपदा का श्राद्ध

Advertisement

पितरों के तर्पण का पखवारा 18 सितंबर से शुरू हो रहा है. इस दिन भाद्र शुक्ल पूर्णिमा है. प्रथम दिन से स्नान, दान और भगवान के पूजन के बाद अगस्त ऋषि को जल दिया जाएगा.

Audio Book

ऑडियो सुनें

मोतिहारी. पितरों के तर्पण का पखवारा 18 सितंबर से शुरू हो रहा है. इस दिन भाद्र शुक्ल पूर्णिमा है. प्रथम दिन से स्नान, दान और भगवान के पूजन के बाद अगस्त ऋषि को जल दिया जाएगा. इसी दिन प्रतिपदा का भी श्राद्ध होगा. इसके साथ ही पितरों के तर्पण की शुरुआत हो जाएगी. इसका समापन दो अक्तूबर को होगा. आचार्य सुशील पांडेय ने बताया कि स्नान दान सहित सर्व पितृ आमवस्या व पितृ विर्सजन दो अक्तूबर को होगा. दान सहित शास्त्रों में मनुष्यों के लिए तीन ऋण बताए गए हैं. देव, ऋषि और पितृ ऋण और पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहते हैं. श्राद्ध करने से कुल मे वीर, निरोगी, शतायु व श्रेय प्राप्त करने वाली संतानें उत्पन्न होती हैं, इसलिए सभी के लिए श्राद्ध करना आवश्यक माना गया है. जिनका मरने पर संस्कार नहीं हुआ हो, उनका भी अमावस्या तिथि को ही श्राद्ध करना चाहिए. बाकी तो जिनकी तिथि हो, श्राद्ध पक्ष में उसी तिथि पर श्राद्ध करना चाहिए. मृत्यु तिथि को श्राद्ध कर्म से प्रसन्न होते हैं पितृगण जिस तिथि को माता-पिता की मृत्यु हुई हो, आश्विन कृष्ण (महालय) पक्ष में भी उसी तिथि को श्राद्ध-तर्पण, गो ग्रास और ब्राह्मण को भोजन कराना जरूरी है, इससे पितृगण प्रसन्न होते हैं. पुत्र को चाहिए कि वह माता-पिता की मरण तिथि को मध्याह्न काल में स्नान करके श्राद्ध करें. ब्राह्मणों को भोजन करा कर स्वयं भोजन करें. जिस स्त्री को कोई पुत्र ना हो, वह स्वयं भी अपने पति का श्राद्ध उसकी मृत्यु तिथि को कर सकती हैं. भाद्र पद शुक्ल पूर्णिमा से प्रारंभ करके आश्विन कृष्ण अमावस्या तक 15 दिन पितरों का तर्पण और विशेष तिथि को श्राद्ध अवश्य करना चाहिए, किसी कारण से पितृपक्ष की अन्य तिथियों पर पितरों का श्राद्ध करने से चूक गए हैं या पितरों की तिथि याद नहीं है, तो इस तिथि पर सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है. शास्त्र अनुसार, इस दिन श्राद्ध करने से कुल के सभी पितरों का श्राद्ध हो जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें