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कोर्ट में डीसीएलआर सहित नौ के खिलाफ परिवाद दायर

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मामला जमीन विवाद से जुड़ा हुआ है.

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नियम विरुद्ध आदेश पारित करने के खिलाफ परिवाद दायर हुआ

कोर्ट ने आठ जनवरी 2025 को सुनवाई की तिथि तय की

प्रतिनिधि,

उदाकिशुनगंज, मधेपुरा.

उदाकिशुनगंज सिविल कोर्ट में भूमि सुधार उपसमाहर्ता (डीसीएलआर) आमिर अहमद सहित नौ लोगों के खिलाफ परिवाद दायर किया गया है. यह परिवाद चौसा प्रखंड के फुलौत थाना क्षेत्र के फुलौत पश्चिमी वार्ड संख्या चार के महेंद्र मेहता के पुत्र रंधीर कुमार ने दायर कराया है. इसमें अधिकारी पर नियम विरुद्ध आदेश पारित करने का आरोप लगा है. मामला जमीन विवाद से जुड़ा हुआ है.

परिवादी के अधिवक्ता मंजीत कुमार ने बताया कि डीसीएलआर ने नियम विरुद्ध दस्तावेज को सही मानकर हाल सर्वे खतियानी दस्तावेज को दरकिनार कर आदेश पारित किया है. अधिवक्ता के मुताबिक ऐसे मामले में डीसीएलआर को इस तरह का आदेश पारित करने का अधिकार नहीं है. इस तरह का आदेश पारित करना दंडनीय अपराध है. दायर परिवाद में उल्लेख किया गया है कि परिवादी रंधीर कुमार का पूर्वज फागू मेहता के नाम से हाल सर्वे खतियान दर्ज है. इसमें अन्य आठ आरोपितों ने जाल साजिश रचित वो बनावटी तथा विधि विरुद्ध सरकार के आदेश से वंचित प्रतिबंधित दस्तावेज का गलत इस्तेमाल किया है. आरोपितों ने जमीन हड़पने के लिए अपने नाम अंचल कार्यालय में अवैध दस्तावेज बीटी एक्ट 106 के आधार पर जमाबंदी कायम करा लिया. जबकि यह गलत है. परिवादी ने इससे पहले अंचल आदेश के विरुद्ध आरोपितों के खिलाफ नामांतरण अपील वाद 23 जुलाई 2022 भूमि सुधार उपसमाहर्ता के समक्ष आवेदन दाखिल किया. जहां डीसीएलआर ने प्रतिवादियों को उपस्थिति करवाकर दिनांक 30 अगस्त 2024 ई. को विधि से वंचित दस्तावेज बीटी एक्ट 106 डिग्री तथा सरकार वो राजस्व एवं भुमि सुधार विभाग सचिव पटना नियम के विरुद्ध आदेश पारित कर दिया. अधिवक्ता ने बताया कि विधि विरुद्ध दस्तावेज को सही मानकर हाल सर्वे खतियानी दस्तावेज को दरकिनार कर आदेश पारित कर देना लोक सेवक के कार्य में विभागीय कार्रवाई सेवा से बर्खास्त के साथ कानूनी कार्रवाई में दंडीय अपराध कारित किया है. अधिवक्ता ने बताया कि प्रतिवादियों के मेली वो प्रभाव में नीजी स्वार्थ लालच में आकर हाल सर्वे खतियान के विरुद्ध मनमानी आदेश पारित कर देना गम्भीर अपराध है. जबकि हाल सर्वे खतियान को संशोधन करने वो रद्द करने वो अवैध करार करने का अधिकार वो शक्ति डीसीएलआर को नहीं है. वावजूद अपने पद वो कर्तव्य में लापारवाही वो मनमानी करते विभाग आदेश के विरुद्ध तथा विधि के विरुद्ध आदेश पारित करना दण्डीय अपराध है. उक्त पारित आदेश के बाद प्रतिवादियों ने जबरण वो हसैड़ी के बल पर जमीन पर कब्जा करने उतारू होकर परिवादी के साथ गाली-ग्लौज कर मारपीट करते जान मारने का प्रयास किया है. उसके बाद परिवादी ने ग्रामीण पंचायत बैठाकर आपसी सामाजिक समझौता से खतियानी दस्तावेज के आधार पर विवादित जमीन का मालिकाना हक बताते काफी समझाया गया. लेकिन प्रतिवादी नहीं मानें. परिवादी घटना की सूचना वरीय पदाधिकारी जिला दण्डाधिकारी मधेपुरा एवं पुलिस अधीक्षक मधेपुरा वो घटना स्थल थानाध्यक्ष फुलौत को घटना की लिखित जानकारी दिया गया. लेकिन सरकार के विभागीय ऑफिसर होने के कारण किसी भी वरीय पदाधिकारी के द्वारा डीसीएलआर के विरुद्ध विभागीय जांच वो कमेटी गठित नहीं किया न विभागीय कार्रवाई किया. जिस कारण नामित अभियुक्तो के विरुद्ध किसी प्रकार का कोई दंडित कराने कानूनी कार्रवाई प्राथमिकि दर्ज नहीं हुआ तब लाचार होकर परिवादी न्यायालय के समक्ष बजरिये अधिवक्ता के माध्यम से परिवाद-पत्र दाखिल किया है. मामले को लेकर उदाकिशुनगंज अनुमंडल व्यवहार न्यायालय परिवादी के अधिवक्ता मंजित कुमार ने कहा कि प्रतिवादियों के मेली वो प्रभाव में नीजी स्वार्थ लालच में आकर हाल सर्वे खतियान के विरुद्ध मनमानी आदेश पारित कर देना गंभीर अपराध है. जबकि हाल सर्वे खतियान को संशोधन करने वो रद्द करने वो अवैध करार करने का अधिकार वो शक्ति डीसीएलआर को नहीं है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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