17.1 C
Ranchi
Friday, February 14, 2025 | 12:28 am
17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

लॉकडाउन में परदेस से लौटा एमए पास अनिल, दरभंगा में पॉल्ट्री फॉर्म खोल बन गया आत्मनिर्भर

Advertisement

संघर्ष के बाद जब नौकरी नहीं मिली तो 31 अगस्त 1994 को दिल्ली चले आये. परिवार का पालन-पोषण व घर का किराया निकालने के लिए वहां बैग-सूटकेस का कारोबार करने लगा.

Audio Book

ऑडियो सुनें

शिवेंद्र कुमार शर्मा, कमतौल (कमतौल). कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता. बस, उस काम को करने की इच्छा शक्ति होनी चाहिए. इस बात का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं बेलबाड़ा निवासी अनिल राय. अनिल 1994 में पीजी करने के बाद अपना भविष्य संवारना चाहते थे. नौकरी पाकर अपने माता-पिता का नाम रोशन करना चाहते थे, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया, बावजूद वे निराश नहीं हुए.

लॉकडाउन में बंद हुआ दिल्ली का कारोबार  

परिवार के पालन-पोषण के लिए दिल्ली जाकर बैग-सूटकेस का कारोबार शुरू कर दिया. इसके बाद होटल के कारोबार में भी खुद को आजमाया. लॉकडाउन में होटल का कारोबार मंदा होने पर वापस घर आ गये. गांव में ही पॉल्ट्री फॉर्म खोलकर अपना व्यवसाय शुरू कर दिया. फिलहाल ग्रामीणों के ताने को अनसुना कर आर्थिक समृद्धि की ओर कदम बढ़ा रहे हैं. साथ ही, आत्मनिर्भर बनने की मिसाल पेश कर रहे हैं.

नहीं मिली नौकरी तो बेचने लगा बैग-सूटकेस

अनिल ने बताया कि लनामिविवि से पीजी की पढ़ाई करने के बाद वह नौकरी की तलाश में जुट गये. संघर्ष के बाद जब नौकरी नहीं मिली तो 31 अगस्त 1994 को दिल्ली चले आये. परिवार का पालन-पोषण व घर का किराया निकालने के लिए वहां बैग-सूटकेस का कारोबार करने लगा. करीब दस वर्षों तक इस कारोबार से जुड़ा रहा. बाद में होटल खोल लिया. इससे अच्छी आमदनी होने लगी तो पत्नी व बच्चों को वहीं साथ रखने लगा. बच्चों का नामांकन भी वहीं निजी स्कूल में करा दिया. कोरोना के कारण लॉकडाउन लग गया. होटल का व्यवसाय ठप हो गया. काफी दिनों तक कारोबार शुरू होने की प्रतीक्षा करने के पश्चात घर चले आये.

मार्च 21 में पॉल्ट्री फॉर्म खोलने का किया फैसला
Undefined
लॉकडाउन में परदेस से लौटा एमए पास अनिल, दरभंगा में पॉल्ट्री फॉर्म खोल बन गया आत्मनिर्भर 2

यहां कोई काम नहीं था. घर की जिम्मेदारियों को उठाने के लिए यहीं पर अपना कोई काम शुरू करने का विचार बनाया. काफी विचार के बाद मार्च 21 में पॉल्ट्री फॉर्म खोलने का मन बना इसके लिए आवश्यक तैयारी शुरू कर दी. मई में तैयारी पूरी कर जून महीने में विधिवत काम शुरू कर दिया. दिसंबर महीने तक तीन लॉट की बिक्री कर चुके हैं. इसमें अच्छी आमदनी हुई है. उन्होंने बताया कि पॉल्ट्री फॉर्म के साथ-साथ बकरी पालन करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है. पॉल्ट्री फॉर्म के समीप ही फिलहाल पांच ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरी का पालन शुरू किया है. इसे भी आगे बढ़ाने की योजना है.

बूढ़ी मां को भी मिला सहारा

अनिल ने बताया कि शाकाहारी होने के कारण पॉल्ट्री का व्यवसाय शुरू करने पर गांव में तरह-तरह की चर्चा होने लगी. कई लोगों ने ताने भी मारे, कई लोग कुछ दूसरा कारोबार करने की सलाह दी. उन सबकी बातों का परवाह नहीं करते हुए पॉल्ट्री फॉर्म खोल लिया. एक-डेढ़ महीने तक जान-पहचान के लोगों ने सामने आने पर भी नजर मिलाने से परहेज करने लगे. यहां तक कि दुआ-सलाम करना भी बंद कर दिया, परंतु अपने फैसले पर अडिग रहे और रहेंगे. उन्होंने बताया कि सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि बच्चों के साथ गांव में रहने पर उम्र दराज मां की देखभाल भी हो पाती है और खेतीबाड़ी भी कर लेते हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें