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न अतिक्रमण हटा न जाम… यातायात व्यवस्था नाकाम

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शहर को जाम से निजात दिलाने व यातायात व्यवस्था में सुधार की जिम्मेदारी जिन पर है, वही आंखें मूंदे निष्क्रिय पड़े हैं.

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लखीसराय. शहर को जाम से निजात दिलाने व यातायात व्यवस्था में सुधार की जिम्मेदारी जिन पर है, वही आंखें मूंदे निष्क्रिय पड़े हैं. शहर के बीचों-बीच शहीद द्वार के समीप बने यातायात पुलिस चौकी के सामने ही प्रतिदिन अनधिकृत रूप से ऑटो स्टैंड बना रहता है. यातायात पुलिस चुप रहती है. कभी-कभार ही इनके खिलाफ कार्रवाई होने की बात कही जाती है. अन्यथा यातायात पुलिस चौकी के सामने से गुजरने वाले बिना हेल्मेट पहने बाइक चालकों पर ही अपनी निगाह बनाये रखती है. यही कारण है कि चौकी के पास ही शहीद द्वार के समीप रेलवे स्टेशन जाने के लिए आम आदमी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. क्योंकि इसके आसपास बेतरतीब तरीके से ई-रिक्शा खड़ा कर दिया जाता है. इस ओर यातायात पुलिस का ध्यान नहीं के बराबर ही जाता है.

माइकिंग हुई, नहीं हटाया गया अतिक्रमण

वहीं शहर में जाम की स्थिति में कोई सुधार नहीं होने का एक बड़ा कारण एक तरफ ई-रिक्शा का लगे रहना है, तो दूसरी तरफ फुटपाथ का अतिक्रमण भी है. इसके लिए कोई समाधान नहीं निकाला जा रहा है. इस माह के प्रथम सप्ताह में जाम से निजात दिलाने के लिए एसडीओ चंदन कुमार द्वारा यातायात पुलिस पदाधिकारी, स्थानीय थानाध्यक्ष, नगर परिषद व अंचलाधिकारियों के साथ बैठक की गयी थी. इसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये थे. जाम से निबटने के लिए सबसे पहले मुख्य सड़क के बीच डिवाइडर लगाने की बात की गयी थी. वहीं फुटपाथ पर अतिक्रमण हटाने के लिए एक फुल प्रूफ योजना तैयार की गयी थी. इसमें नगर परिषद को, सीओ, स्थानीय थाना पुलिस, यातायात पदाधिकारी को स्पष्ट निर्देश दिया गया था. नगर परिषद द्वारा अतिक्रमण हटाने को लेकर तीन दिनों तक माइकिंग भी की गयी. इसके बाद यह मामला बिल्कुल ठंडा पड़ गया है. लोगों को जाम से निजात कब मिलेगी व इसका जिम्मेदार आखिर कौन है, इस सवाल का न तो स्थानीय जनप्रतिनिधि और न ही अधिकारियों के पास कोई जवाब है.

जाम व अतिक्रमण हटाने के नाम पर खानापूर्ति

जाम व अतिक्रमण हटाने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है. जिला प्रशासन द्वारा जाम हटाने का एक बार नहीं बल्कि अनेक बार प्रयास किया गया है. लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों को जाम व अतिक्रमण हटाने में सफलता नहीं मिली है. हाल ही के दिनों में नगर परिषद द्वारा अतिक्रमण हटाने के लिए मापी की गयी थी. मापी कर अतिक्रमित जगह को चिह्नित भी किया गया था. लेकिन अतिक्रमण नहीं हटा. दूसरी और ई-रिक्शा, ऑटो व बाइक चालकों की मनमानी के कारण जाम में कोई सुधार नहीं हो रहा है.

लोगों को जुर्माना और दंड की नहीं है परवाह

शहर में यातायात नियम को ताक पर रखकर मुख्य सड़क पर ई-रिक्शा, ऑटो व बाइक सवार चलते हैं. उन्हें किसी जुर्माना और दंड की परवाह नहीं है. जुर्माने के नाम पर यातायात पुलिस चंद रुपये वसूल लेती है. वहीं परिवहन विभाग परवाह नहीं करता. जाम हटाने के लिए यातायात पुलिस द्वारा काफी मशक्कत भी जाती है, पर शहर के मुख्य सड़क पर प्रतिदिन जाम की स्थिति बनी रहती है.

यातायात पुलिस की कमी

जाम से निबटने के लिए यातायात पुलिस बल की भी काफी कमी है. जिले में कुल एक दर्जन यातायात पुलिस बल तैनात हैं. वहीं यातायात पुलिस बल की मांग वर्षों से की जा रही है. लेकिन यातायात पुलिस उपलब्ध नहीं कराये जाने के कारण भी जाम से निबटना आसान नहीं है. एक तरफ अतिक्रमण के कारण भी जाम की स्थिति बनी रहती है. जिसे यातायात पुलिस द्वारा हटाया नहीं जा रहा है, तो दूसरी तरफ नगर परिषद व जिला प्रशासन द्वारा अतिक्रमण को लेकर सिर्फ कार्रवाई करने की बात कही जाती है.

कहते हैं यातायात प्रभारी

शहीद द्वार पर ऑटो व ई-रिक्शा नहीं लगाया जाता है. इस दिशा में लगातार कार्रवाई भी की जाती है. आगे भी कार्रवाई की जायेगी.

अरविंद कुमार, यातायात पुलिस थानाध्यक्ष

कहते हैं एसडीओ

पदाधिकारी की व्यस्तता के कारण जाम को लेकर बैठक नहीं की गयी है. जल्द ही संबंधित अधिकारियों को सूचना देकर बैठक की जायेगी. इसके बाद कार्रवाई शुरू की जायेगी. जाम से निजात पाने के लिए सबसे पहले अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.

चंदन कुमार, एसडीओ

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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