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टीबी संक्रमण से मिला मासूम नया जीवनदान

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बोन टीबी के संक्रमण से ग्रसित था आठ वर्षीय बच्चा लाइलाज नहीं है टीबी की बीमारी, समय पर उपचार जरूरी प्रतिनिधि, लखीसराय जब किसी घर में कोई बच्चा जन्म लेता है तो मां-बाप उसके लिए ढेरों अरमान पालते हैं, उसकी एक किलकारी सुनने के लिए वो न जाने कितने जतन करते हैं, पर बच्चे की किलकारी तो उसके आंगन में गूंजते ही, उस गूंज की किलकारी उसके बीमारी तले दब गयी. लेकिन मां-बाप एवं स्वास्थ्य विभाग के सामूहिक प्रयास से उसे बीमारी से तो निजात मिली ही, और को नयी जिंदगी भी मिल गयी. बच्चा अपने नाना-नानी के यहां अपनी मां के साथ पतनेर आया था, यहां आने के बाद कुछ कमजोर होने लगा. उसके नाना-नानी ने समझा की नाती ढंग से खाता–पीता नहीं है, इस कारण कमजोर रहता है. पर गृह भ्रमण के दौरान जब आशा पप्पी कुमारी उसके ननिहाल पहुंची तो बच्चे की कमजोरी को देखते ही आशा टीबी जांच के लिए सदर अस्पताल लखीसराय ले गयी, जहां जांच में बोन टीबी बताया गया. बच्चे की मां ने बताया कि ये सुनकर तो लगा की हम मजदूर वर्ग के लोग कैसे अपने बच्चे का इस बीमारी के इलाज का खर्च उठा पायेंगे, पर आशा पप्पी कुमारी ने निःशुल्क इलाज करवाया और आज ठीक होकर अपने आंगन में फिर से खेल रहा है. टीबी लाइलाज नहीं है समय पर उपचार है जरूरी लखीसराय के स्वास्थ्य प्रबंधक निशांत राज का कहना है कि टीबी जैसे बीमारी का अगर समय पर उपचार किया जाय तो वो इस संक्रमण के बीमारी से पूर्णत: ठीक हो सकता है. इसके लिए गांव के स्तर पर हमारी आशा दीदी गृह भ्रमण के दौरान लोगों को टीबी से बचाव एवं साफ-सफाई के प्रति जागरूक करती हैं. साथ ही किसी टीबी के लक्षण दिखते ही उसे पास के स्वास्थ्य संस्थान में इलाज के लिए ले जाती है, जो निःशुल्क होता है. ये लक्षण दिखें तो करायें टीबी जांच तीन माह या इससे अधिक समय से खांसी रहना, छाती में दर्द एवं कफ में खून आना. कमजोरी व थका हुआ महसूस करना. वजन का तेजी से कम होना. भूख नहीं लगना, ठंड लगना, बुखार का रहना. रात को पसीना आना.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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