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Explainer: बिहार के शिक्षकों में के. के. पाठक को लेकर क्यों है खौफ? जानिए किन आदेशों व एक्शन ने मचाया हड़कंप..

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Explainer: बिहार के शिक्षकों में इन दिनों अपर मुख्य सचिव के के पाठक को लेकर खौफ है. के के पाठक के कुछ ऐसे फैसले सामने आए है जिससे शिक्षकों की परेशानी बढ़ गयी है. जानिए ऐसे कुछ आदेशों के बारे में जिससे शिक्षकों के बीच हड़कंप मचा हुआ है.

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बिहार के सरकारी शिक्षकों के बीच शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक का खौफ साफ देखा जा रहा है. जब के के पाठक को शिक्षा विभाग में सरकार ने बुलाया तो यह आभास शिक्षकों को तब ही होने लगा था कि अब अपने तेवर के लिए मशहूर के के पाठक यहां भी कुछ अलग फैसलों से लापरवाह शिक्षकों के लिए परेशानी की वजह बन सकते हैं. शिक्षा मंत्री से आमने-सामने होने के बाद भी जब के के पाठक पर कोई गाज नहीं गिरी तो ये साफ हो गया था कि अब के के पाठक और अधिक सख्ती दिखाते हुए फैसले लेंगे. इन दिनों के के पाठक के कई ऐसे निर्देश आए हैं जिनसे सरकारी स्कूलों के शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है.

के के पाठक के फरमान से हड़कंप

शिक्षा विभाग से इन दिनों कई ऐसे फरमान जारी हो रहे हैं जिसे लेकर शिक्षकों के बीच हड़कंप है. इन दिनों शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक को लेकर शिक्षकों में दहशत साफ देखा जा रहा है. के के पाठक इन दिनों स्कूलों का औचक निरीक्षण करने निकलते हैं. इसकी जानकारी विभाग से लेकर जिलों में भी नहीं होती कि के के पाठक किस दिन किस जिले में आ धमकेंगे. वहीं उनके आगमन की अफवाह कई जिलों में उड़ने लगती है और शिक्षकों की बेचैनी बढ़ती जाती है. स्कूल नहीं जाने वाले शिक्षक भी अब सुबह-सुबह घर से निकलते दिखते हैं और स्कूल में तैनात मिलते हैं. उनके अंदर के के पाठक का खौफ साफ दिखता है कि ना जाने अपर मुख्य सचिव कब आ धमकें.

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सैलरी भी काट रहे, सस्पेंड भी धड़ल्ले से किए जा रहे शिक्षक

हाल में ही शिक्षकों ने पटना में आंदोलन किया. इस दौरान के के पाठक ने सख्त फरमान जिलों को जारी किया कि उक्त तिथि पर कोई शिक्षक गैरहाजिर मिले तो उन्हें फौरन निलंबित करें. शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों को स्कूलों के औचक निरीक्षण का निर्देश दिया गया.के के पाठक एससीईआरटी के निदेशक समेत 75 पदाधिकारियों व कर्मियों का वेतन तक रोक चुके हैं. के के पाठक के निशाने पर वो शिक्षक भी हैं जो घर में बैठकर सैलरी उठा लेते हैं. अपर मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि ऐसे शिक्षकों की सैलरी काटी जाए. ड्यूटी पर मौजूद नहीं पाए गए हजारों शिक्षकों व गैर शिक्षण कर्मियों की सैलरी काटी जा चुकी है. वहीं बड़ी संख्या में शिक्षकों को सस्पेंड भी किया जा चुका है.

कपड़ों से लेकर कुर्सी पर बैठने तक के लिए निर्देश

के के पाठक ने शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को जींस व टीशर्ट पहनकर ऑफिस आने पर पाबंदी लगा दी है. के के पाठक के तेवर को देखते हुए अब जिलों में भी पदाधिकारी सख्त दिखने लगे हैं. बेगूसराय जिला के चेरिया बरियारपुर प्रखंड के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने जब स्कूलों का औचक निरीक्षण किया तो कई शिक्षक कुर्सी पर बैठकर मोबाइल चलाते मिले. जिसके बाद एक फरमान जारी किया गया कि कक्षाओं में अब शिक्षकों के लिए कुर्सी नहीं लगाए जाएंगे.

छुट्टी लेने के बाद भी नहीं थम रही परेशानी

वहीं कई शिक्षकों ने उपस्थिति को लेकर चालाकी का रास्ता अपनाया है. वो एडवांस में छुट्टी का आवेदन स्कूल में सौंपकर आते हैं. अगर कोई निरीक्षण अचानक होने लगे तो उनके उक्त आवेदन में तिथि लिखकर पेश कर दिया जाता है. जब वैशाली में विशेष अवकाश पर रही एक शिक्षिका का वेतन के के पाठक के द्वारा स्थगित कर दिया गया, तो इस कदम से कई महिला शिक्षिकाओं को झटका लगा. वहीं शिक्षा विभाग के कर्मी कहते हैं कि जिनके उपर साहेब के द्वारा गाज गिरी उसका कल्याण केवल साहेब यानी के के पाठक के ही हाथ में है.

सभी प्रमाणपत्रों की जांच और कार्रवाई का आग्रह

अब शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के महानिदेशक से कहा है कि क्षेत्रीय कार्यालयों की तरफ से उपलब्ध कराये गये सभी प्रमाणपत्रों की जांच की कार्रवाई शुरू कराएं. दरअसल अपर मुख्य सचिव ने निगरानी ब्यूरो से यह आग्रह उसके एक आधिकारिक पत्र के जवाब में कहा है. आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक निगरानी ब्यूरो ने हाल ही में शिक्षा विभाग को एक पत्र लिख कर बताया था कि वेब पोर्टल से संबंधित फोल्डर को प्राप्त करने से पहले जिला कार्यक्रम पदाधिकारी से यह प्रमाणपत्र प्राप्त करना अनिवार्य है कि उक्त संबंधित शिक्षक/शिक्षिका का नियोजन इसी फोल्डर (अंकपत्र/ प्रमाणपत्र) के आधार पर किया गया है.

निगरानी ब्यूरो को के के पाठक का जवाब

इस पत्र के जवाब में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पाठक ने निगरानी ब्यूरो के महानिदेशक से कहा है कि इस प्रकार के प्रमाणपत्र देने में तमाम व्यावहारिक कठिनाइयां हैं. इससे जांच में देरी होने की आशंका खड़ी हो जायेगी. रंजीत पंडित बनाम बिहार राज्य एवं अन्य में उच्च न्यायालय ने 24 अप्रैल, 2023 को आदेश पारित किया है. सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी व सभी स्थापना जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को विभागीय वेब पोर्टल पर शिक्षकों की तरफ से अपलोडेड प्रमाणपत्रों को डाउनलोड कर जांच करने के लिए निगरानी को नामित पदाधिकारियों को उपलब्ध कराने के निर्देश दिये जा चुके हैं. सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2006- 2015 अवधि के बीच नियुक्त हुए तीन लाख से अधिक नियोजित शिक्षकों के लंबित मामलों की जांच निगरानी कर रहा है.

डीईओ कार्यालय को भी निर्देश

बता दें कि के के पाठक इन दिनों स्कूलों का औचक निरीक्षण कर रहे हैं. शिक्षा विभाग के कार्यालय भी अपर मुख्य सचिव पहुंच रहे हैं. सिवान डीईओ कार्यालय जब के के पाठक पहुंचे तो कर्मियों को निर्देश दिए कि वो 8 घंटे दफ्तर में नहीं रहें. 4 घंटे निरीक्षण में समय दें. कुल मिलाकर देखा जाए तो शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों से लेकर शिक्षकों तक में हड़कंप मचा हुआ है. बता दें कि के के पाठक पहचान एक सख्त और इमानदार प्रशासनिक पदाधिकारी के रूप में है. बिहार में शराबबंदी जब लागू की गयी तो मद्य निषेध विभाग की कमान के के पाठक के ही जिम्मे थे. वहीं इस बीच वो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए. लेकिन जब बिहार में फिर एकबार शराबबंदी को लेकर सख्ती की जरूरत महसूस हुई तो सीएम नीतीश कुमार उन्हें वापस बिहार लेकर आए और

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